शिक्षा हासिल करने दांव पर जिंदगी: भरे नाले को पार करने मजबूर छात्र, छात्रायें

बालाघाट. यह जिले के अंतिम छोर के विद्यार्थियों का हौंसला है कि शिक्षा हासिल करने जिंदगी दांव पर लगाने तैयार है और विडंबना यह है कि अंतिम छोर के व्यक्ति का कल्याण ही जनसेवा बताने वाली सरकार के जनप्रतिनिधि, मूकदर्शक बने है.

बालाघाट जिले में बच्चों की शिक्षा के प्रति अभिभावकों में खासी जागरूकता है, बड़े से बड़े व्यक्ति हो या छोटे से छोटा परिवार, वह अपने बच्चों को विपरित हालत में भी पढ़ाना चाहता है, ताकि जो वे नही बन सके, वह बच्चे बनकर अपना भविष्य तो बना सके.  

आलम यह है कि जिले में अपने बच्चो को कई किलोमीटर दूर भेजने का मसला हो या फिर पानी का सीना चीरकर स्कूल जाने भेजने की जिद हो, अभिभावक अपने सीने पर पत्थर रखकर बच्चों को स्कूल भेजता है, लेकिन जिले के सूरदास बन चुके जनप्रतिनिधियांे को यह नजर नहीं आता है.

जिले में बच्चों की पढ़ाई को लेकर ललक का हौंसला कहे या विडंबना, जिले में लगातार हो रही बारिश के बाद नदी-नालो के आये उफान के दौरान एक नाले से जान दांव पर लगाकर स्कूली बच्चों को पार करने का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. बताया जाता है कि यह वीडियो प्रदेश सरकार में आयुष मंत्री रामकिशोर कावरे के विधानसभा क्षेत्र परसवाड़ा के जनपद अंतर्गत डंडई छोला एवं पंडाटोला के बीच बहने वाले नाला का है. जिस नाले मंे वर्तमान में लगभग तीन से चार फिट पानी है, जिसका बहाव तेज हैं. जिससे होकर एक युवक स्कूली छात्र, छात्राओं को कंधे और हाथ पकड़कर नदी पार करा रहा है. बताया जाता है कि यहां नाला नहीं है, जिससे नाले में उतरकर उसे पार करना पड़ता है. अक्सर बच्चे नाला नहीं होने से नाला में उतरकर उसे पार करते हुए स्कूल पंडाटोला जाते है. चूंकि डंडईटोला में स्कूल नहीं है.

स्कूली विद्यार्थियो के नाला पार करते समय स्कूल ड्रेस और किताबे भीग जाती है. बरसात के दिनो में जब नाला में उफान होता है तो पार करने में लोगों को लंबे समय का इंतजार करना पड़ता है, वहीं नाला पार करते समय हादसे की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. जिसमंे पुल निर्माण करने को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कई बार आवेदन और निवेदन किया लेकिन कोई जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहा है. जिससे मजबूरी में अभिभावक, अपने बच्चों को जान का जोखिम उठाकर पढ़ाने भेजने मजबूर है. अब शायद इस वीडियो के सामने आने और लगातार सोशल मीडिया में इसका वायरल होने के बाद जनप्रतिनिधि चेते तो माना जायेगा कि जनप्रतिनिधि गंभीर है अन्यथा यह तो गांववाले और स्कूली छात्र, छात्राये, इसे नियति समझकर, जान को दांव पर लगा ही रहे है.  


Web Title : LIFE AT STAKE TO GET EDUCATION: STUDENTS FORCED TO CROSS A FULL DRAIN