निश्चेतना विशेषज्ञ ने किया प्रसूता को हाथ लगाने से इंकार,अस्पताल में ऑपरेशन नहीं होने पर गरीब प्रसूता को निजी अस्पताल में करना पड़ा ऑपरेशन, पीड़ित परिवार ने की कार्यवाही की मांग

बालाघाट. जिला अस्पताल के प्रसूती वार्ड मंे किस तरह महिला चिकित्सकों के दुर्व्यवहार का सामना मरीज ओर मरीजों के परिजनों को करना पड़ता है, इसका जीवंत उदाहरण है लालबर्रा अंतर्गत ग्राम धपेरा कारीटोला निवासी नारायण सैयाम. जिसने अपनी वर्षो बाद गर्भवती हुई पत्नी ताराबाई सैयाम को दूसरे प्रसव पीड़ा के लिए जिला चिकित्सालय के प्रसूता वार्ड में 28-29 सितंबर की दरमियानी रात्रि भर्ती कराया गया था. जिसे देखने के बाद महिला चिकित्सक डॉ. रश्मि बाघमारे ने उसे ऑपरेशन के लिए कहा. चूंकि महिला की उम्र 45 वर्ष थी और 12 वर्ष बाद परिवार में नवजात का आगमन होना था. जिससे परिवार प्रसूता के प्रसव को लेकर चितिंत था, लेकिन 29 सितंबर को भी सुबह उसका ऑपरेशन नहीं हो सका. जिससे उसकी तकलीफ बढ़ते जा रही थी, फिर शाम डॉ. रश्मि बाघमारे ने उसे पुनः ऑपरेशन के लिए कहा, लेकिन निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी भौतेकर ने महिला की उम्र और उसके नाटे पन की बात कहकर उसे निश्चेत करने से इंकार कर दिया. जिससे परेशान परिवार ने डॉ. भौतेकर के हाथ-पांव जोड़े लेकिन मानवीय संवेदनाओं को खो चुकी डॉ. भौतेकर ने गरीब परिवार की मिन्नतों को नजरअंदाज कर अपने अड़ियल रवैया बनाये रखे. हद तो तब हो गई जब आरएमओ के कहने पर भी उन्होंने मरीज को निश्चेत करने से मना कर दिया. जिससे परेशान गरीब परिवार ने डॉ. ममता डोंगरे के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया, जिसके बाद 30 सितंबर और 1 अक्टूबर की दरमियानी रात 1 बजे महिला ने नवजात बेटी को जन्म दिया. जिसका परिवार को खर्चा 28 हजार रूपये अस्पताल ने बताये. गरीब परिवार के लिए पत्नी के ऑपरेशन से नवजात का जन्म का खर्च, उसके आर्थिक हालत से कहीं ज्यादा है, यदि समय रहते निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. भौतेकर मरीज को निश्चेत करने का इंजेक्शन लगा देती तो डॉ. रश्मि बाघमारे महिला का ऑपरेशन कर प्रसव करवा देती और गरीब परिवार को ज्यादा खर्च भी नहीं आता, लेकिन निश्चेतना विशेषज्ञ की मानवीय संवेदनाओं से विपरित आचरण करने से न केवल गरीब परिवार को आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है बल्कि गरीब परिवार को संस्थागत प्रसव का लाभ नहीं देकर सरकार की छवि पर भी असर पड़ा है. अब इस मामले में पीड़ित नारायण ने पत्नी के प्रसव में निश्चेतना विशेषज्ञ द्वारा दिखाये गये मानवीय संवेदनाओं से परे आचरण और उसके कारण निजी चिकित्सालय में करवाये गये प्रसव की पूरी घटना से अवगत कराते हुए निश्चेतना विशेषज्ञ पर कार्यवाही की मांग की है.  

इस दौरान महाकौशल राष्ट्र समिति महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती मनोरमा नागेश्वर भी उपस्थित थी. जिन्होंने भी चिकित्सक के व्यवहार को मानवीय संवेदनाओं से विपरित बताते हुए कहा कि जिला चिकित्सालय के प्रसूती वार्ड में आने वाली प्रसूता महिलाओं के साथ समुचित व्यवहार नहीं किया जाता है, वहीं उन्होंने आरोप लगाया कि आज भी प्रसूताओं के प्रसव के लिए अस्पताल में रूपये लिये जाते है.

इस मामले मंे प्रसूता महिला के परिजनों ने भी अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि पहले रक्त की आवश्यकता बताई गई, जब रक्त लाया गया तो निश्चेतना विशेषज्ञ ने प्रसूता को अधिक उम्र और नाटा बताकर इंजेक्शन लगाने से मना कर दिया. जिसके आगे हाथ जोड़ने और पैर पड़ने के बाद भी उसका मन नहीं पसीजा. ऐसे हालत में प्रसव से तड़पती पत्नी को लेकर वह निजी अस्पताल पहुंचे. यदि ऐसा नहीं होता तो हमें निजी अस्पताल में प्रसव कराने इतने रूपये नहीं देने पड़ते और अस्पताल में ही हमारा प्रसव हो जाता.  


Web Title : ANAESTHESIA EXPERT REFUSES TO TOUCH DELIVERY, POOR DELIVERY HAD TO BE OPERATED ON IN PRIVATE HOSPITAL FOR NOT OPERATING IN HOSPITAL, VICTIMS FAMILY DEMANDS ACTION