हड़ताल के कारण बैंक सेवा ठप्प, रोकी गई ट्रेने

धनबाद : ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल के कारण बुधवार को धनबाद समेत राज्य के विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में कामकाज ठप रहा. कोयला कंपनियों में उत्पादन पर असर पड़ा है. बैंकों के कामकाज प्रभावित हुए हैं, जिस कारण अधिकतर बैंकों में सेवा ठप हो गई है. हालांकि, एसबीआई और पीएनबी इस हड़ताल में शामिल नहीं है. निजी बैंकों ने भी हड़ताल से खुद को अलग रखा है.


बारह सूत्री मांगो के समर्थन में आज देश व्यापी हड़ताल का असर धनबाद में सबसे ज्यादा देखने को मिला. यहां सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कम्पनी बीसीसीएल में उत्पादन पर असर पड़ा है. सुबह के पांच बजे से ही हड़ताल का असर दिखने लगा. अकेले बीसीसीएल में प्रतिदिन 95 हजार टन कोयले का उत्पादन और एक लाख टन डिस्पैच होता है. बीसीसीएल प्रबंधन ने नो वर्क नो पे का अल्टीमेटम दिया है. इसके अलावा डाक विभाग, बैंकिंग, बीमा, इलेक्ट्रिक सप्लाई भी प्रभावित हुआ है.

ट्रेड यूनियनों के हड़ताल का असर कोयलांचल में सबसे ज्यादा देखा जा रहा है. यहां सुबह से ही बंद कराने यूनियन के लोग सड़क पर उतरे. कई जगह टॉयर जला रोड जाम किया. ट्रेड यूनियनों की प्रमुख मांगों में श्रम कानूनों में श्रमिक व कर्मचारी विरोधी बदलाव वापस लेने, सरकारी उपक्रमों का विनिवेश और निजीकरण बंद करने, न्यूनतम मजदूरी 15,000 प्रति माह करने, कामगार रखने के लिए ठेका प्रणाली खत्म करने, श्रमिक विरोधी कानून लागू नहीं करने, अगले वर्ष जनवरी से 7वां वेतन आयोग लागू करने, महंगाई पर रोक लगाने, सड़क परिवहन एवं सुरक्षा विधेयक को अपने मूल रूप में रखने इत्यादि शामिल है.

वहीं हड़ताल के दौरान सीपीआई के लोगों ने लातेहार जिले के चंदवा स्थित टोरी रेलवे स्टेशन पर गोमो - चौपारण ट्रेन को रोक कर प्रदर्शन किया. ट्रेड यूनियनों के कर्मचारियों ने बुधवार 10 बजे से ही कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन किया. धनबाद डाक मंडल के सभी कर्मचारी, बीएसएनएल कर्मी भी हड़ताल में शामिल हुए.

हड़ताल में शामिल एटक, इंटक, एचएमएस, सीटू, एक्टू, एआइयूटीयूसी, यूटीयूसी तथा टीयूसीसी के प्रतिनिधियों ने दावा किया का इस दौरान राज्य के सभी सरकारी और गैर सरकारी प्रतिष्ठान बंद रहे. हड़ताल का व्यापक असर कोयला उद्योग पर पड़ा है. एटक के पीके गांगुली, सीटू के डीडी रामानंदन, एक्टू के शुभेंदू सेन ने बताया कि भारत सरकार को 12 सूत्री मांग पत्र सौंपा गया है.

श्रम कानून में व्यापक फेरबदल की तैयारी है. 46 में से 44 श्रम कानूनों में संशोधन किया जा रहा है. इसे मालिकों के हितकर बनाया जा रहा है. यूनियनों के निबंधन की प्रक्रिया को कठिन किया जा रहा है.

Web Title : BANK SERVICE EFFCTED DUE TO STRIKE STOPPED TRAINS