नेपाली संसद पर ढीली हुई वामपंथी पकड़, चीन को बड़ा कूटनीतिक झटका

नेपाल के दो प्रमुख वामपंथी नेताओं के दलों को चुनावों में मिली हार से नेपाली संसद पर चीन की पकड़ ढीली होगी. चुनावों में पूर्व नेपाल के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों (केपी शर्मा ओली व पुष्प कमल दहल प्रचंड)  वाली नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के खराब प्रदर्शन से नए सत्ताधारी गठबंधन को भी राहत मिलेगी.

एक रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल में हुआ ये बदलाव चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए बड़ा कूटनीतिक झटका है, क्योंकि देउबा के नेतृत्व वाले गठबंधन के तहत काठमांडो में शक्ति समीकरणों का झुकाव अब चीन के बजाय भारत की तरफ होगा. देउबा को अमेरिका का विश्वस्त भी माना जाता है.

उन्होंने अमेरिका के साथ मिलेनियम चैलेंज कॉर्पोरेशन समझौते को आगे बढ़ाने के लिए वामपंथी दलों से कड़ी टक्कर ली थी. इसके अलावा नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली पांच-दलीय गठबंधन सरकार का जुलाई 2021 में गठन के बाद से चीन के साथ सीमित जुड़ाव रहा है. दूसरी तरफ बिना चर्चा के सीमा पर अतिक्रमण का मुद्दा उठाने को लेकर चीन पहले ही देउबा सरकार से नाराज है. चुनावों में नेपाली कांग्रेस 53 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है. वहीं, विपक्षी कम्युनिस्ट पार्टी को 42 सीटें मिली हैं.

केपी शर्मा ओली-पुष्प कमल दहल की हार से नेपाल में घटेगा चीन का दखल

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Web Title : LEFT WING GRIP ON NEPALS PARLIAMENT LOOSENS, MAJOR DIPLOMATIC SETBACK FOR CHINA

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