निरसा-चिरकुंडा कोल ट्रेडर एसोसिएशन ने की बैठक ओवररिपोर्टिंग का उठा मामला

निरसा(बंटी झा) : निरसा चिरकुंडा कोल ट्रेडर्स एसोसिएशन की एक विशेष बैठक कापासारा स्थित एसोसिएशन कार्यालय में की गई. जिसमें क्षेत्र के तमाम कोयला डी ओ धारक मौजूद रहे. बैठक में सभी डी ओ होल्डर काफी आक्रोशित दिखे और सीधे-सीधे ईसीएल मैनेजमेंट के सेल्स विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए एक बहुत बड़ी घोटाले की बात कही. डी ओ धारको ने बताया कि कागज कलम में ईसीएल के मुगमा क्षेत्र के सभी कोलियरियों में काफी कोयला भरा पड़ा है जिसके चलते वह हर महीने हजारों टन कोयला का ऑफर देते हैं पर जैसे ही डीओ धारक बैंक से पैसे लेकर डीओ लगाते हैं और लाखों रुपए अपना ईसीएल प्रबंधन को पूर्व में ही भुगतान करते हैं पर जब वह कोलियरी पहुंचते हैं अपनी डीओ का कोयला लेने तो वहां उनको कोयला नहीं मिल पाता है कारण यह बताया जाता है कि उक्त कोलियरी में उच्च श्रेणी का कोयला ही नहीं है अगर है भी तो काफी निम्न स्तर का कोयला है जिसे डीओ धारक नहीं लेना चाहते क्योंकि उन्होंने उस कोलियरी में उच्च श्रेणी की कोयले की बुकिंग की है. मुग्मा क्षेत्र अंतर्गत हर कोलियरी से लगभग 10000 से 25000 टन कोयले का ऑफर प्रति माह डीओ धारकों को दिया जाता है पर महज 800 टन से 1000 टन ही कोयला का प्रति माह  उठाव हो पाता है. जिससे डी ओ धारकों  का पैसा ई सी एल प्रबन्धन के पास रुका रह जाता है और कोयले का उठाओ नहीं करने की स्थिति में इन्ही डी ओ धारकों से ₹520 प्रति टन की कटौती भी की जाती है. जिससे डी ओ धारक खासा नुकसान की स्थिति में पहुंचे हैं . सभी ने एक स्वर से कहा कि अति शीघ्र हमारे बकाएं पैसे को ब्याज सहित वापस नहीं किया गया तो हमलोगों को आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना होगा. साथ ही जो गाड़ियां कोयला उठाव के लिए कोल्यरी पहुंचती है वह 8 से 10 दिन में लोड होती है जिसका प्रतिदिन हजार रुपे की दर से अतिरिक्त भुगतान भी हमें करना पड़ता है. इन सब अतिरिक्त खर्च का भुगतान ई सी एल प्रबन्धन नहीं करती है तो हम आगे उग्र आंदोलन करेंगे और यह मामला लेकर ईसीएल के उच्च अधिकारी कोयला मंत्रालय तथा जरूरत पड़ी तो सीबीआई और ईडी के पास भी जाकर अपनी गुहार लगाएंगे.