चिदंबरम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को नई उड़ान देने के लिए तैयार अमित शाह


नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार को नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) की शुरुआत के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक करने जा रहे हैं. यह प्रोजेक्ट कभी पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम का ड्रीम प्रोजेक्ट हुआ करता था जो फिलहाल तिहाड़ जेल की हवा खा रहे हैं. इंडिया टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक उच्च अधिकारी अमित शाह के सामने इस प्रोजेक्ट को लेकर अपना प्रेजेंटेशन देंगे. नेटग्रिट का गठन 2008 में मुंबई आतंकी हमले के बाद NIA के साथ ही किया गया था लेकिन गठन के 11 साल बाद भी यह प्रोजेक्ट आज तक सुचारू ढंग से काम नहीं कर सका.

सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि गृह मंत्री न सिर्फ इसे पुनर्जीवित करना चाहते हैं बल्कि साल के अंत तक यह काम करना शुरू भी कर देगी. सूत्रों के अनुसार नेटग्रिड में दो गुप्ता को इसकी जिम्मेदारी दी गई है कि वह पता लगाएं कि आखिर इस प्रोजक्ट में बाधा कहां आ गई. पहले सौरभ गुप्ता हैं जिनकी ढाई महीने पहले ही नेटग्रिड में नियुक्ति की गई थी. दूसरे आशीष गुप्ता है जो ज्वाइंट सेक्रेटरी हैं और पुराने सरकारी मुलाजिम हैं. इन पर साल 2014 से नेटग्रिड को जीवंत करने का जिम्मा है जब से अशोक पटनायक इसके सीईओ बने हैं.

अशोक पटनायक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दामाद हैं. लेकिन अंदरखाने से मिली जानकारी के मुताबिक वह अपने रिटायरमेंट से पहले इस काम को शुरू करना चाहते हैं. अंधेरिया मोड़ पर एजेंसी का दफ्तर लगभग तैयार हो चुका है जहां वैज्ञानिक उपकरणों से लेकर बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगाई जानी हैं. हालांकि काम खत्म करने की डेडलाइन दिसंबर तक रखी गई है और तभी इस प्रोजेक्ट का विधिवत तरीके से उद्घाटन हो पाएगा. एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी सूरत में अगर कोई देरी हो भी जाती है तो मार्च कर इसे शुरू कर ही दिया जाएगा.

नेटग्रिड भारत सरकार की सुरक्षा एजेंसियों को जोड़ने वाली एक खुफिया ग्रिड है जो सभी एजेंसियों का डाटा एक-दूसरे के साथ साझा करने के मकसद से बनाई गई थी. हालांकि इसके गठन के बाद से ही कई तरह की बाधाओं के चलते यह सुचारू ढंग से काम नहीं कर पाई. अब सूत्रों को इस बात का भरोसा है कि एक बार यह एजेंसी फिर से शुरू हो गई तो आतंकी संगठनों और संदिग्धों को ट्रैक करने में काफी मदद मिलेगी.

सूत्र ने बताया कि अगर किसी संदिग्ध को पकड़ने से पहले उसकी जन्मकुंडली एजेंसी के पास होगा तो यह काम काफी आसान हो जाएगा. इससे एक क्लिक में आप संदिग्ध का मोबाइल नंबर से लेकर उसकी संपत्ति, मौजूदा लोकेशन, बैंक खाते और यात्रा की जानकारी हासिल कर पाएंगे. एक अन्य सूत्र ने बताया कि ऐसा पहले सिर्फ फिल्मों में होता था लेकिन अब अगर को संदिग्ध ट्रेन में सफर कर रहा है तो हम उसको रियर टाइम पर ट्रैक कर सकेंगे, रेलवे और एयरलाइंस के पास रियल टाइम ट्रैकिंग की सुविधा होगी. बैंक उसे रिजर्वेशन से जुड़ी जानकारी देगा लेकिन हम इसमें काफी सावधानी बरतने की जरूरत होगी.    

देश की सभी जांच एजेंसियों का डेटा नेटग्रिड के पास जमा होगा. मसलन अगर हाफिज सईद के खिलाफ अबतक जांच एजेंसियों ने जो भी सबूत जुटाए हैं, जानकारी जमा की है, वह सभी एजेंसियों के साथ साझा की जा सकेगी. हर संदिग्ध के खिलाफ जमा हुए डेटा को रियल टाइम ट्रैक किया जा सकेगा. सूत्रों ने बताया कि अभी किसी को भी नहीं पता कि नेटग्रिड को विफल हो गया.

साल 2008 में इस प्रोजेक्ट की जरूरत थी लेकिन सुचारू ढंग से यह कारगर नहीं हो सका. इसमें अहम मुद्दा निजता के अधिकार से जुड़ा हुआ है क्योंकि करीब 95 फीसदी गैर सरकारी विशेषज्ञों को इससे जोड़ा गया लेकिन आज उनके पास कोई काम नहीं है. एक अधिकारी ने बताया कि हमने बहुत जलेबियां बनाई हैं. उन्होंने अपने अनुभन को साझा करते हुए बताया कि यह प्रोजेक्ट लालफीताशाही का शिकार हो गया.

Web Title : AMIT SHAH READY TO GIVE A NEW FLIGHT TO CHIDAMBARAMS DREAM PROJECT

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