हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर भारत ने अमेरिका का दिया साथ, रूस-ईरान ने किया था विरोध

नई दिल्ली : भारत के रणनीतिक साझेदार रूस और ईरान ने एक दिन पहले ही ´हिंद-प्रशांत क्षेत्र´ की धारणा को खारिज कर दिया था. हालांकि भारत के विदेश सिचव विजय गोखले ने इस धारणा का बचाव किया है. नई दिल्ली में वैश्विक सम्मेलन के दौरान विदेश सचिव ने कहा कि अगर भारत के दृष्टिकोण से देखें तो ´हिंद-प्रशांत क्षेत्र´ उन क्षेत्रों के लिए ´समावेशी´ और ´सुरक्षा´ की गारंटी था.   

विजय गोखले ने एशिया-प्रशांत से इसकी तुलना कहते हुए कहा, ´एशिया-प्रशांत की अवधारणा शुरुआत में  एक ´औपनिवेशिक अवधारणा´ थी. लेकिन अगर एक बार यह बात भूल भी जाएं कि बहुत पहले एशिया में उपनिवेश आया था तो भी सच यही है कि भारत इसके जरिए ही हजारों सालों से दक्षिण एशिया, चीन और विश्व के अन्य क्षेत्रों से जुड़ा है.      

बता दें, बुधवार को अपने भाषण में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका नीत हिंद-प्रशांत पहल की पुरजोर निंदा करते हुए कहा था कि इसका मकसद क्षेत्र में चीन के दबदबे को रोकना है.

जिसके जवाब में भारत के विदेश सचिव ने कहा, ´मुझे लगता है 21वीं शताब्दी में कनेक्टिविटी का अहम रोल होने वाला है. हमारे लिए ग्लोबल रिसोर्स महत्वपूर्ण है और हिंद-प्रशांत एक ग्लोबल रिसोर्स है. ´ उन्होंने आगे कहा कि हिंद-प्रशांत जिसकी शुरुआत अमेरिका ने की है, अब उनके लिए एक रणनीतिक फॉरेन पॉलिसी और रणनीतिक टूलकिट बन गई है.   

इसी बहस के दौरान अमेरिकी उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मैथ्यू पॉटिंगर ने कहा कि स्वतंत्र और खुला हिंद-प्रशांत क्षेत्र कोई समूह या सैन्य गठबंधन नहीं है, बल्कि एक सैद्धांतिक सोच है.

उन्होंने कहा, ´´यह देशों का समुदाय है जो कानून के शासन का सम्मान करता है, समुद्री क्षेत्र तथा आसमान में परिवहन की आजादी के लिए खड़ा रहता है, खुले व्यापार, खुली सोच को बढ़ावा देता है तथा इस सबके ऊपर हर देश की संप्रभुता का बचाव करता है.

पॉटिंगर ने कहा, ´´यह किसी देश को अलग नहीं करता, बल्कि हर राष्ट्र के उन सिद्धांतों का सम्मान करता है और उन्हें प्रोत्साहित करता है जो हमसब साझा रूप से रखते हैं.

Web Title : INDIAS U.S. PROTESTS OVER INDO PACIFIC REGION, RUSSIA IRAN

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