हर नवरात्र पर अपने हाथो से बने कपड़ो को अस्पताल में जन्मे नवजातों को दान कर रही मीनाबेन चावड़ा

बालाघाट. नारी कई रूपो में पूज्यनीय होती है, वह ममता की सागर है, नवरात्र पर मां दुर्गा के रूप में नारी का पूजन किया जाता है. ग्रंथो में भी कहा गया है, यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः! नारी शक्ति के पूजन के महान पर्व नवरात्र पर विगत कई वर्षो से समाजसेवी मीनाबेन चावड़ा, नवरात्र पर जिला चिकित्सालय में जन्मे नवजात बालिका और बालकों को अपने हाथो से बनाये कपड़ो को दान करते चली आ रही है. इसी कड़ी मंे 2 अक्टूबर को नवरात्र की सप्तमी पर मीनाबेन चावड़ा ने महिला साथी श्रीमती अमृता चावड़ा, श्रीमती शशि तिवारी और श्रीमती निर्मला त्रिपाठी के साथ जिला चिकित्सालय के प्रसव वार्ड में जाकर नवजात जन्मे बच्चे और बालिकाओं को स्वयं के हाथा से बुने कपड़े दान किये.   इस दौरान श्रीमती मीना बेन चावड़ा ने बताया कि इस कार्य के पीछे केवल इतना उद्देश्य है कि नवरात्रि के पावन उत्सव में मां शक्ति की हम सभी आराधना उपासना भक्ति कर रहे हैं इस पावन पर्व पर में हर वर्ष इन बच्चों को माता को चुनरी की तरह नवजात बच्चों को कपड़े पहनाने आ रही हूॅं.  

उन्होंने कहा कि आज हम शिक्षित होते हुए भी कहीं ना कहीं बेटे और बेटियों में फर्क समझते हैं. सदियों से हम मानते आ रहे हैं कि बेटी का जन्म होता है तो घर में देवी स्वरूप बेटी ने जन्म लिया है और जब दुल्हन बनके ससुराल में आती है तो हम मानते हैं कि हमारे घर में लक्ष्मी आई है, लेकिन आज समाज में इतने विकृति बढ़ गई है नारी कोई भी स्वरूप में सुरक्षित नहीं है. आज भी समाज में बेटी और बेटों में भेद किया जाता है. देखकर दुख होता है की एक मिट्टी की मूर्ति को हम कितनी पवित्रता से और भावना से पूजते हैं और उनसे ही  सारा सुख पाने का वरदान मांगते हैं और वही जीती जागती नारी शक्ति के साथ भेदभाव किया जाता है, अत्याचार किया जाता है, मैं इन्हीं बालकों को शक्ति स्वरूप मानते हुए मां दुर्गा से प्रार्थना करती हूॅं कि इन बच्चों का भविष्य उज्जवल हो और देश की हर नारी सुरक्षित हो.


Web Title : MEENABEN CHAVDA DONATES CLOTHES MADE WITH HER HANDS TO HOSPITAL BORN NEWBORNS EVERY NAVRATRI