मनोकामना पूर्ति के लिए बाबा मंदिर में धरना देते हैं श्रद्धालु

वैसे तो कानालिंग बाबा वैद्यनाथ की पूजा करने मात्र से ही प्राणीमात्र की सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं, परंतु कुछ भक्तों की पूजा बाबा वैद्यनाथ द्वारा स्वीकार्य नहीं किये जाने से उनकी मनोकामनाएं पूर्ण नहीं हो पाती हैं. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सबसे अधिक जाग्रत लिंग के रूप में पूजे जाने वाले बाबा वैद्यनाथ के दरबार में ऐसे भक्तों के लिये भी व्यवस्था है. लगातार पूजा के बावजूद जिन भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण नहीं हो पाती हैं उन भक्तों के लिये बाबा दरबार में प्राचीन व्यवस्था है कि वह बाबा वैद्यनाथ मंदिर के बाहरी चबूतरे पर धरना पर बैठते हैं. दिन भर निराहार रहकर बाबा वैद्यनाथ की आराधना करने वाले ये भक्त बाबा दरबार में रहने के बावजूद स्वयं बाबा पर जलार्पण नहीं करते हैं. नित्य इन भक्तों की ओर से बाबा वैद्यनाथ की पूजा होती है परंतु वह किसी पुरोहित के माध्यम से ही कराते हैं. संध्याकाल में स्नान-ध्यान करने के उपरांत संध्याकालीन शृंगार दर्शन के लिये सभी धरना देने वाले भक्त बाबा के गर्भगृह पहुंचते हैं व बाबा के समक्ष अपनी गुहार लगाते हैं. संध्याकालीन शृंगार दर्शन करने के उपरांत सभी भक्त फलाहार कर पुन: धरनास्थल पर पहुंच जाते हैं. यह प्रक्रिया निरंतर तब तक चलती रहती है जब तक की भक्त की कामना बाबा वैद्यनाथ पूर्ण नहीं कर देते हैं. प्राचीनकाल से चली आ रही इस परंपरा को लेकर मान्यता है कि स्वयं बाबा वैद्यनाथ भक्त को स्वप्न के माध्यम से आदेश देते हैं. धरनास्थल की एक खासियत यह भी है कि भक्त मनोकामना के लिये मंदिर के बाहरी हिस्से में अपने पंजे का निशान छोड़ते हैं तथा बाबा की कृपा से कामनापूर्ति के उपरांत भक्त द्वारा समर्पण भाव में पंजे का निशान छोड़ जाते हैं. पंडित डॉ. मोतीलाल मिश्रा की माने तो यह परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है. पूर्व में धरनाधारी भक्तों की सुरक्षा के लिए सुरक्षाकर्मी की प्रतिनियुक्ति की जाती थी व धरनाधारियों द्वारा उस एवज में एक पैसे का भुगतान भी किया जाता था.

Web Title : DEVOTEES STAGE SIT IN AT BABA TEMPLE TO FULFILL THEIR WISHES

Post Tags: