8 माह बाद बेटियां हुई कमरे कि कैद से बाहर

धनबाद : आठमाह बाद तीन बच्चियों ने खुली हवा में सांस ली. दिसंबर 2014 में मां रीता देवी की मौत के बाद से तीनों एक कमरे में कैद थीं. पिता ही उन्हें एक कमरे में बंद रखते थे और खुद भी उसी कमरे में रहते थे. खुद बाहर निकलते थे और बच्चों को जाने देते थे. घर में बिजली नहीं थी.
बच्चों ने मोमबत्ती के सहारे इतने दिन काटे.

दादा होटल से खाना लाकर दे देते थे. नहाने-धोने और भोजन के बाद तीनों मासूम कमरे में फिर बंद हो जाते. बाहर जाने की जिद पर पिटाई भी होती थी. मासूमों को पता नहीं था कि मां का साया सिर से उठने के बाद उन्हें किस गुनाह की सजा मिल रही थी. सोमवार को उनके दादा का सब्र जवाब दे गया और उन्होंने पुलिस से मदद मांगी. सदर पुलिस की टीम चीरागोड़ा स्थित मुकेश के घर पहुंची और बच्चियों को आजाद कराया. उनके पिता मुकेश को पुलिस की मदद से रांची के रिनपास ले जाया गया.



डर था कहीं तीनों बेटियों को कोई उठा ले जाए

स्थानीय लोगों के अनुसार, अधिवक्ता मुकेश कुमार की दिमागी हालात ठीक नहीं थी. पत्नी के देहांत के बाद और बिगड़ गई. मुकेश को बेटियों से काफी लगाव है. उसे हमेशा डर सताता रहता था कि कहीं कोई उनकी बेटियों को उठा ले जाए. इसलिए पत्नीकी मौत के बाद उसने खुद को बच्चों समेत घर में कैद कर लिया. बच्चियों की चाची बताती हैं कि जब उनकी नानी और मामा मिलने आए, तब भी मुकेश ने दरवाजा नहीं खोला. बड़ी बेटी छठी में पढ़ती थी. मुकेश ने उसकी पढ़ाई भी छुड़वा दी.

कमरे से बाहर आकर खुश दिखीं बच्चियां

तीनोंबच्चियां सोमवार को जब कमरे से बाहर निकाली गईं, तो उनके चेहरों पर मुस्कान थी. जूली समझदार है, लेकिन दोनों छोटी बहनों को कुछ पता नहीं कि उन्हें क्यों बंद रखा जाता था. जूली ने बताया कि बाहर जाने की बात पर पिताजी पिटाई भी करते थे. वह बड़ी मुश्किल से बहनों को संभालती थी.

Web Title : GIRL CLIDREN OUT OF ROOM CAPTURE AFTER 8 MONTHS