नाम की रही चौपाटी,सौन्द्रर्यता को ग्रहण लगा रही गंदगी और कूड़ा, बैठने की व्यवस्था नहीं

बालाघाट. तत्कालीन कलेक्टर द्वारा काली पुतली चौक के ऐतिहासिक उद्यान को चौपाटी बनाने के नाम पर करोड़ो रूपये की राशि व्यय की गई. जिसमें बनाई गई दुकानांे को बिकवाया गया. जो सर्वविदित है कि किन हाथो में यहां कि दुकाने गई और आज वह दुकान कितनी खुलती है. नगरवासियों को चौपाटी देने के नाम पर धन की खेली गई होली में संबंधित तो मालगुजार बन गये लेकिन करोड़ो रूपये खर्च करने के बाद भी शहर में बनी चौपाटी नाममात्र की रह गई है, जहां लोग आना भी पसंद नहीं करते है, चूंकि यहां ना तो बैठने का उचित स्थान है और ना ही पीने के लिए शुद्ध पेयजल, चौपाटी में आते ही आपका सामना, यहां पसरी गंदगी और उससे उठती दुर्गंध से होता है, जिसके कारण लोग अब यहां आना पसंद नहीं करते है, बड़ी शान से यहां लगाया गया रोशनीयुक्त ‘‘आई लव बालाघाट’’ भी जिम्मेदारो की अनदेखी से अपना अस्तित्व नहीं बचा सका. हालत यह हो गई है कि नगर की चौपाटी केवल और केवल शो-पीस बनकर रह गई है.  

सबसे चिंतनीय यह है कि नगरपालिका से कुछ ही दूरी पर स्थित चौपाटी की इस हालत को जानने के बाद भी एसी और हवादार कमरे में बैठे जिम्मेदार, इतनी भी तकलीफ नहीं उठा पा रहे है कि वह इसकी मॉनिटरिंग कर सके. कई बार करोड़ो रूपये की लागत से बनी चौपाटी के गेट को लेकर यहां कुछ स्थानो में अपनी जीविका चला रहे छोटे दुकानदारों ने गेट के लिए नपा प्रबंधन को बताया, लेकिन नपा प्रबंधन कुंभकर्णीय नींद मंे सोया और सूरदास की तरह नजर आ रहा है. जिससे जागरूक नागरिको में नाराजगी है.

शहर के जागरूक नागरिक देवराम पंचेश्वर का सीधा आरोप है कि नगरपालिका के जिम्मेदारो की अनदेखी के कारण कथित चौपाटी, आज बदत्तर हालत में पहुंच गई है, जिसे सौन्द्रयीकरण के नाम पर बनाने के लिए पैसा को हजम कर लिया गया. जबकि यहां लोगों के आने पर बैठने तक की कोई व्यवस्था नहीं है. जिसमंे नगरपालिका को ध्यान देकर, चौपाटी के अस्तित्व को बनाये रखने सुधार कार्य कराने के साथ ही आने वाले लोगांे के लिए पेयजल की व्यवस्था की जानी चाहिये.


Web Title : THE NAME OF THE CHOWPATTY, THE DIRT AND GARBAGE THAT IS TAKING OVER THE BEAUTY, THERE IS NO SEATING SYSTEM