भाजपा के चुनावी प्रचार में उड़ी यातायात नियमों की धज्जियां, यातायात पुलिस ने खड़े देखती रही प्रचार

बालाघाट. चुनाव में सारी राजनीतिक पॉवर शून्य हो जाते है और पूरा पॉवर प्रशासन के पास आ जाते है, तो ऐसे समय में कम से कम, यह उम्मीद की जाती है कि राजनीतिक दबाव से मुक्त होकर प्रशासनिक अमला पूरी निष्पक्षता से कार्यवाही करेगा. बालाघाट मुख्यालय में यातायात विभाग की कार्यवाही आम लोगों के प्रति जितनी कठोर नजर आती है, उतनी ही नर्म, राजनीतिक पहुंच वालों के साथ दिखाई देती है, दुपहिया वाहन चालकों को वाहन चलाते समय हेलमेट पहनना अनिवार्य है, अन्यथा यातायात पुलिस, बिना हेलमेट वाहन चालक का, चालान काटने से भी पीछे नही हटती, लेकिन दीपावली को भाजपा प्रत्याशी, सात बार विधायक और दो बार के पूर्व सांसद, कद्दावर नेता केबिनेट मंत्री के चुनाव प्रचार में दुपहिया वाहन को हेलमेट पहनकर चलाने का यातायात नियम, हवा-हवाई नजर आया और यातायात पुलिस मूकदर्शक की तरह केवल तमाशा देखती रही.  

रविवार को दीपावली पर भाजपा प्रत्याशी ने अपने युवा कार्यकर्ताओं के साथ मोटर सायकिल के साथ चुनाव प्रचार किया. जिनका काफिला ना केवल एक जगह बल्कि पूरे शहर में घूमता रहा. जिस वाहन मंे भाजपा प्रत्याशी बैठे थे, उस वाहन का चालक भी बिना हेलमेट, वाहन दौड़ाता नजर आया. जिम्मेदार पदों पर बैठे जनप्रतिनिधि यदि यातायात नियमों की इस तरह से धज्जियां उड़ाएंगे तो आम वाहन चालकों से कैसे उम्मीद की जा सकती है क्योंकि वे ही तो आम लोगो के प्रेरणास्त्रोत होते है. हालांकि बालाघाट शहर में दुपहिया वाहन पर हेलमेट नियम, माननीय न्यायालय के आदेश के बावजूद प्रभावी कम और निष्प्रभावी ज्यादा नजर आता है. हां कभी सड़क सुरक्षा सप्ताह हो या फिर वरिष्ठ स्तर से चाबुक चलती हो, तब पेट्रोल पंप में भी बिना हेलमेट पेट्रोल नहीं देने के नियमों को लादकर, आम लोगों को परेशान करने का काम किया जाता है. यदि आम आदमी हेलमेट पहनकर नहीं चले तो फिर यातायात विभाग का रौब, पुलिस के किसी बड़े अधिकारी से कम नहीं होता है, वह नियमों और जान की परवाह का ऐसा प्रवचन देते है कि यदि अब उन्हें कोई ऐसे दिखे तो वह उसे बख्शेंगे नहीं लेकिन रविवार को पूरे शहर में भाजपा प्रत्याशी के साथ वाहनों को लेकर सड़क पर निकले कार्यकर्ता बिना हेलमेट, आम लोगों को नजर आए लेकिन यातायात विभाग को शायद यह दिखाई नहीं दिया अन्यथा आज तो एक साथ यदि बाईक चालकों को फाईन किया जाता है तो निश्चित ही शासन के राजस्व में एक बड़ी धनराशि अर्जित होती और यह राशि निश्चित ही शासन के खजाने को भरने का काम करती. फिलहाल जिस तरह से शहर में यातायात विभाग का अमला काम कर रहा है, उससे लगता है कि राजनीतिक दलों के लोगों को दुपहिया वाहन चलाते समय बिना हेलमेट से वाहन चलाने की इजाजत है लेकिन यदि आम व्यक्ति, यदि वह किसी काम से जा रहा हो या कॉलेज जा रहा है तो उसे रोककर ना केवल उसका चालान काटना है बल्कि यदि वह मजबूरी बता रहा है तो उसका वाहन जब्त कर लेना है, फिर उस वाहन चालक को जुर्माने के तौर पर शासन का राजस्व बढ़ाने के लिए किसी से सामने हाथ ही क्यांे ना फैलना पड़े. उम्मीद है कि जिले के वरिष्ठ अधिकारी, ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लेंगे और कम से कम चुनाव के दौरान अपने पॉवर का समुचित इस्तेमाल करेंगे.


Web Title : TRAFFIC RULES FLOUTED DURING BJPS ELECTION CAMPAIGN, TRAFFIC POLICE WATCH CAMPAIGN