समता भवन में मनाया गया मानव मुक्ति दिवस

बालाघाट. 25 दिसंबर को समता भवन में मानव मुक्ति दिवस मनाया गया. समता विकास समिति, दी बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया और रमाताई महिला मंडल बुढ़ी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित मानव मुक्ति दिवस कार्यक्रम में बतौर अतिथि सेवानिवृत्त सिविल सर्जन डॉ. दिनेश मेश्राम, कार्यक्रम अध्यक्ष उपभोक्ता संरक्षण समिति सदस्य लोचनसिंह देशमुख, पीजी कॉलेज महाविद्यालय प्राचार्य पी. आर. चंदेलकर, सामाजिक कार्यकर्ता हीरासन उईके, भारतीय बौद्ध महासभा प्रांतीय पदाधिकारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता एल. डी. मेश्राम मौजूद थे.

सामाजिक कार्यकर्ता एल. डी. मेश्राम ने मानव मुक्ति दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ. बाबा साहब आम्बेडकर का संपूर्ण जीवन भारतीय सामाजिक व्यवस्था की अमानवीय, पीड़ादायक, त्रासदी की छटपटाहट, मानव मुक्ति की तलाश, मानवीय जीवन के मूल्यों की स्थापना एवं संघर्ष की गौरव गाथा है. उनके द्वारा चलाया गया महाड़ आंदोलन भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विरूद्ध, अस्पृश्यों का सीधा एवं खुला विद्रोह और क्रांतिकारी जनआंदोलन था. जो 25 दिसंबर 1927 को महाड़ नामक तालाब से अस्पृश्यों को पीने के पानी की मूलभूत आवश्यकता के समाधान और आंदोलन के माध्यम से अस्पृश्यों में अधिकार चेतना और संघर्ष का बीजारोपण भी कर देना चाहते थे. इसलिए 25 दिसंबर 1927 को मानव अधिकारों काव हनन करने वाली एवं मानव को मानव न मानने वाली मनुस्मृति को प्रतिकात्मक रूप से नष्ट किया और सभी को यह अहसास कराया कि आप सम्मान के साथ जी सकते है. तब से इस दिन को मानव मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है.

कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता दी. बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के जिलाध्यक्ष एम. आर. रामटेके, प्रो. सरोज घोड़ेश्वर, नलिनी वाहने, शोभना मेश्राम, सार्व. जयंती समिति अध्यक्ष राखी मेश्राम और व्ही. एन. मेश्राम ने भी अपने विचार रखे.  कार्यक्रम की प्रस्तावना रंजीता गजभिए ने रखी. इस दौरान सेवा. एसडीएम डी. पी. नावरे, प्रकाश मेश्राम, उपभोक्ता संरक्षण समिति महामंत्री बी. उके. विकास समिति उपाध्यक्ष बी. एन. बोरकर, सुभाष वैद्य, सुभाष खोब्रागढ़े, मनोज चौरे, ललिता मेश्राम, सुलोचना ढोक, अरूणा तिरपुड़े, पंकज डोंगरे, जगदीश कामड़े सहित अन्य सामाजिक लोग उपस्थित थे.  


Web Title : HUMAN LIBERATION DAY CELEBRATED AT SAMTA BHAWAN