साहित्य परिषद की मासिक कविता गोष्ठी संपन्न, देशभक्ति गीत गजलों की बही गंगा

धनबाद : शीर्षक साहित्य परिषद के धनबाद ईकाई की मासिक कविता गोष्ठी कल सरायढेला स्थित मोनालिसा होटल में संपन्न हुई. स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित इस गोष्ठी में देश भक्ति गीत - ग़ज़लों की खूब गंगा बही.

कवयित्री पूनम सिन्हा की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई. उपस्थित कवि कवयित्रियों ने अपने  व्यंग्य और कविताओं से  वर्तमान समाज की परिस्थितियों पर सोचने को भी मजबूर किया.

प्रमिला श्री द्वारा वतन के नाम बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति हुई तो रत्ना वर्मा ने झंडे के महत्व और आज की स्थिति पर अपनी रचना सुनाई. कार्यक्रम का संचालन डाॅ. कविता विकास ने अपने बेहतरीन अंदाज में किया.

प्रतिष्ठा वर्मा - जागो मेरे देशवासी जागो ठिठुर सी गई है ये वसुंधरा जैसी देशभक्ति कविता सुनाई. नीरज यादव ने कुर्बान कर देता मैं भी अपनी जान वतन पर जैसी ग़ज़ल सुना कर मन मोह लिया.

डाॅ. कविता विकास ने वतन है आबरू अपनी, वतन का मान करते हैं, ग़ज़ल सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी. निरजा पपी ने तुम आओगे  तो बाते करूँगी  प्रिय हरषित  मन से स्वागत  करूगी, प्रिय जैसी शानदार गीत सुनाई.

सुधांशु शेखर जी की कविता वेटिंग रूम में बैठा हूँ, सामने है स्विच बोर्ड, आज के हालात से रूबरू करवा रही थी तो अनिरुद्ध कुमार सिंह ने वतन के नाम शानदार रचना पढ़ी.

मुख्य अतिथि राजपाल यादव, महाप्रबंधक, बी सी सी एल ने देश के नाम अपने संदेश में हिंदी की महत्ता को दिखललाते हुए स्वर्गीय कवि बाजपेयी जी की आज के लिए प्रासंगिक कविता सुनाई.

ममता पांडे और मनीष यादव ने भी अपनी कविताओं से सबका मन मोह लिया. अनिल श्रीवास्तव ने छोटी पर धारदार कविता सुनाई. दीनबंधु आचार्य और नीरज यादव की कविताएँ देश के हालात पर गहरा प्रहार थीं.