कैसे बनाये खराब धान से गुणवत्तापूर्ण चांवल,गोंगलई ओपन कैप में रखी खराब धान लेने से मिलर्स ने किया इंकार, मिलर्स को उपलब्ध कराई जायेगी अच्छी धान-पाटिल

बालाघाट. धान उत्पादक बालाघाट जिले में प्रतिवर्ष शासन द्वारा समर्थन मूल्य में बड़ी मात्रा मंे धान की खरीदी की जाती है, शासन के तमाम निर्देश के बावजूद समर्थन मूल्य में खरीदी गई धान के उचित रख-रखाव के अभाव और मिलिंग के देरी से आदेश के चलते अक्सर बालाघाट जिले में खरीदी गई धान के खराब होने की शिकायतें आती रहती है, ऐसे में राईस मिलर्स के सामने समस्या यह है कि शासन द्वारा दी जाने वाली खराब धान से वह गुणवत्तापूर्ण चावल कैसे प्रदान करें.  

यह सही है कि सरकार ने हमेशा से ही राईस मिलर्स की इस समस्या को ध्यान में रखते हुए मिलिंग दर बढ़ाकर दिये जाने की बात कही है लेकिन मिलर्स की समस्या यह है कि धान से चावल बनाने की प्रक्रिया में चावल ही नहीं बन पानेे वाले धान का उठाव कैसे करें. उस पर जिम्मेदारों की तानाशाही कार्यप्रणाली, राईस मिलर्स के शासन का सहयोग करते हुए मिलिंग करने के हौंसले को कमजोर कर रही है. जिसको लेकर राईस मिलर्स एशोसिएशन ने नाराजगी जाहिर की है. बकौल राईस मिलर्स एशोसिएशन जितेन्द्र मोनु भगत का कहना है कि जब आरोह कटवाकर धान लेने कैप पहुंचे तो सीडब्ल्युसी बालाघाट प्रबंधक उन्हें ओपन कैप से खराब धान ले जाने का दबाव बनाया. जिसको लेकर बार-बार मैने उनसे चावल बन पाये, ऐसी धान देने का आग्रह किया तो उन्होंने आरोह वापस रख लिया. यही नहीं बल्कि गत दिवस भी राईस मिलर्स समीर सचदेव धान लेने पहुंचे तो उन्हें ओपन कैप में रखी खराब धान दी जा रही थी, जिसको लेकर व्यापारी ने नाराजगी जाहिर करते हुए आपत्ति दर्ज कराई. जिस मामले के प्रकाश में आने के बाद अब सीडब्ल्युसी के जिला प्रबंधक श्री पाटिल ने व्यापारियों को अच्छी धान देने का भरोसा दिलाया है.

सुरक्षा के अभाव में ओपन कैप में रखी धान पर उग आये पौधे, काली पड़ी धान

जिले में शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली धान के उचित रख-रखाव को लेकर धान के खराब होने का मामला कोई नया नहीं है, बीते वर्षो की तरह इस वर्ष भी सीडब्ल्युसी और विपणन विभाग द्वारा ओपन कैंप में रखी गई धान के खराब होने की बात जानकार कह रहे है. जहां बालाघाट के तहत गोंगलई, गर्रा, मानेगांव और जिले के कटंगी सहित वारासिवनी के खापा ओपन कैप मंे रखी गई धान, जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते न केवल खराब हो गई है बल्कि इसमें पौधे भी उग आये है और धान पूरी काली पड़ गई है. जिस धान को मिलिंग के लिए दिये जाने पर मिलर्स नाराजगी जाहिर कर रहे है. मिलर्स का कहना है कि तत्कालीन समय में फुड विभाग की जांच में खराब चावल को लेकर की गई जांच और कार्यवाही से वह परेशान रहे है और अब आगे वह ऐसी परेशानी नहीं उठाना चाहते है, जिसके लिए गुणवत्तापूर्ण चावल के लिए उन्हें अच्छी धान प्रदान की जाये.

गोदाम प्रभारी विजेन्द्र ठाकुर की कार्यप्रणाली को तानाशाही बता रहे मिलर्स

शासन का सहयोग करते हुए शासन के नियमानुसार मिलिंग करने तैयार मिलर्स का कहना है कि सीडब्ल्युसी के गोदाम प्रभारी विजेन्द्र ठाकुर की कार्यप्रणाली तानाशाही पूर्ण है और धान की सुरक्षा को लेकर अपनी गैर जिम्मेदारी से धान को खराब करके पहुंचाने वाले गोदाम प्रभारी अब मिलर्स को खराब धान का उठाव करने दबाव बनाकर मजबूर कर रहे है. मिलर्स एशोसिएशन जिलाध्यक्ष जितेन्द्र मोनु भगत का कहना है कि जिले के सीडब्ल्युसी और विपणन अधिकारी के सामंजस्य और तालमेल नहीं रखने से मिलर्स को परेशानी हो रही है. गोदाम प्रभारी विजेन्द्र ठाकुर, मिलर्स का सहयोग नहीं कर रह मिलिंग कार्य में बाधा पैदा कर रहे है और मैं स्वयं इसका भुक्तभोगी हूॅ, मैं मिलर्स के नाते धान के कटाये गये आरोह को लेकर सवा महिने में चालीस बार आ चुका हूॅं कि मुझे अच्छा धान दिया जायें लेकिन गोदाम प्रभारी की कार्यप्रणाली से मुझे हमेशा ही निराश होकर लौटना पड़ा. गोदाम प्रभारी सुनते नहीं है और स्वयं कहते है कि मुझे और कहीं भिजवा दो. जिले में अधिकारियों की कार्यप्रणाली के कारण मिलर्स दोहरे दबाव में जी रहे है.  

तो इश्युरेंस के आधार पर खराब धान की करें नीलामी

मिलर्स की मानें तो किसानों की मेहनत से उगाई गई धान को शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता है और विभागों के कैप में उसे भंडारित किया जाता है, जिसमें भंडारित समय तक उसे सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी विभाग के जिम्मेदारों की है, खरीदी गई धान का बीमा भी कराया जाता है. यदि धान खराब हो गई तो विभाग ऐसी खराब धान को बाहर करके उसकी नीलामी कराये, जिस प्रकार यूपी और छत्तीसगढ़ में होता है. जानकारो की मानें तो 2012 से 2015 तक जिले में भी खराब धान को नीलाम किया जाता रहा है लेकिन उसके बाद से ऐसा नहीं किया जाकर दबाव बनाकर खराब धान को भी मिलिंग करने व्यापारियों को जबरदस्ती दिया गया, जिसका खामियाजा फुड विभाग की जांच में मिलर्स को उठाना पड़ा है. बहरहाल अब इससे सबक लेकर मिलर्स गुणवत्तापूर्ण चावल के लिए अच्छी धान देने की बात कह रहे है.

खराब धान लेने दबाव बना रहे अधिकारी-मिलर्स समीर सचदेव

मिलिंग के लिए आरोह के अनुसार गोंगलई कैप पहुंचे मिलर्स समीर सचदेव ने कहा कि जो धान गोदाम प्रभारी द्वारा मिलिंग के लिए दी जा रही थी, वह 10 से 15 प्रतिशत डिसकलर और डेमेज धान है और नमी के कारण धान भी खराब हो गई है. जिससे शासन के नियमानुसार डिसकलर और डेमेज चावल देना संभव ही नहीं है. चूंकि बालाघाट जिले में नॉन साल्टेक मशीनो का उपयोग मिलर्स करते है, ऐसी मशीनों से ऐसी धान से अच्छा चावल नहीं निकल सकता है. शासन की धान से चावल बनाकर देने किये गये अनुबंध के अनुसार हमें समय-सीमा में मिलिंग करके देना है, जब मिलिंग के लिए वह गोंगलई कैप में धान लेने पहुंचे तो उन्हें अच्छी धान न देकर खराब धान दी जा रही थी. जो डिसकलर और डेमेज धान थी. जब हमने इसका विरोध कर अच्छी धान देने की बात कही तो गोदाम प्रभारी द्वारा हम पर वही धान ले जाने का दबाव बनाया गया. जिस पर हमने नाराजगी जाहिर की. स्वभाविक है कि ऐसी खराब धान से शासन के नियमानुसार चावल वह कैसे दे पायेंगे. अपनी गलती का खामियाजा मिलर्स पर थोपा जा रहा है, जो गलत है.

शिकायत के पत्राचार बाद भी मिलर्स की सुनवाई नहीं-अध्यक्ष जितेन्द्र मोनु भगत

जिला मिलर्स एशोसिएशन जिलाध्यक्ष जितेन्द्र मोनु भगत ने कहा कि शासन, आयुष मंत्री रामकिशोर कावरे और जिला प्रशासन के आश्वासन के बाद बढ़े मिलिंग चार्ज पर जिले के मिलर्स, मिलिंग करने तैयार है, भले ही बारिश और तकनीकि कार्यो से गति धीमी है, बावजूद इसके मिलर्स, मिलिंग समय पर करने तैयार है, लेकिन सीडब्ल्युसी और विपणन अधिकारी का मिलर्स से तालमेल ठीक नहीं है, अधिकारियों के साथ सामंजस्य नहीं होने के कारण मिलर्स को परेशान होना पड़ रहा है. हम शासन का सहयोग करने तैयार है लेकिन मिलर्स खराब धान नहीं लेगा. मिलर्स पर अपनी लापरवाही से खराब हुई धान को लेने का दबावकर मजबूर किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में मिलर्स दोहरे दबाव में जी रहा है. खासकर गोंगलई गोदाम प्रभारी, मिलर्स की कोई भी बात सुनने तैयार नहीं है और वह मिलर्स का सहयोग नहीं कर मिलिंग के काम में बाधा पैदा कर रहे है. गोदाम प्रभारी यह कहते है कि मुझे और कहीं भेज सको तो भेज दो. मिलर्स को कैप से खराब धान मिलने को लेकर प्रबंधक संचालक सीडब्ल्युसी, विपणन अधिकारी, मार्फड और नॉन प्रबंधक सहित सभी संबंधित अधिकारियों को शिकायत के रूप में पत्राचार किया गया है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है और न ही मिलर्स को कोई राहत मिल रही है.


इनका कहना है

मिलर्स को लगता है कि धान खराब है तो उसे अच्छी धान दी जायेगी. पहले कैप की धान दी जायेगी, जिसके बाद अंदर गोदाम की धान दी जायेगी.  

श्री पाटिल, जिला प्रबंधक, सीडब्ल्युसी


Web Title : HOW TO MAKE QUALITY RICE FROM BAD PADDY, MILLERS REFUSE TO TAKE BAD PADDY KEPT IN GONGRAI OPEN CAP, GOOD PADDY PATIL TO BE MADE AVAILABLE TO MILLERS