सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ो के हितैषी थे बी.पी. मंडल-मुंजारे,जयंती पर क्रांतिकारी नेता पूर्व सांसद और समर्थकों ने किया याद

बालाघाट. भारत के सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गो के हितो के विषय में रिपोर्ट तैयार करने वाले बी. पी. मंडल की 25 अगस्त को जन्म जयंती, जिले के क्रांतिकारी नेता और पूर्व सांसद कंकर मुंजारे के निज-निवास स्थान पर मनाई गई. इस दौरान पूर्व सांसद कंकर मुंजारे, शेखर नगपुरे, धर्मेंद्र कुरील, गोकुल मोहारे, दर्शन हिरापुरे सहित अन्य मौजूद थे.  

जन्म जयंती पर बी. पी. मंडल के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर उनके सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गो के हितों के लिए किये गये कार्यो को याद किया गया. इस दौरान पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बी. पी. मंडल सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ो के हितैषी थे. उन्होंने बताया कि बी. पी. मंडल का जन्म 25 अगस्त 1918 को बनारस में हुआ था. वे जाने-माने अधिवक्ता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय रासबिहारी मंडल एवं श्रीमती स्वर्गीय सीतावती मंडल की सातवीं संतान थे. इनका बचपन बिहार राज्य के मधेपुरा के मुरहो गांव में बीता. जो एक जमींदार परिवार से नाता रखते थे. जिन्होंने गांव के सरकारी स्कूल प्राथमिकी शिक्षा हासिल करने के बाद पटना के कॉलेज से अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने के बाद मजिस्ट्रेट के तौर पर कार्य किया. बाद में वे नौकरी  छोड़कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गये. जहां से राजनीतिक शुरूआत करते हुए बाद में वह कांग्रेस छोड़कर जनता पार्टी में शामिल हो गये. बाद में वह बी. पी. मंडल ने बिहार की मधेपुरा से चुनाव लड़ा और ये इस सीट से 1967 से 1970 और 1977 से 1979 तक सांसद रहे थे. वर्ष 1968 में वे बिहार के सातवें मुख्य मंत्री बने. 1 फरवरी 1968 को इन्होने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली किन्तु 30 दिनों के बाद इन्हें बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

जनता पार्टी के शासनकाल में बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया और इसे भारत के सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के हितों के विषय में रिपोर्ट तैयार करने का कार्य सौंपा गया था. इस कमीशन का गठन साल 1978 में किया गया था और इस कमीशन ने अपनी रिपोर्ट 1980 में तैयार की थी. इस कमीशन द्वारा बनाई गई रिपोर्ट में कई सारी सिफारिशें की गई थी. जिसमें नौकरियों एवं शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने की सिफारिश की गई थी. वर्ष 1990 में तत्कालीन वी. पी. सिंह सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिसों को लागू करने की अधिसूचना जारी की, जिसको लेकर देश के कई सारे हिस्सों में विरोध भी हुआ था.

बी. पी. मंडल ने अपने जीवन की आखिरी सांस 13 अप्रैल 1982 में ली थी. इनकी पत्नी का नाम सीता मंडल था और इनके कुल सात बच्चे थे. जिसमें से पांच बेटे और दो बेटियां हैं. इनके परिवार के लोग आज भी राजनीति से जुड़े हुए हैं. भारत सरकार ने साल 2001 में उनके सम्मान में डाक टिकट जारी की थी. इनके सम्मान में एक इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना 2007 की गई थी.


Web Title : B.P. MANDAL MUNJARE, REVOLUTIONARY LEADER REMEMBERED BY FORMER MP AND SUPPORTERS ON JAYANTI