पुलिस सहायता केन्द्र बंद होने से अराजक हुई बस स्टैंड की व्यवस्था,पोस्टर चिपकाने का काम आ रहा पुलिस सहायता केन्द्र, यातायात पुलिस पर अनदेखी का आरोप

बालाघाट. बालाघाट जिले का बस स्टैंड किसी भी नये यात्री के शहर मंे उतरते ही बालाघाट की अव्यवस्था की ओर अपना ध्यान खिंच लेता है, हालत यह है कि बस स्टैंड में पेट्रोल पंप और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के साथ ही अन्य कारोबार के चलते बस स्टैंड से वाहनों का गुजरना मुश्किल हो गया है, ऐसी स्थिति में अक्सर पुलिस का वाहन हो या एम्बुलेंस वाहन, स्टैंड में बसों के अव्यवस्थित जमावड़े मंे फंस जाती है, अभी कुछ दिनों पहले नवागत कलेक्टर के आगमन के बाद कथित फार्म में नजर आये सीएमओ सतीश मटसेनिया ने एकाएक बस स्टैंड पहुंचकर अव्यवस्थित बस स्टैंड को व्यवस्थित करने की बात कही थी लेकिन उनकी यह कार्यवाही भी ‘‘चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात’’ की तरह रही. बस स्टैंड में बसों के अव्यवस्थित जमावड़े को देखकर लगता है कि बस संचालकों के आगे परिवहन विभाग, यातायात विभाग, पुलिस और नपा ने घुटने टेक दिये है, ऐसे समय बस स्टैंड के कभी अव्यवस्थित यातायात को व्यवस्थित बनाने और बस स्टैंड मंे अपराधिक गतिविधियों को नियंत्रित करने पुलिस सहायता केन्द्र खुलवाने वाले तत्कालीन आईजी डी. सी. सागर और तत्कालीन एसपी गौरव तिवारी का स्मरण हो आता है, जिन्होंने बस स्टैंड की व्यवस्था को सुधारने में कानूनी दृष्टिकोण से वह सब कार्यवाही की, जो की जानी चाहिये, लेकिन उसके बाद शायद कभी किसी अधिकारी का ध्यान इस ओर नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप बालाघाट बस स्टैंड में अव्यवस्थित यातायात के कारण न केवल शहर के नागरिकों, यात्रियों को परेशान होना पड़ रहा है बल्कि यहां नपा को किराया देकर दुकानें संचालित करने वाले दुकानदारों को भी उठाना पड़ रहा है, जिनकी दुकानें, बस स्टैंड में खड़ी और अव्यवस्थित रहने वाली बसों के कारण दबी जा रही है. जिससे उनके व्यवसाय पर असर पड़ रहा है.

बंद पुलिस सहायता केन्द्र प्रचार के आ रहा काम, लग रहे पोस्टर

बस स्टैंड मंे बसों की व्यवस्था, व्यवस्थित करने और आपतकालीन परिस्थिति में किसी प्रकार के कोई विवाद या फिर किसी यात्री के साथ कोई घटना होने की दृष्टि से तत्कालीन आईजी और एसपी द्वारा यहां पुलिस सहायता केन्द्र खुलवाया गया था. जहां पुलिसकर्मियों की ड्युटी लगाई थी. जिसके बाद न केवल बस स्टैंड में बसों की व्यवस्था में सुधार देखने मिला था, बल्कि बस संचालन को लेकर एजेंटो में होने वाले विवादो में भी कमी देखी गई थी, लेकिन कालांतर में यह चौकी पूरी तरह से बंद कर दी गई है. जिसको लेकर पुलिस अधिकारी भी कैमरे के सामने बात करने से कतरा रहे है. हालांकि उनका कहना है कि इसकी जानकारी ली जायेगी. अब देखना है कि अधिकारी तब तक जानकारी लेते है और कब तक पुलिस सहायता केन्द्र खुल पाता है, वरना लोग तो परेशान हो ही रहे है.  

जाम जैसी स्थिति निर्मित हो जाती है बस स्टैंड में 

सूत्र सेवा का काम देख रहे बस एजेंट प्रतिक श्रीवास्तव की मानें तो बस स्टैंड की व्यवस्था बनाने के नाम से पुलिस सहायता केन्द्र खोला गया था, जो महिनों से बंद है. जिसके चलते बस स्टैंड की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है. अक्सर दोपहर और शाम के समय बसों की आवाजाही और अव्यवस्थित जमावड़े से जाम जैसी स्थिति निर्मित हो जाती है, जिससे दुपहिया वाहन से भी बस स्टैंड से निकलना दुभर हो जाता है, अक्सर ऐसे में पुलिस वाहन हो या एम्बुलंेस वह फंस जाती है. जब इसको लेकर रानी अवंतीबाई चौक पर खड़े यातायात कर्मी से बात की जाती है तो वह यहां जाओ, वहां जाओ की बात करते है. आलम यह है कि बस स्टैंड में बसो का संचालन और उसको खड़े करने का चलन मनमर्जी से चल रहा है.

यातायात विभाग की लापरवाही से अव्यवस्थित शहर का यातायात-गजेन्द्र भारद्वाज

भाजपा युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष गजेन्द्र भारद्वाज ने शहर की अव्यवस्थित यातायात को लेकर यातायात विभाग को इसका जिम्मेदार बताया है. उनका कहना है कि लिखित शिकायत के बावजूद यातायात विभाग कार्यवाही नहीं कर रहा है, बस स्टैंड में अव्यवस्थित बसों का रखरखाव हो या फिर बुढ़ी मार्ग पर दोनो ओर बसों को खड़े रखे जाने का मामला हो, यातायात विभाग की लापरवाही के कारण ऐसी समस्यायें हो रही है. बालाघाट शहर में जब भी कोई दुर्घटना होती है तो दोषारोपण किसी और को दिया जाता है, जबकि इसकी सीधी जिम्मेदारी यातायात विभाग पर तय होनी चाहिये. शहर के बुढ़ी, भटेरा और बैहर रोड मार्ग में बसों के अव्यवस्थित संचालन से लोगों का जीवन खतरा में है. जब भी शिकायत करों तो हर बार का यही रोना होता है कि स्टॉफ की कमी है. उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि यह स्टॉफ की कमी का रोना रोने से अच्छा है कि वरिष्ठ अधिकारियों से स्टॉफ मांगा जायें और शहर की यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ किया जायें.  


Web Title : POLICE HELP CENTRE CLOSED, BUS STAND SET UP CHAOTIC, POLICE SUPPORT CENTRE USED TO PASTE POSTERS, TRAFFIC POLICE ACCUSED OF NEGLIGENCE