झरना मौजा में बसाने के मामले में नहीं बनी प्रबंधन और ग्रामीणों में सहमति

झरिया : बस्ताकोला क्षेत्र की दोबारी कोलियरी की नौ नंबर खदान के पीछे आउटसोर्सिंग चालू कराने को लेकर प्रशासनिक पहल सफल नहीं हो सकी. शुक्रवार को झरिया थाना परिसर में काफी गहमागहमी बनी रही.

अंतत: प्रशासन और ग्रामीणों के बीच सामंजस्य स्थापित नहीं हो पाया.

स्थिति यह हो गई थी कि ग्रामीणों ने प्रबंधन की बात मानने से इंकार कर दिया. आंदोलन करने की बात कहकर चलते बने.

इधर, प्रबंधन आउटसोर्सिंग चालू कराने के लिए प्रशासन से सहयोग मांगा है. संभव है कि भारी पुलिस बल की मौजूदगी में आउटसोर्सिंग कार्य किसी वक्त चालू कराया जा सकता है.

बीजीआरको मिला है आउटसोर्सिंग का काम. दोबारी मेंबीजीआर नामक आउटसोर्सिंग कंपनी को कोयला उत्पादन करने के लिए काम मिला है.

सहाना पहाड़ी के लोग झरना मौजा में पुनर्वासित करने और राेजगार की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. इसका नेतृत्व मासस कर रही है.

इधर, आमटाल के ग्रामीण शुरुआती दौर में उक्त जमीन को अपना बताया. विरोध किया, लेकिन गुरुवार को ग्रामीण प्रबंधन के पक्ष में खड़े हो गए.

स्थिति को बिगड़ते देख प्रशासन ने दोनों पक्षों को झरिया थाने बुलाया था.

दोबारी कोलियरी के परियोजना पदाधिकारी जीडी महतो, प्रशासनिक अधिकारी एके दूबे, प्रबंधक जेके जायसवाल, राणा एसके सिंह, ओएन सिंह आदि झरिया थाना पहुंचे. सहाना पहाड़ी की ओर से किशु चौहान, विनोद चौहान, होरीलाल चौहान आदि पहुंचे थे, जिसका नेतृत्व रुस्तम अंसारी बिंदा पासवान कर रहे थे.

प्रशासन की ओर से सीओ सागरी बरार, डीएसपी रामाशंकर सिंह, इंस्पेक्टर विष्णु रजक उपस्थित थे.

 

फिलहाल कुछ नहीं कह सकते

इस संबंध में सिंदरी डीएसपी रामाशंकर सिंह ने बताया कि अभी फिलहाल कुछ नहीं कह सकते हैं. वक्त आने पर सब कुछ सामने दिखने लगेगा. प्रशासन नियम के विरुद्ध किसी को काम करने नहीं देगा.

 

बेड़ा विस्थापित मोर्चा भी खड़ा हुआ विरोध में

आउटसोर्सिंग के विरोध में बेड़ा विस्थापित मोर्चा भी खड़ा हो गया है. मोर्चा के खगन मोदक, संजय सिन्हा आदि का कहना था कि आउटसोर्सिंग की जद में उक्त लोगों की भी जमीन रही है.

प्रबंधन नौकरी और मुआवजा दे, तभी आउटसोर्सिंग चालू होने देंगे.

Web Title : MANAGEMENT AND VILLAGERS NOT AGREED TO SETTLE THE CASE