शुभ मुहूर्त में लगाएं भाई को तिलक, लंबी हो जाएगी उसकी उम्र

इस दुनिया में बहुत सारे रिश्ते हैं जो हम खुद बनाते हैं मगर, कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो ईश्वर पहले से ही तय करके भेजता है. इन रिश्तों में माता-पिता और भाई-बहन का रिश्ता सबसे अहम होता है. अगर केवल भाई-बहन के रिश्तों पर बात की जाए तो शायद यह दुनिया का सबसे अद्भुत रिश्ता है. इसलिए इस सुंदर से रिश्ते में प्यार की चाशनी घोलने के लिए भाई और बहन से जुड़े कई त्योहार भारत में मनाए जाते हैं और उन्हीं में से एक होता है भाई दूज का त्योहार. साल में दो बार भाई दूज का त्योहार आता है. एक दूज होली के बाद होती हैं और दूसरी दिवाली के बाद. यह दूज हमेशा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है. इस बार भाई दूज का त्योहार 29 अक्टूबर को है. आइए जानते हैं कि इस दिन कौन से शुभ मुहूर्त में आपको अपने भाई को टीका लगाना चाहिए.

शुभ मुहूर्त 

इस दिन मंगलवार पड़ रहा है. भाई दूज के लिए इस बार सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 13:11 से 15:23 बजे तक है. अगर आप इस मुहूर्त पर अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं तो आपके भाई की  उम्र तो लंबी होगी ही साथ ही उसे हर कार्य में सफलता मिलेगी.

प्रचलित परंपरा 

वैसे तो भाई दूज का त्योहार पूरे भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है. मगर उत्तर भारत में यह पर्व काफी प्रचलित है. इस त्योहार पर हर बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगा कर उसे लंबी उम्र की आशीर्वाद देती है. इसके साथ ही भाई अपनी बहन की पसंद का कोई गिफ्ट या फिर रुपए पैसे देकर उसका सम्मान करता है. मगर इस त्योहार पर एक और प्रथा प्रचलित है. कथा के अनुसार भाई को भाई दूज के दिन बहन के घर जाना होता है. बहन इस दिन सुबह से उठ कर नहा धोकर साफ सुथरे कपड़े पहन कर भाई के लिए खाना पकाती है और भाई जब उसके घर आता है तो चौक पर बैठा कर पहले उसका तिलक करती है और फिर भाई को अपने हाथ का बना भोजन कराती है.

 

जब तक भाई नहीं खा लेता है तब तक बहन अन्न जल ग्रहर्ण नहीं करती और उसकी लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है. ऋगवेद में वर्णन मिलता है कि यमुना ने अपने भाई यम को इस दिन खाने पर बुलाया था, इसीलिए इस दिन को यम द्वितिया के नाम से भी जाना जाता है. पद्मपुराण में भी इस बात का जिक्र मिला है कि जो व्यक्ति इस दिन अपनी बहन के घर भोजन करता है, वो साल भर किसी झगड़े में नहीं पड़ता और उसे शत्रुओं का भय नहीं होता है.

भाई दूज की कथा

ऋगवेद में लिखी भाई दूज की कथा अनुसार, भगवान सूर्य नारायण की पत्नी छाया ने यमराज तथा यमुना को जन्म दिया था. यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्यार करती थी. यमुना को जो मिलता वह अपने भाई यमराज से बांटती. जब यमुना की शादी हो गई तो वह हमेशा अपने प्यारे भाई को अपने घर भोजन पर बुलाती. मगर, व्यस्त होने की वजह से यमराज बहन यमुना के पास न जा पाते. एक बार बहन यमुना के बहुत कहने पर यमराज बहन के घर पहुंचे. उस दिन कार्तिक शुक्ल की द्वितीया तिथि थी. भाई यमराज को अपने घर आया देखकर बहन यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने स्नान कर पूजा की और भाई के लिए भोजन पकाया. इससे यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया. यमुना ने कहा कि भाई, आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो. तब से भाई दूज का पर्व मनाया जानें लगा. इस दिन हर भाई बहन के घर जाकर भोजन करता है और बहन उसे लंबी उम्र का आशीष देती है. ”

 

 

Web Title : SHUBH MUHURAT WILL PUT BROTHER IN TILAK, LONG HIS AGE

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