सुभाष चंद्र बोस की मौत कैसे हुईविमान हादसा और लापता होने की क्या है पहेली

महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज जयंती है. पूरा देश इस मौके को पराक्रम दिवस के तौर पर सेलिब्रेट कर रहा है. सरकार ने साल 2021 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्‍मदिन 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि देश की स्वतंत्रता के लिए उनका अटूट समर्पण आज भी प्रेरित करता है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ´पराक्रम दिवस पर भारत के लोगों को बधाई. आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर हम उनके जीवन और साहस का सम्मान करते हैं. हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए उनका अटूट समर्पण आज भी प्रेरित करता है. ´

सुभाष चंद्र बोस का व्यक्तित्व कमाल का था. उन्होंने आजाद भारत का सपना देखा और उसे पूरा करने के रास्ते पर चल पड़े. इस राष्ट्र के संस्थापक कहलाने वाले महान नेताओं में बोस की गिनती होती है. देश को लेकर यह उनका अथक प्रयास ही था कि उन्हें नेताजी कहा गया. मगर, बोस की मौत को लेकर रहस्य आज भी बना हुआ है. कुछ लोग कहते हैं कि एक विमान हादसे में सुभाष चंद्र बोस की मौत हो गई. कई लोगों का यह भी मानना है कि इस दुर्घटना में उनकी मृत्यु नहीं हुई, बल्कि वह तो देश के आजाद होने तक गुमनामी भरा जीवन जीते रहे.  

INA के लोगों ने विमान हादसे वाली बात मानने से किया इनकार
18 अगस्त, 1945 को ताइवान के ताइपेई में उड़ान भरते समय एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. कहा जाता है कि सुभाष चंद्र बोस इस एयरक्राफ्ट में सवार थे और वह थर्ड डिग्री बर्न के शिकार हो गए. बोस कोमा में चले गए और रात 9 से 10 बजे के बीच उनका निधन हो गया. हालांकि, घायल या मृत बोस की कोई तस्वीर नहीं मिलती है. ना ही अधिकारियों की ओर से कोई मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुआ. यही वजह थी कि भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के लोगों ने यह मानने से इनकार कर दिया कि नेताजी की मौत हो गई है. बोस की मौत को लेकर जो कारण और परिस्थितियां बताई गईं, वे उससे सहमत नहीं थे. उन्होंने इसे साजिश बताया और कहा कि नेताजी के निधन के कुछ घंटों के भीतर कोई विमान हादसा नहीं हुआ था.

बोस के गुमनामी भरा जीवन बिताने का दावा
1950 के दशक में सुभाष चंद्र बोस को लेकर कुछ कहानियां सामने आईं. ऐसा कहा गया कि बोस तपस्वी बन गए थे. हालांकि, इतिहासकार लियोनार्ड ए. गॉर्डन ने 1960 के दशक में इसे लेकर शोध किया और इन बातों को गलत करार दिया. बोस के कुछ सहयोगियों ने सुभाषवादी जनता का गठन किया था. इन लोगों ने इस बात को बढ़ावा दिया कि बोस बंगाल के शौलमारी स्थित अभयारण्य में चले गए थे. हालांकि, कुछ ऐसी भी रिपोर्ट हैं जो विमान हादसे में नेताजी की मृत्यु का दावा करती हैं. इनके मुताबिक, बोस मित्सुबिशी के-21 बमवर्षक विमान में सवार थे, जो ताइपे में उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया.


Web Title : HOW DID SUBHASH CHANDRA BOSE DIE?

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