शिवलिंग के नाम पर पड़ा इस गांव का नाम, सिद्धस्थल लिंगेश्वर मंदिर में सावन मास पर हो रहा भगवान शिव का रूद्राभिषेक

बालाघाट. सावन मास, भगवान शिव की उपासना और आराधना का मास माना जाता है, पूरे मास के दौरान जगह-जगह से कांवड़िए, भगवान शिव के धाम पहुंचकर, भगवान का जलाभिषेक करते है.  शिव पूजन के इस मास में जिले से लगभग 10 किलोमीटर दूर ग्राम लिंगा में भगवान लिंगेश्वर सिद्धपीठ मंदिर में पूरे सावन मास में प्रतिदिन रूद्राभिषेक पूजन किया जाता है. सावन के अंतिम सोमवार को भी यहां, भक्त, बड़ी संख्या में भगवान शिव का पूजन करने पहुंचे.  सौ से भी ज्यादा सालों से यहां शिवलिंग है, जिसे भक्तगण, भगवान श्री लिंगेश्वर के नाम से जानते है. ग्राम के वरिष्ठ और पंडित रमाकांत शुक्ला बताते है कि लिंगेश्वर शिवलिंग के नाम से ही गांव का नाम लिंगा पड़ा है.

पंडित रमाकांत शुक्ला ने बताया कि मंदिर की स्थापना कब हुई, यह तो याद नहीं है लेकिन सालों से वे, यहां पूजा कर रहे है, जिसको लेकर ग्राम के वरिष्ठ बताते है कि प्राचीन काल में यह स्थान घने जंगल एवं झाड़ियों से घिरा था. उस समय तपस्वी नागा बाबाओं ने अपनी दिव्य शक्तियों से इस जगह पर सिद्ध शिवलिंग की स्थापना की और शिवलिंग स्थल पर झोपड़ीनुमा मंदिर बना दिया. जिस कारण इस स्थान का नाम लिंगा पड़ा. कालांतर में यहां लोग बसे और जनसहयोग से लिंगेश्वर मंदिर को एक वृहद और भव्य स्वरूप दिया गया. जो आज लोगो की आस्था का केन्द्र बना है. श्री लिंगेश्वर शिव मंदिर के गर्भगृह में सिद्ध शिवलिंग स्थापित है, जिसके दिव्य दर्शन मात्र से भक्तों की हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है.  

श्री लिंगेश्वर शिव मंदिर में दक्षिण मुखी सिद्ध हनुमान जी विराजित है, जिनके सम्मुख राम दरबार, संतोषी माता, संकटा देवी एवं राधाकृष्ण की मनोहारी प्रतिमाएं विराजित है.  गौरतलब हो कि सतपुड़ा की सुरम्य वादियो में खनिज एवं वनसंपदा से परिपूर्ण, ऐतिहासिक बालाघाट नगर मुख्यालय से पूर्व दिशा की ओर लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर पुण्य सलीला पतित पावनी घिसर्री नदी के समीप प्राचीन ग्राम लिंगा में भगवान श्री लिंगेश्वर धाम है, प्राचीन ग्राम के हद्रयस्थल एवं उच्च स्थान गुजरी चौक में श्री सिद्ध शिव मंदिर पुरातन काल से आस्था का केन्द्र है.  


Web Title : RUDRABHISHEK OF LORD SHIVA IS BEING DONE IN THE MONTH OF SHRAVAN AT SIDDHASTHALA LINGESHWAR TEMPLE.