पुलिस ने किया नागरिकों से संवाद, कानून में बदलाव की दी जानकारी

बालाघाट. जिले के सभी थानो में 1 जुलाई से पूरे देश में लागु हो रहे कानून के बारे में पुलिस अधिकारियों ने नागरिकों से जनसंवाद किया. जिसमें एक जुलाई से धाराओं के  धाराओं के बदले नियमो से अवगत कराया गया. बालाघाट कोतवाली में पुलिस अधिकारियो ने जनसंवाद में कानून में हुए बदलाव से जनता को अवगत कराया तो वहीं लांजी थाना में जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें लोगों को बदले हुए नियमों के बारे में एसडीओपी सत्येंद्र घनघोरिया ने विस्तारपूर्वक जानकारी दी और कानून में बदलाव के संबंध में समझाया. उन्होने बताया की नए कानून में नाम भी परिवर्तन किए गए हैं. भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता कर दिया है. जिसमें पहले 511 धाराएं थी, अब भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं रह गई हैं. भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता का नाम बदलकर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता कर दिया गया है. जिसमें 484 धाराएं थीं, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धारा की गई हैं. भारतीय साक्ष्य अधिनियम में अधिक बदलाव नहीं हुआ है इसमें 170 सेक्शन हैं. बदलाव का उद्देश्य दंड की जगह न्याय दिलाना है.  

एसडीओपी घनघोरिया ने बताया की कई धाराओं के गिनती में  परिवर्तन किया गया है. जबकि कुछ धाराओं के नियमों में भी बदलाव किया गया है. तीनों कानून में बदलाव के बीच महिलाओं से जुड़े अपराधों को ऊपर कर दिया गया है. नए कानून में पुलिस की जवाबदेही और पारदर्शिता को स्पष्ट किया गया है. अब तलाशी और जप्ती और वीडियो बनाया जाएगा. ऐसे अपराधों के मामले, जिसमें 3 वर्ष से कम के कारावास की सजा है, उसमें गिरफ्तारी, गंभीर बीमारी से पीड़ित होने पर नहीं की जाएगी. गिरफ्तारी, तलाशी, जब्ती और जांच में पुलिस की जिम्मेदारी बढ़ाने के लिए 20 से अधिक धाराएं शामिल की गई है.  

एसडीओपी घनघोरिया ने बताया की पीड़ित को एफआईआर की एक प्रति प्राप्त करने और उसे 90 दिनों के भीतर जांच की प्रगति के बारे में सूचित किए जाने का उसका अधिकार है. गवाहों को धमकियों और भय से बचाने की आवश्यकता के चलते गवाह संरक्षण योजना की शुरुआत की गई है. बलात्कार पीड़िता का बयान केवल महिला मजिस्ट्रेट द्वारा ही दर्ज किया जाएगा. धारा 69 में झूठे वादे पर यौन संबंध बनाने पर सख्त सजा होगी. सामूहिक बलात्कार की सजा में फांसी का प्रावधान किया गया है. भारतीय साक्ष्य अधिनियम में इलेक्ट्रॉनिक, डिजीटल रिकार्ड को साक्ष्य के रूप में मान्यता होगी. धारा 62 एवं 63 में इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड को स्वीकार किया जाएगा. उन्होंने बताया कि पहले भारतीय साक्ष्य अधिनियम में धाराओं की संख्या 167 थी. जिसे बढ़ाकर 170 की गई है.


Web Title : POLICE COMMUNICATES WITH CITIZENS, INFORMS ABOUT CHANGES IN LAW