अयोध्या का राम मंदिर महज उत्तर भारतीयों का नहीं कैसे पूरे देश को एक धागे में पिरोने की कोशिश

यूपी के अयोध्या में भव्य राम मंदिर वास्तुकला की उत्तरी शैली में तैयार किया जा रहा है. हालांकि, यह अपने आप में द्रविड़ संगम की खूबियों को भी समेटे हुए है. मंदिर का परिसर नाविक निषादराज और शबरी को समर्पित है. यह समाज के कमजोर समुदायों के प्रति श्रद्धा को दर्शाता है. मंदिर के निर्माण में केवल भारतीय संगठनों की सर्विस लेने का भी दावा किया जा रहा है. इस तरह राम मंदिर मजबूत राष्ट्रवादी मूल को बनाए हुए है और सांस्कृतिक व सामाजिक विविधताओं को भी समेटता नजर आता है.  

साल 2020 में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन हुआ था. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम को देश में विविधता में एकता का सामान्य सूत्र बताया था. यही खासियत मंदिर में भी दर्शायी गई है. गुजरात के रहने वाले प्रसिद्ध मंदिर वास्तुकार सोमपुरा परिवार की ओर से इसे डिजाइन किया गया है. यह मंदिर उत्तर भारत में लोकप्रिय वास्तुकला की नागर शैली में बनाया गया है. खास बात यह है कि इस शैली में चारदीवारी या एंट्री गेट नहीं हैं. हालांकि, 40 फीट चौड़ा व दो स्तर का परकोटा या दीवार मुख्य मंदिर के चारों ओर जरूर होगी. यह वास्तुकला की द्रविड़ शैली की पहचान है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने खुद यह जानकारी दी.  

नागर वास्तुकला के भीतर द्रविड़ वास्तुकला की झलक
मालूम हो कि दीवार की पहली मंजिल का इस्तेमाल भक्तों के लिए परिक्रमा मार्ग के तौर पर किया जाएगा. पंचायतन का कॉन्सेप्ट या मुख्य देवता के चारों ओर 4 देवताओं के मंदिर होंगे. नागर और द्रविड़ मंदिरों में ऐसा देखा जाता है. इसके अलावा परकोटा के चारों ओर सूर्य, शंकर, भगत और गणपति को समर्पित मंदिर बनाए गए हैं. इस प्रोजेक्ट को 4 इंजीनियरों की टीम लीड कर रही है. इन्हीं में से एक गिरीश सहस्त्रबुद्धे ने कहा, ´यह नागर वास्तुकला के भीतर समाहित द्रविड़ वास्तुकला का नमूना है. ´ इस तरह राम मंदिर की वास्तुकला उत्तर और दक्षिण भारत को जोड़ती नजर आती है.

Web Title : AYODHYAS RAM TEMPLE IS NOT JUST OF NORTH INDIANS, HOW TO UNITE THE ENTIRE COUNTRY IN ONE THREAD

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