समलैंगिकता से एड्स की चपेट में आ रहे युवा

धनबाद:  जिले में एचआईवी संक्रमण का नया ट्रेंड विकसित हो रहा है. बड़े शहरों की तरह अब धनबाद में समलैंगिकता से युवा एचआईवी एड्स की चपेट में आ रहे हैं. एसएनएमएमसीएच के एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट) सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो वर्षों में आठ ऐसे युवा एचआईवी पॉजिटिव मिले हैं, जो एमएसएम (मैन हैविंग सेक्स विद मैन) के कारण इस खतरनाक बीमारी की चपेट में आए हैं. यह दो वर्षों में मिले कुल मामलों का लगभग चार प्रतिशत हैं.

जानकारों की मानें तो असुरक्षित यौन संबंध शुरू से एड्स का सबसे बड़ा कारण रहा है. समलैंगिकता से जुड़े एड्स के मरीज काफी कम सामने आते थे. पूर्व में यहां सिर्फ दो मामले थे. दो साल में आठ नए मामले मिले हैं. आमतौर पर इस तरह के मामले बड़े शहरों में होते थे. अब इसका असर छोटे शहरों में भी दिखने लगा है. यही कारण है कि धनबाद के एआरटी सेंटर में भी हर साल चार-पांच केस मिल रहा है. यहां यह भी समझना होगा कि जिले में समलैंगिकता से जुड़े सिर्फ इतने ही मामले नहीं हैं. ये तो वे मामले हैं, जो काउंसिलिंग के दौरान संक्रमित ने बताया है. इस तरह के ज्यादातर मामलों में लोग सही जानकारी नहीं देते. ऐसे लोग संक्रमण का अलग-अलग कारण बताकर इलाज करते हैं.

एसएनएमएमसीएच एआरटी सेंटर में हर साल 100 से अधिक नए एचआईवी संक्रमित मरीज मिल रहे हैं. दिसंबर 2021 से नवंबर 2022 के बीच यहां 176 नए मरीज रजिस्टर्ड किए गए है. इसमें आठ मामले समलैंगिकता के हैं. इस सेंटर से नियमित दवा लेने वाले मरीजों की संख्या 1300 है. इसमें लगभग 50 बच्चे हैं. वहीं इस सेंटर में कुल रजिस्टर्ड मरीजों की संख्या 3600 के आसपास है. इसमें कुछ मरीज नए शुरू हुए बोकारो और गिरिडीह एआरटी सेंटर में रेफर हो गए. उन्हें अब वहीं से दवा मिल जाती है. कुछ संक्रमित मरीजों की मौत हो गई और कुछ ने दवा लेनी बंद कर दी.

एसएनएमएमसीएच एआरटी सेंटर में बच्चों को पूरी दवा नहीं मिल रही. बच्चों को एएल और डीटीजी नामक दो दवाएं दी जाती हैं. एक सप्ताह से एएल नहीं है. इस दौरान दवा लेने आए संक्रमित बच्चों को सिर्फ डीटीजी दी जा रही है. अधिकारियों के अनुसार दवा आपूर्ति के लिए राज्य को लिखा गया है. जल्द दवा की आपूर्ति होने की संभावना है.

विश्व एड्स दिवस पर आज से पूरे राज्य में हेल्दी लीवर कैंपेन चलाया जाएगा. राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत चलने वाले इस अभियान के दौरान एक साल में 9,89,587 गर्भवती की हेपेटाइटिस बी और सी की जांच की जानी है. हर महीने 79704 गर्भवती की जांच का लक्ष्य है. धनबाद के लिए साल भर में 80,395 और महीने में 6744 जांच का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. गर्भवतियों के साथ साथ एचआईवी से ग्रसित मरीज, महिला सेक्स वर्कर, इंजेक्टेबल ड्रग यूजर, बार-बार खून देने वाले लोग, डायलिसिस के मरीज आदि हाई रिस्क पॉपुलेशन की भी जांच होगी. डॉक्टरों की मानें तो मां से बच्चे को होने वाले एचआईओ संक्रमण को छोड़ हेपेटाइटिस और एचआईवी के होने के सारे कारण एक से हैं. इसलिए विश्व एड्स दिवस पर हेपेटाइटिस जांच अभियान की शुरुआत की जा रही है.