टुंडी से विक्रम पांडेय को टिकट: पिता की कुर्बानी का फल या पार्टी का भूल सुधार

धनबाद/टुंडी: सियासत में कुछ भी स्थाई नहीं होता, न दोस्ती, न दुश्मनी. न उद्भव, न पराभव. चुनावी महाकुंभ के दौरान टिकट न मिलने पर जब नेता को निराशा हाथ लगती है, तो वे दूसरे घाट पर ‘स्नान’ को चले जाते हैं. हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि दूसरे घाट पर ‘स्नान’ करने का अवसर प्राप्त हो ही जाये. यद्यपि, कुछ तो वहां ´स्नान´ के दौरान धड़ाम भी हो जाते हैं. तथापि वे ‘न तो घर के, न घाट के’ की स्थिति में आ जाते हैं. लेकिन, जो धैर्यपूर्वक एक ही घाट को अपना स्थाई डेरा मान लेते हैं, उन्हें सब्र का फल मिलता है. गिरिडीह के भूतपूर्व सांसद रवीन्द्र कुमार पांडेय की मौजूदा स्थिति कमोबेश यही जान पड़ती है.

रवीन्द्र पांडेय के पुत्र विक्रम पांडेय को भाजपा ने नक्सल प्रभावित विधानसभा क्षेत्र टुंडी से फ्रेश उम्मीदवार के रूप में उतारा है. विक्रम इससे पहले कोई चुनाव नहीं लड़े हैं. पिता रवीन्द्र पांडेय पांच बार गिरिडीह से सांसद रह चुके हैं. बीते लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उनका टिकट तब काटा था, जब वे गिरिडीह के सिटिंग एमपी थे. जाहिर तौर पर, एक मौजूदा सांसद का टिकट कटना बड़ा हैरानी भरा था. कारण, गिरिडीह में कमल खिलाने का श्रेय रवीन्द्र पांडेय को ही जाता है. उनसे पहले गिरिडीह में सांसद का चुनाव जीतना तो दूर विधानसभा तक में इस पार्टी की नुमाइंदगी यहां से कोई नहीं कर पाया था.  

भाजपा ने पांडेय का टिकट आजसू के साथ गठबंधन धर्म का पालन करने को काटा था. इससे आजसू को बंपर फायदा हुआ. गिरिडीह से आजसू के उम्मीदवार चन्द्रप्रकाश चौधरी चुनाव जीत गए और इस तरह इस पार्टी को झारखंड से पहला सांसद भी मिल गया. चन्द्रप्रकाश चौधरी के सांसद बनने पर जो मंत्री पद रिक्त हुआ, वह आजसू के विधायक रामचंद्र सहिस को मिल गया. इधर, रवीन्द्र पांडेय के कई दलों में शामिल होने का अफवाह उड़ा, लेकिन वह वास्तविकता में तब्दूल नहीं हो पाया.  

लेकिन, इसी आजसू पार्टी ने एक क्षेत्रीय दल होते हुए भाजपा को इस विधानसभा चुनाव में ऐसी आंख तरेरी कि ना केवल 19 साल पुराना गठबंधन टूटा, बल्कि अपनी पार्टी में वैसे लोगों को शरण देने से भी कोई गुरेज नहीं किया, जिन्हें भाजपा ने इसबार टिकट नहीं दिया. 26 सीटों के सवाल पर भाजपा-आजसू के बीच शुरु हुई किचकिच आखिरकार खत्म नहीं ही हुई. पार्टी ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ के खिलाफ तक प्रत्याशी खड़े कर दिए. ऐसा लगता है विधानसभा चुनाव को लेकर बदले इन सब समीकरणों से भाजपा नेतृत्व आहत हुआ. चूंकि, टुंडी विधानसभा क्षेत्र गिरिडीह संसदीय क्षेत्र में ही आता है, इसलिए रवीन्द्र पांडेय पार्टी आलाकमान को अपने बेटे के लिए इस सीट को श्योर करवाने में कामयाब रहे. उल्लेखनीय है कि टुंडी सीट से आजसू के राजकिशोर महतो मौजूदा विधायक हैं. गठबंधन के कारण भाजपा ने पिछले चुनाव में यहां से कोई उम्मीदवार नहीं दिया था. ऐसे में, टिकट कटने के बाद भी पार्टी के साथ बने रहना, आजसू का भाजपा से गठबंधन का टूटना, पुराने उम्मीदवारों का चुनाव में लचर प्रदर्शन ने विक्रम को टिकट दिला दिया. लेकिन, इससे ‘पार्टी विद् ए डिफरेंस’ के दामन पर वंशवाद का दाग गहरे तौर पर जरूर लग गया.  

34 वर्षाें से भाजपा के लिए सुखाड़ क्षेत्र है टुंडी

पिछले 34 वर्षों से यहां से भाजपा की तरफ से कोई विधानसभा नहीं पहुंच पाया है. सत्यनारायण दुदानी दो बार टुंडी से विधायक बने. 1969 में जनसंघ के उम्मीदवार सत्यनारायण दुदानी ने टुंडी से जीत दर्ज की, लेकिन इसके बाद लगातार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 1985 में दूसरी बार भाजपा के उम्मीदवार बनकर दुदानी ने कांग्रेस के उदय कुमार  सिंह को 24 वोट से हराकर दूसरी बार विधायक बनने का गौरव हासिल किया. सत्यनारायण दुदानी के अलावा, भाजपा यहां मुकाबले में भी नहीं रही. पार्टी ने लगभग हर बार यहां से प्रत्याशी दिया, लेकिन प्रदर्शन तीसरे नंबर पर ही खिसककर रह गया.

टुंडी के विगत कुछ चुनावों का परिणाम

-1969- 

सत्यनारायण दुदानी (जनसंघ) 12223 वोट, 

सुलेमान अंसारी (कांग्रेस) 7427 वोट

-1972- 

सत्यनारायण सिंह (कांग्रेस) 12175 वोट

सत्यनारायण दुदानी (जनसंघ) 9577 वोट

-1980-

बिनोद बिहारी महतो (झामुमो) 27588 वोट

नवरंगदेव सिंह (कांग्रेस) 15427 वोट

-1985-

सत्यनारायण दुदानी (भाजपा) 11446 वोट

उदय कुमार सिंह (कांग्रेस) 14222 वोट

-1990- 

बिनोद बिहारी महतो (झामुमो) 23042 वोट

उदय कुमार सिंह (कांग्रेस) 22743 वोट

सत्यनारायण दुदानी (भाजपा) 20945 वोट

-1995- 

सबा अहमद (झामुमो मार्डी गुट) 28874 वोट

उदय कुमार सिंह (कांग्रेस) 26541 वोट

फूलचंद मंडल (भाजपा) 22616 वोट

-2000- 

सबा अहमद (राजद) 25079 वोट

मथुरा महतो (झामुमो) 24925 वोट

विजय कुमार झा (भाजपा) 2878 वोट

-2005- 

मथुरा महतो (झामुमो) 52112 वोट

सबा अहमद (राजद) 26175 वोट

सुभाष चटर्जी (भाजपा) 21501 वोट

-2009- 

मथुरा प्रसाद महतो (झामुमो) 40787 वोट

सबा अहमद (झाविमो) 39869 वोट

प्रदीप अग्रवाल (भाजपा) 23199 वोट

-2014- 

राजकिशोर महतो (आजसू) 55437 वोट

मथुरा महतो (झामुमो) 54306 वोट

सबा अहमद (झाविमो) 45178 वोट