लोकसभा चुनाव 2024 में उम्मीदवारों की दावेदारी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में मंथन जारी है. किस उम्मीदवार को कौन सी सीट से उतारा जाए इसे लेकर बिहार भाजपा सावधानी से आगे बढ़ रही है. मामले से वाकिफ पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य चुनाव समिति की बैठक में पहले ही भाजपा द्वारा उतारे जाने वाले संभावित उम्मीदवारों पर विचार-विमर्श किया जा चुका है. हालांकि, अंतिम निर्णय केंद्रीय समिति की मंजूरी के बाद ही लिया जाएगा. ऐसा बताया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में केंद्रीय समिति की बैठक के बाद उम्मीदवारों के नाम पर पार्टी का फैसला सामने आ सकता है. राज्य में उम्मीदवारों के नाम को लेकर बिहार के दोनों डिप्टी सीएम कोर कमेटी की बैठक के लिए आज नई दिल्ली जाएंगे. इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद रहेंगे.
नीतीश के आने से बढ़ेंगी सीट शेयरिंग की मुश्किलें?बिहार में लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की चर्चा को करीब से समझने वाले एक वरिष्ठ नेता ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा, बीजेपी बिहार में अपने कुछ उम्मीदवारों को बदल सकती है, लेकिन यह पार्टी के लिए एकमात्र चिंता का विषय नहीं है. 2019 जैसी स्थिति फिर से वापस लाने के लिए भाजपा गठबंधन सहयोगियों से जीतने योग्य उम्मीदवारों को भी पेश कर सकती है. एक और कठिनाई जेडीयू के देर से एनडीए में शामिल होने से उत्पन्न हुई है, जो छोटे गठबंधन सहयोगियों के लिए संभावनाओं को सीमित कर सकती है. बिहार में एनडीए में दो बड़े घटक दलों बीजेपी और जेडीयू के अलावा एलजेपी, पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की एचएएम (हम), उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा और मुकेश साहनी की वीआईपी के शामिल होने की संभावना है.
सीट शेयरिंग की मुश्किलों से कैसे निपटेगी एनडीएसामाजिक विश्लेषक डीएम दिवाकर ने कहा, भाजपा के लिए यह आसान नहीं होगा क्योंकि कभी-कभी बहुतायत की समस्या बड़े सिरदर्द का कारण बनती है. बीजेपी को अपने उम्मीदवारों के अलावा भी कई मुद्दे सुलझाने हैं. जेडीयू के शामिल होने का मतलब है कि पार्टी 2019 जैसा ही व्यवहार चाहेगी, लेकिन यह अन्य गठबंधन सहयोगियों की उम्मीदों के खिलाफ होगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी इन पार्टियों को एकजुट रखने के लिए उनकी चुनौतियों से कैसे निपटेगी. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार और विधान परिषद चुनाव के लिए सीटों की घोषणा में देरी को भी इसी संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए, क्योंकि एनडीए के उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिलने के बाद असंतोष फैला हुआ है. यही कारण है कि भाजपा ने बिहार के लिए घोषणा करने में देरी की है. उन्होंने कहा, महागठबंधन में कमोबेश सीट बंटवारे को लेकर यह धारणा प्रबल है कि राजद सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगा, उसके बाद कांग्रेस और वामपंथी दल होंगे. तीन बड़ी पार्टियों के इर्द-गिर्द घूमती अंकगणित राज्य की मुख्यतः त्रिकोणीय राजनीति प्रस्तुत करती है. महागठबंधन के लिए, सही उम्मीदवार ढूंढना एक चुनौती होगी, क्योंकि पिछली बार वह केवल एक सीट ही जीत सकी थी. लेकिन इससे उसे यहां फायदे की ही है क्योंकि इस बार के चुनाव में उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है.