जश्न-ए-आजादी: सिर्फ भारतीय होने के बात करें, अधिकार ही नहीं जिम्मेदारियों का बोध भी जरूरी-मुस्ताअली बोहरा

इस बार आजादी का जश्न कुछ अलग है, कोरोना संकट के बीच पीएम नरेन्द्र मोदी आत्म निर्भर भारत के तहत कई नए ऐलान कर सकते हैं, इनमें से एक जनसंख्या नियंत्रण कानून भी हो सकता है. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370, तीन तलाक और अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण के बाद अब केन्द्र की सत्त्सीन सरकार अपने उस एजेण्डे पर आगे बढ रही है जिसका उसने वादा किया था. केन्द्र सरकार पूरे देश में एक संविधान लागू करना चाहती है यानि हर शख्स के लिए एक ही कानून होगा फिर चाहे वह किसी भी मजहब का हो. तीन तलाक को खत्म कर केन्द्र सरकार ने समान नागरिक संहिता की ओर कदम पहले ही बढा दिए हैं. राष्ट्रीय नागरिक पंजी यानि एनआरसी को भी पूरे देश में लागू किया जाना है. एनआरसी के मुताबिक, जिस व्यक्ति का नाम सिटिजनशिप रजिस्टर में नहीं होता है उसे अवैध नागरिक माना जाता है. खैर, सबका साथ सबका विकास नारा देने वाली केन्द्र सरकार से कोरोना महामारी और तंगहाली से जूझ रहे लाखों लोगांे को कई उम्मीदें है.  

बात जश्न-ए-आजादी की हो रही है. यूं तो आजादी का मतलब ये है कि हर नागरिक खुद को अधिकारसंपन्न महसूस करे. संविधान में भी हरेक बाशिंदे को समान अधिकार दिए गए हैं, लेकिन व्यावहारिक तौर पर क्या हर किसी को बराबर अधिकार हासिल हैं, क्या सभी को समान रूप से न्याय मिल पा रहा है, क्या हर किसी को समान रूप से शिक्षा और रोजगार मिल पा रहा है ऐसे ही कई सवाल आज भी खडे हुए हैं. ये भी सच है कि पहले की बजाए अब लोग अपने अधिकारों को लेकर ज्यादा सजग हो गए हैं. आगे बढ़ने की आकांक्षा बढ़ी है, जो किसी न किसी रूप में व्यक्त भी हो रही है. अभिव्यक्ति की आजादी का दायरा भी बढा है. आज सोशल वेबसाइट्स पर लोग खुलकर अभिव्यक्ति व्यक्त कर रहे हैं. लोगों की सामाजिक-राजनीतिक चेतना इनके जरिए विस्तार पा रही है. बहरहाल, दुनिया का कोई देश ऐसा नहीं जहां कोई न कोई समस्या न हो, अपने मुल्क में भी है. लेकिन अहम ये है कि क्या हम समस्याओं के समाधान के लिए संकल्पित हैं ? क्या अपनी जिम्मेदारियों को हम अपनी स्वतंत्रता का अभिन्न अंग बनाने का भी संकल्प लेंगे ? या फिर हर समस्या के लिए सरकार पर ठीकरा फोडते रहेंगे. किसी भी समाज या देश की तरक्की के लिए उसके नागरिकों का अपनी जिम्मेदारियों के प्रति संकल्पित होना महत्वपूर्ण होता है. इस बार आजादी में हम यही संकल्प लें कि अपने समाज और देश की तरक्की के लिए काम करेंगे.

आजादी के बीते सालों में देश ने काफी विकास किया है. वैश्विक स्तर पर आज भारत की एक विशेष पहचान है, लेकिन सामाजिक स्तर पर अभी काफी सुधार की गुंजाइश है. लोक-कल्याण, सामाजिक समरसता, न्याय, समानता, एकता एवं अखंडता और भाईचारे को मजबूत करना होगा. जरूरी है कि हम खुद को मजहब, वर्ग, फिरकों में न बांटकर सिर्फ भारतीय नागरिक होने के बात करें. जहां तक राजनीतिक दलों का सवाल है तो इनका मकसद महज सत्ता प्राप्ति तक सीमित होकर रह गया है इसलिए भारतीय लोकतंत्र और राजनीति को सहीं दिशा देने का काम भी हमें ही करना होगा, वह भी देशहित को सर्वोपरि रखकर. . . जयहिंद. .  

Web Title : CELEBRATION E AZADI: JUST TALK ABOUT BEING INDIAN, NOT RIGHTS BUT ALSO A SENSE OF RESPONSIBILITY MUSTAALI BOHRA