पहले की अपेक्षा कोरोना का दूसरा चरण भयावह, जानमाल की भारी तबाही, जनप्रतिनिधि सहित सामाजिक संस्थाएं मौन

निरसा (बी के सिंह ) :  पिछले साल की अपेक्षा कोरोना का दूसरा चरण भारी तबाही के साथ भयंकर रूप ले लिया है जो कि बहुत ही खतरनाक साबित हो रहा है. हालांकि इस पर काबू पाने के लिये केंद्र की  सरकार हो या राज्य की हर सम्भव प्रयास कर रही है बावजूद और भी प्रयास करने की आवश्यक्ता है.


पिछले वर्ष कोरोना में केंद्र व राज्य की सरकारों के साथ कन्धा में कन्धा  मिलाकर सामाजिक संस्थाएं, जनप्रतिनिधि कोरोना से प्रभावित हर ब्यक्ति की सहायता के लिये आगे आये, उस समय सम्पूर्ण लॉक डाउन की स्थिति में किसी को भूखों मरने नही दिया था, सबों ने निःस्वार्थ भाव से लोंगों की मदद दी थी.   मगर आज वैसी स्थिति नही है.

पिछले साल राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार के उपक्रम ईसीएल, बीसीसीएल,डीवीसी,व अंकुर बायोकेमिकल्स के साथ सामाजिक संस्थाएं, विधायक  दिल खोलकर असहायों की मदद में चावल,आटा, तेल,आलू प्याज के साथ लंगर की ब्यवस्था दी थी. आज कुछ भी देखने को नही मिलता. वो सहानुभति लोंगों की कंहा चली गई ?

झारखण्ड सरकार एक एक हप्ता लॉक डाउन की अवधि बढ़ाकर एक महीना कर दिया है, गरीब, असहाय, दिहाड़ी मजदूर कंहा जाये ? लॉक डाउन में उनकी रोजी रोटी छीन गई, उनके सामने जीवन यापन की कठिन समस्या उत्तपन्न हो गई कोई उनकी सुध लेने वाला तक नही है. जबकि जनप्रतिनिधियों से आज भी लोंगों को अपेक्षाएं हैं लेकिन वो कंही नजर नही आते.

दुर्भाग्य है कि इस बार बदलते स्वरूप के साथ दूसरे चरण में कोरोना भयानक रूप में सामने आई है, निरसा विधानसभा में एक अनुमान के अनुसार अबतक 50 से अधिक मौतें हुई हैं. अबतक न ईसीएल, न बीसीसीएल, व डीवीसी और अंकुर बायोकेमिकल्स ने अपने अपने क्षेत्र में सेनेटाइज ही किया है न गरीबों के बीच राशन किट ही उपलब्ध कराया है, सहायता की दिशा में इस बार स्थानीय विधायक की चुप्पी लोंगों की समझ से पड़े है.

कोरोना के भयावह स्थिति को देखते हुए निरसा जामताड़ा रोड पर स्थित रेफरल अस्पताल को चालू करवाने तथा ठप हुई ग्रामीण जलापूर्ति योजना को चालू करवाने की दिशा में ठोस पहल की आवश्यक्ता है.  

क्या आशा की जाय कि निरसा विधायक उपरोक्त समस्या के निदान हेतु आवश्यक पहल कर जनता को राहत पहुंचाने की दिशा में ठोस पहल करेंगीं ?