आठवें दौर की बैठक भी रही बेनतीजा, किसान अपने मांगों पर अडिग, 8 जनवरी अगली बैठक

किसान संगठनों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच आठवें दौर की बहुप्रतिक्षित वार्ता भी सोमवार को बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई. दिल्ली के विज्ञान भवन में किसानों और सरकार के बीच वार्ता करीब चार घंटे चली, लेकिन इस दौरान किसी स्पष्ट नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका.  

किसान संगठन तीनों कानूनों को रद्द करने और MSP की गारंटी से कम पर राजी नहीं है. हालांकि आज सरकार तीनों कानूनों के हर पहलुओं पर बिंदूवार चर्चा करने को तैयार थी. अब वार्ता की अगली तारीख 8 जनवरी को दोपहर दो बजे तय की गई है.

30 दिसंबर को 7वें दौर की वार्ता के दौरान किसानों और सरकार के बीच बर्फ पिघली थी. सरकार किसानों की दो मांगों पर राजी भी हो गई है. इस मांग पराली जलाने और बिजली बिल से जुड़े थे. उस दिन वार्ता में शामिल केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसानों के साथ खाना भी खाया था. पर सोमवार को माहौल में गर्मी तभी ही दिख गई थी जब लंच ब्रेक के दौरान किसानों ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल को कहा दिया अब आज साथ खाना नहीं खाएंगे.  

लंच ब्रेक के बाद वार्ता बमुश्किल एक से डेढ़ घंटे से चली, इसके बाद वार्ता को मुल्तवी कर दिया गया.  

रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार की बैठक में किसान सिर्फ कानून वापसी की मांग पर ही अड़े रहे. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि हम किसानों के साथ तीनों कानूनों पर बिंदुवार चर्चा करना चाहते थे. लेकिन हम कोई निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके, क्योंकि किसान तीनों कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए थे. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सोमवार की वार्ता के बाद हमें उम्मीद है कि अगली वार्ता के दौरान हम कोई निष्कर्ष पर पहुंचेंगे.  

तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के मुद्दे पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीटिंग में कहा कि हमें देशभर के बाकी राज्यों के किसानों से भी बात करनी होगी, क्योंकि हमें बाकी देश के किसानों का हित भी देखना है. बहुत से राज्यों के किसान और संगठन इन तीनों कानूनों का समर्थन कर रहे हैं. उनका मानना है कि इससे किसानों का फायदा होगा. उन सबसे बातचीत करने के बाद ही मैं आपको बता पाऊंगा. इसलिए 8 जनवरी मीटिंग रखी गई है. उन्होंने कहा कि ताली दोनों ओर से बजती है.  

कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को समस्या के कानूनी पहलुओं पर भर भी ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर किसानों को सरकार पर भरोसा नहीं होता तो बातचीत की अगली तारीख तय नहीं होती. उन्होंने कहा कि सरकार पूरे देश के हित को ध्यान में रखकर फैसला लेगी.   

संयुक्त कमेटी को किसानों ने किया खारिज

बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक में किसानों से कहा कि सरकार MSP पर आपकी मांगों को मनाने को तैयार हैं आप चर्चा करें और अपनी मांग हमें बताए. सरकार की ओर से किसान संगठनों के MSP पर लिखित आश्वासन और तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की मांग पर कहा गया कि केंद्र एक संयुक्त कमेटी बना देती है वो तय करेगी कि इन तीनों कानूनों में क्या-क्या संशोधन किए जाने चाहिए. सरकार के इस प्रस्ताव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया.

संशोधन को नहीं करेंगे स्वीकार

मीटिंग के बाद किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रतिनिधि युद्धवीर सिंह ने कहा कि हमने सरकार को स्पष्ट कह दिया है कि कानून पर चर्चा करने का अब कोई मतलब नहीं है क्योंकि हम पूरी तरह से कानून वापसी चाहते हैं. सरकार हमें संशोधन की ओर ले जाना चाहती है, लेकिन इसें हम स्वीकार नहीं करेंगे.  

बेहद दबाव में है सरकार

ऑल इंडिया किसान सभा के हन्ना मोल्ला ने कहा कि सरकार बेहद दबाव में है. हमने दो टूक कह दिया है कि सरकार इन कानूनों को रद्द करे. हम इससे जुड़े किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं चाहते हैं. जब तक कानून खत्म नहीं होता है, प्रदर्शन जारी रहेगा.  


Web Title : EIGHTH ROUND OF MEETING ALSO INCONCLUSIVE, FARMERS STICK TO THEIR DEMANDS, 8 JANUARY NEXT MEETING

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