विहिप व बजंरग दल ने मनाया अखण्ड भारत संकल्प दिवस

विश्व हिदू परिषद और बजरंग दल ने कतरास प्रखण्ड के द्वारा अखंड भारत संकल्प दिवस का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में आये हुये अतिथियों को भगवा पट्टा पहना कर स्वागत किया गया. कार्यक्रम में सभी लोगों ने अखंड भारत के चित्र के आगे दीप प्रज्वलित व पुष्पांजलि अर्पित कर अखंड भारत के प्रति अपनी भावना का व्यक्त किया.
कार्यक्रम के मुख्यवक्ता विश्व हिदू परिषद प्रान्त गौ रक्षा सह प्रमुख श्री कमलेश सिंह जी ने कहा कि विहिप और बजरंग दल अखंड भारत संकल्प दिवस का कार्यक्रम पूरे भारतवर्ष में हर स्थान पर आयोजित कर प्राचीन भारत के अखंड स्वरूप को दर्शा उसके सम्मान को विश्व में पुनस्र्थापित करना चाहते हैं. आज से पांच हजार साल पहले हिदू राजाओं का संपूर्ण आर्यावर्त जम्बू द्वीप पर शासन होता था, जो पश्चिम में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, पाक गुलाम कश्मीर से लेकर पूर्व में नेपाल, भूटान, म्यांमार तक तथा उत्तर में अक्साई चीन, तिब्बत से लेकर दक्षिण में श्रीलंका तक फैला हुआ था. कालांतर में अपनी गलतियों और आपसी फूट के कारण यह हिमालय से हिद महासागर तक छोटा सा जमीन का टुकड़ा रह गया है. 1947 को विभाजन के बाद बना पाकिस्तान हमें मंजूर नहीं है. हम भारत को पुन: अखंड बनाएंगे.
कार्यक्रम में आये मुख्यअतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ धनबाद महानगर कार्यवाह श्री पंकज सिंह जी ने कहा कि अखण्ड भारत महज सपना नहीं, श्रद्धा है, निष्ठा है. जिन आंखों ने भारत को भूमि से अधिक माता के रूप में देखा हो, जो स्वयं को इसका पुत्र मानता हो, जो प्रात: उठकर “समुद्रवसने देवी पर्वतस्तन मंडले, विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यम् पादस्पर्शं क्षमस्वमे. “कहकर उसकी रज को माथे से लगाता हो, वन्देमातरम् जिनका राष्ट्रघोष और राष्ट्रगान हो, ऐसे असंख्य अंत:करण मातृभूमि के विभाजन की वेदना को कैसे भूल सकते हैं,
1947 का विभाजन पहला और अन्तिम विभाजन नहीं है. भारत की सीमाओं का संकुचन उसके काफी पहले शुरू हो चुका था. सातवीं से नवीं शताब्दी तक लगभग ढाई सौ साल तक अकेले संघर्ष करके हिन्दू अफगानिस्तान इस्लाम के पेट में समा गया. हिमालय की गोद में बसे नेपाल, भूटान आदि जनपद अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण मुस्लिम विजय से बच गये.
श्री सिंह ने कहा कि सैन्य सामर्थ्य भारत के पास है. लेकिन क्या पाकिस्तान पर जीत से अखंड भारत बन सकता है? जब लोगों में मनोमिलन होता है, तभी राष्ट्र बनता है. अखंडता का मार्ग सांस्कृतिक है, न की सैन्य कार्रवाई या आक्रमण. देश का नेतृत्व करने वाले नेताओं के मन में इस संदर्भ में सुस्पष्ट धारणा आवश्यक है. भारत की अखंडता का आधार भूगोल से ज्यादा संस्कृति और इतिहास में है. खंडित भारत में एक सशक्त, एक्यबद्ध, तेजोमयी राष्ट्रजीवन खड़ा करके ही अखंड भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ना संभव होगा. कार्यक्रम में मुख्यरूप से बजरंग दल जिला सह संयोजक विकास बजरंगी, कतरास प्रखण्ड पालक पप्पू यादव, जिला गौ रक्षा प्रमुख रंजीत रवानी, कार्यसमिति सदस्य विकेश सिंह, प्रखण्ड अध्यक्ष बिनोद सिंह,कतरास प्रखण्ड संयोजक अनूप राय, प्रखण्ड सह संयोजक तापस दे, प्रखण्ड उपाध्यक्ष राखोहरी पटवा, प्रखण्ड सह मंत्री सुमित रवानी, शास्त्री लाहाकर, कल्याण घोष, पंकज दास, बिनोद चौहान, राज सोनी, पिंटू पटवा, झोला बनर्जी, रंजीत पंडित, कुंदन पटवा, सहदेव रवानी, अभिजीत राय,अंशु सिंह, चन्दन चक्रवर्ती, विशाल बजरंगी आदि के अलावे दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित थे.