गोवर्धन पूजा पर खिलिया मुठिाया देवस्थल आखर मैदान में खेली गाय,गोवारी समाज ने निभाई परंपरा, कोरोना पर भारी पर्व का उत्साह

बालाघाट. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा भगवान श्री कृष्ण को गोवर्धन नाथ के रूप में पूजन का त्यौहार है. कहते है जो व्यक्ति गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण के इस अवतार की पूजा करता है, उसके मन के श्रद्धा और भक्ति के भावों में वृद्धि होती है. ऐसी मान्यता है कि एक बार बृजवासी मिलकर भगवान इंद्र देव की उपासना करने जा रहे थे, उस समय भगवान विष्णु के परमावतार श्रीकृष्ण को इंद्रदेव की पूजा के बारे में पता चला तो उन्होंने सभी बृजवासियों से कहा कि वह इंद्रदेव की पूजा ना करके गोवर्धन पर्वत की पूजा करें. क्योंकि इस पर्वत की छत्र-छाया में ही समस्त बृजवासी सुख से अपना जीवन व्यतीत कर पा रहे है. बृजवासियों को भगवान श्रीकृष्ण की यह बात अच्छी लगी और उन्होंने निश्चय किया कि अब हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को श्री गोवर्धन पर्वत की पूजा करेंगे. जब इस बारे में भगवान इंद्र को पता चला तो उन्होंने क्रोधित हो बृज में खूब वर्षा की. तब बृजवासियों की रक्षा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सबसे छोटी उंगली पर सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को धारण कर बृजवासियों की रक्षा की थी. तब से ही गोवर्धन पूजा करने की परंपरा चली आ रही है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान गोवर्धन अपने सभी भक्तों की रक्षा करते है. इसी परंपरा के तहत आज 16 नवंबर को नगर के बस स्टैंड स्थित खिलिया मुठिया देवस्थल पर गोवारी समाज द्वारा गोवर्धन पूजा कर गाय खेलने की परंपरा निभाई गई.  

गोबर का गोवर्धन पर्वत बनाकर की पूजा अर्चना

जिला गोवारी समाज जिलाध्यक्ष कमलकिशोर राऊत ने बताया कि प्रतिवर्ष दीपावली के तीसरे दिन सामाजिक रूप से मुख्यालय के बस स्टैंड स्थित खिलिया मुठिया देवस्थल पर गाय के गोबर से प्रतिकात्मक गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और उसकी पूजा-अर्चना की जाती है. जिस पर गाय के बछडे़ को रखा जाता है, जहां गाय आकर अपने बछड़े के साथ खेलती है. सामाजिक रूप से मान्यता यह भी है कि इस इस स्थल पर नवजात शिशु को रखने से उस पर आने वाली तमाम बाहरी बलाओं से उसको निजात मिल जाती है. यही नहीं बल्कि प्रतिकात्मक बनाये गये गोवर्धन पर्वत के गोबर का सामाजिक बंधु एकदूसरे को तिलक लगाकर पर्व की बधाई देते है और उसके निरोगी होने की कामना करते है. इससे पूर्व देवस्थल खिलिया मुठिया की सामाजिक लोगों द्वारा भक्तिभाव से पूजा अर्चना की गई.  

कोरोना के चलते नहीं दिखा मेले जैसा स्वरूप

प्रतिवर्ष दीपावली के तीसरे दिन गोवारी समाज द्वारा बस स्टैंड के खिलिया मुठिया देवस्थल के मैदान में गोवर्धन पूजा और गाय खेलने की परंपरा के दौरान बड़ी संख्या में सामाजिक लोग मौजूद रहते थे और यहां बच्चों के खिलौने से लेकर गुब्बारे तक की दुकानें सजा करती थी लेकिन इस वर्ष कोरोना बीमारी के कारण ऐसा नजारा देखने को नहीं मिला और सामाजिक लोगों की उपस्थिति भी कम रही. हालांकि परंपरा के निर्वहन और गोवर्धन पूजा का उत्साह सामाजिक लोगों में देखते ही बनता था.  

इस दौरान पूजन स्थल पर सदन सहारे, संतोष कोरडे, गोवारी समाज पूर्व जिलाध्यक्ष कन्हैया राऊत, आदिवासी गोवारी समाज जिलाध्यक्ष महेश सहारे, वरिष्ठ अरूण मंडलवार, नगर अध्यक्ष सुनील भातपीरे, रामगोपाल राऊत, रवि वगारे, तेजु नेवारे, रवि राऊत, ललित मानकर, बिट्टु राऊत सहित अन्य सामाजिक नागरिक मौजूद थे.


Web Title : GOVARDHAN PUJA TO BE PLAYED AT KHILIA MUTHIYA DEVTHAL AKHAR MAIDAN, GOWARI SAMAJS TRADITION, THE EXCITEMENT OF A HEAVY FESTIVAL ON CORONA