बीबीएमकेयू अनुबंध सहायक प्राध्यापक संघ के संरक्षक बने सुजीत प्रसाद, कहा- राज्य सरकार हमारी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करे

धनबाद, (प्रशांत झा): बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के अनुबंध सहायक प्राध्यापक संघ की नई कमिटी बनी है. इस कमिटी में अध्यक्ष पद का ताज डाॅ अतुल कुमार एवं सचिव की जिम्मेवारी डाॅ स्वेता सिंह को मिली है. वहीं, सुजीत प्रसाद को संरक्षक बनाया गया है. सुजीत प्रसाद, धनबाद स्थित प्रसन्न कुमार राय मेमोरियल महाविद्यालय में इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक के रूप में सेवा दे रहे हैं. अनुभवी व इतिहासविद् प्रो. प्रसाद लंबे समय से कमिटी को मार्गनिर्देशित करते आ रहे हैं.  

अस्तित्व संबंधी चुनौतियों को पार करना कमिटी का प्रथम लक्ष्यः सुजीत प्रसाद  

संरक्षक बनाए जाने के बाद सिटी लाइव से बातचीत में प्रो. सुजीत प्रसाद ने कहा कि अनुबंध प्राध्यापकों के समक्ष जो सामूहिक चुनौतियां हैं, उन्हें दूर करना नई कमिटी का प्रथम लक्ष्य है. सेवा विस्तार एवं स्थायीकरण के मुद्दे को लेकर सरकार के समक्ष अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराना एवं रणनीतिक रूप से अपने एजेंडा को पूरा करना कमिटी की प्राथमिकताओं में होगा. इस कार्य में मैं अपना 100 प्रतिशत योगदान देने में लवलेश मात्र भी नहीं हिचकूंगा.  

सूबे की सरकार से काफी आशाएं हैंः    

बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के अनुबंध सहायक प्राध्यापक संघ के संरक्षक प्रो. सुजीत प्रसाद ने कहा कि यूजीसी नियमावली के तहत अनुबंध शिक्षकों का भुगतान करने की हमारी पुरानी मांग है, जिसपर सरकार को संजीदगी से फैसले लेने की आवश्यकत है. काॅलेजों में शिक्षकों का अभाव है. वर्तमान में राज्य के विश्वविद्यालयों में कुल स्वीकृत 3732 पदों में से शिक्षकों के 2030 पद रिक्त हैं. ऐसे में राज्य में गुणात्मक शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार लाने एवं सकल नामांकन अनुपात दर में वृद्धि के लिए राज्य सरकार के संकल्प संख्या-516, दिनांक- 02. 03. 2017 द्वारा संविदा के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी. अनुबंध पर कार्य कर रहे शिक्षकों ने पूरी तन्मयता एवं लगन से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया है. अनुबंध शिक्षक महाविद्यालयों की धुरी बन गए हैं. लेकिन, दुर्भाग्य है कि यूजीसी के मानकों के अनुरूप चुने जाने के बावजूद अनुबंध शिक्षकों को समुचित मानदेय नहीं दिया जा रहा है. हमारी सरकार से मांग है कि वर्ष 2008 के बाद से झारखंड में अब तक कोई नियमित नियुक्ति नहीं हुई है. ऐसी स्थिति में तीन वर्षों से पूरी लगन से कार्य कर रहे नेट एवं पीएचडी धारक अनुबंध शिक्षकों का सम्पूर्ण समायोजन हो एवं यूजीसी नियमावली के अनुसार मानदेय दिया जाना चाहिए.  

मार्च के बाद क्या होगा ?

उन्होंने कहा कि झारखण्ड सरकार के उच्च शिक्षा एवं तकनीकी विभाग द्वारा इस वर्ष एक जनवरी को पत्र जारी कर मार्च तक का सेवा विस्तार दिया गया है. अब अनुबंध प्राध्यापकों के समक्ष यह यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है कि उसके बाद क्या होगा. सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द स्थिति स्पष्ट करने की उदारता दिखाए ताकि अनिश्चितता का धुंध ख़त्म हो सके.

सीएम हेमंत सोरेन की सरकार पर है पूर्ण विश्वास:   

सीएम हेमंत सोरेन ने अनुबंध कर्मियों के स्थायीकरण का भरोसा दिया था. ऐसे में हम सरकार से मांग करते हैं कि सभी अनुबंध सहायक प्राध्यापकों को यूजीसी के द्वारा निर्धारित मानदेय दिया जाए एवं जल्द ही सभी का समायोजन कर पूर्णकालिक नौकरी प्रदान की जाए क्योंकि सरकार यदि हमारी मांग पर गौर नहीं करेगी, तो फिर कौन हमारी व्यथा को दूर करेगा.  

प्रो. सुजीत प्रसाद ने नई कमिटी के समस्त पदाधिकारियों को शुभकामनाएं प्रेषित की हैं.