आरटीई नियमावली 2019 की शर्तों में संशोधन की मांग को लेकर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने निकाला शांति मार्च, नियमावली को बताया छोटे छोटे निजी विद्यालयों को मान्यता देने के खिलाफ

धनबाद. निजी विद्यालय के लिए 2 एकड़ की जमीन की अनिवार्यता समाप्त करने समेत 8 सूत्री मांगों को लेकर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने शनिवार को शांति मार्च निकाला. यह शांति मार्च डीआरएम चौक से निकलकर रणधीर वर्मा चौक पहुँची जहाँ शांति मार्च सभा मे तब्दील हो गई.

एसोसिएशन के सचिव प्रवीण दुबे ने बताया कि सरकार की आरटीई नियमावली 2019 हमे मान्य नही है. सरकार गैर मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों को मान्यता प्रदान करने हेतु उनके पास 2 एकड़ की जमीन की उपलब्धता को सरकार ने अनिवार्य कर रखा है. इस अहर्ता को पूरा कर पाना स्कूल प्रबंधन के लिए मुमकिन नही है.

धनबाद समेत झारखण्ड़ सीएनटी, एसपीटी एक्ट, पहाड़ी एवं खनन क्षेत्र होने के कारण यहाँ जमीन की उपलब्धता न के बराबर है. यहाँ नगर निगम क्षेत्र में तो जमीन बिल्कुल भी नही है. 2 एकड़ की जमीन के लिए एक विद्यालय पर 10 से 15 करोड़ रु का खर्च आएगा. ऐसे में विद्यालय में फीस की बढ़ोत्तरी 3 हजार से 5 हजार तक हो जाएगी.

वर्तमान में गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय 150 से 350 रु प्रति माह फीस लेकर बच्चो को गुणवत्तापूर्ण, सुविधायुक्त, परिणामयुक्त शिक्षा दे रही है. मान्यता के लिए जमीन को आधार मानना उचित नही. आरटीई नियमावली 2019 के शर्तो में संशोधन करके इस शर्त को अविलम्ब वापस लिया जाना चाहिए.

अन्य मांगों के सम्बंध में उन्होंने कहा कि शिक्षा संबंधी सुविधा, शिक्षा के परिणाम एवं शिक्षा के गुणवत्ता के आधार पर मान्यता मिलनी चाहिए. आरटीआई 2009 की नियमावली से पूर्व के निजी विद्यालयों को बिना शर्त मान्यता दिया जाना, मान्यता की नियमावली का सरलीकरण करके शिक्षा का औधोगिकीकरण से बचाया जाना चाहिए.

प्रवीण दुबे  ने बताया कि धनबाद सहित पूरे झारखंड में गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय की संख्या लगभग 22 हजार है. जिसमे कार्यरत शिक्षक शिक्षिकाओं की संख्या 4 लाख 40 हजार तथा सहायक कर्मचारियों की संख्या 1 लाख 15 हजार है.

ऐसे में शर्तो को पूरा नही करने पाने की स्थिति में निजी विद्यालयों के बंद होने से वे सभी 5 लाख 55 हजार शिक्षक, कर्मचारी बेरोजगार होंगे जिनके समक्ष भुखमरी की स्थिति बनेगी. इन सभी निजी विद्यालयों में अल्पसंख्यक, गरीब, जरूरतमंद वर्ग से आने वाले पतिवार के बच्चे महज डेढ़ सौ से साढ़े तीन सौ में शिक्षा ग्रहण करते है.

स्कूल बंद होने से लाखों गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे. उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2011 में प्राथमिक शिक्षा निदेशालय रांची के आदेशानुसार आरटीआई के तहत कक्षा 8 तक के मान्यता के लिए प्रपत्र 1 भरकर डीएसई कार्यालय में जमा किया गया. आज 8 वर्षो में भी मान्यता नही मिली.