कामयाबी : समाज सेवा की चाहत ने निशा को बनाया लंदन फैशन वीक का विजेता

धनबाद : कहते हैं कुछ कर गुजरने की चाहत हो, वह भी समाज सेवा के साथ, तो कामयाबी के शिखर को चूमने से कोई नहीं रोक सकता. ऐसी ही एक कहानी धनबाद में पली बढ़ी निशा लोयलका की.

भाई-बहनों में बड़ी निशा झरिया के सोनापट्टी निवासी सुदर्शन लोयलका एवं मुदित लोयलका की पुत्री है. झरिया के सोना पट्टी में ही उनका ज्वेलरी का व्यवसाय था. 

उसने स्कूली शिक्षा झरिया के किड्स गार्डन से प्राप्त की. झरिया महिला महाविद्यालय से 2003 में उसने कॉमर्स से अपना ग्रेजुएशन किया.

माता-पिता ने अपनी लाडली की चाहतों को सर्वोपरि रखा. सुदर्शन को धनबाद में बच्चों के कैरियर का कोई स्कोप न दिखा तो वे पूरे परिवार के साथ कलकत्ता शिफ्ट कर गए.

जहाँ उन्होंने बड़ा बाजार में पेपर का लिफाफा बनाने का कारखाना चालू किया. आज भी झरिया के सोनापट्टी में उनका मकान है, जिसे उन्होंने भाड़े पर दे रखा है.

कुछ कर गुजरने की चाहत निशा को अपने पिता से विरासत में मिली थी. उसकी यही चाहत उसे कामयाबी के शिखर तक ले गई.

जब वह कॉलेज में थी तो उसे ज्योतिष विद्या में काफी रुचि थी, उसने कलकत्ता से गुरु आशुतोष पंडित से पत्राचार के माध्यम से यह ज्ञान हासिल किया.

कलकत्ता आने के बाद उसने डीटीपी, बैंक पीओ के साथ-साथ कंपनी सेक्ट्रियेट की तैयारी की. दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्राचार के माध्यम से ´मानव अधिकार´ विषय में पोस्ट ग्रेजुएट किया.

साथ ही उसने अपने ज्योतिष विद्या की बारीकियों से जानने के लिए उसका अध्ययन जारी रखा. आज उसने कुंडली देखना, भविष्य फल गणना कर, फेस रीडिंग, टेरो कार्ड रीडिंग, रेकी एवं अंक ज्योतिष में पारंगत हासिल कर ली है.

नोबल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा को अपना आदर्श मानने वाली निशा को बचपन से ही लोगों की मदद करने में ख़ुशी मिलती थी. जब वह झरिया में कक्षा 10वीं में पढ़ा करती थी तो आस-पास की महिलाएं उससे दुःख-दर्द बाटने आती थी, वह यथा संभव उनकी मदद करती थी. जैसे जैसे वह बड़ी हुई, सेवा की यह भावना लगातार बढ़ती ही गई.

अपनी पोस्ट ग्रेजुएट के दौरान जब वह कलकत्ता की तंग गलियों से गुजरती, तो वहां के गरीब तबको की लड़कियों की बेरोजगारी को देखकर उसके मन टीस उत्पन्न होती थी, अंततः उसने उनकी मदद को ठानी.

इसके साथ ही सामाजिक सेवा निर्वाह करते हुए उसने एक स्लम एरिया को चुना, जहाँ वह कई घरों में सिलाई मशीन का वितरण के साथ-साथ कपड़ा सिलना सिखाया, ताकि वे सभी स्वावलंबी बन सके.

धीरे-धीरे यह दायरा बढ़ता गया, इसी दौरान उसे कपड़ा सिलाई का एक बड़ा आर्डर भी मिला, जिसे उसने बड़ी लगन से पूरा किया.

निशा ने इस दौरान Swadhina ,Helping humanity, CRY जैसे एनजीओ के साथ जुड़कर काम किया.

यही वह मोड़ था, जहाँ उसके मन में फैशन की दुनियां में कदम रखने का विचार कौंधा, उसने सोचा जब मैं बिना फैशन की बारीकियों को जाने बिना इनकी मदद कर सकती हूँ, तो उसको सीखने के बाद मैं इन लोगों को और भी साक्षर बना सकती हूं ताकि वे सभी बेहतर जीवन निर्वाह कर सके.

इसके बाद उसने कोलकाता के INIFD इंस्टीट्यूट से फैशन का कोर्स किया. इसी दौरान उसकी कला में काफी निखार आया.

वहां से उसे सितम्बर 2016 में फैशन फिल्म, फैशन मगज़ीन, और स्टाइलींग सीखने के लिए लंदन जाना हुए. वहां उसे अंतराष्ट्रीय ट्रेनर के द्वारा ग्रूमिंग का मौका मिला.

इसी दौरान उसे लंदन फैशन विक प्रतियोगिता के बारे में पता चला. दिसम्बर में उसने प्रतियोगिता का फॉर्म भरा. जनवरी में लंदन फैशन वीक में सिलेक्शन की सूचना उसे अथॉरिटी के द्वारा मिल गई थी, तथा निशा को अपने डिजाईन के साथ 18 फरवरी को फैशन प्रतियोगिता में भाग लेने का निमंत्रण दिया गया था.

इसी साल 17 फरवरी को निशा के डिज़ाइन को कोलकाता के INIFD में पुरष्कृत किया गया.

वहीं 18 फरवरी को लंदन फैशन वीक में देश-विदेश के प्रतिभागियों के बिच अपना लोहा मनवाते हुए विजेता बनी.

अप्रैल माह में निशा को INIFD की तरफ से चंडीगढ़ में मिस एशिया पैसिफिक 2017 एवं एक्ट्रेस ट्विंकल खन्ना ने सम्मानित किया.

इस कामयाबी से उत्साहित निशा ने अपनी सोच को उड़ान देने के लिए एक वेबसाइट nishasinghcouture.com लॉन्च किया है, इसके पीछे की सोच है की वह आज की डिजिटल दुनिया से कदमताल मिला सके.

वेबसाइट पर अपनी डिज़ाइन एवं कलाकृत को प्रदर्शित कर ग्राहकों को आकर्षित कर वह बड़ा से बड़ा आर्डर ले सके.

 

निशा इन 5 शानदार कॉस्टयूम डिजाइन की बदौलत बनी लंदन फैशन विक की विजेता

लंदन फैशन वीक में मिला बेस्ट डिजाइनर का अवार्ड

निशा सिंह ने अपनी रचनात्मक कृतियों की बदौलत लंदन फैशन वीक में शानदार कॉस्टयूम डिजाइन के लिए पहला पुरस्कार जीतकर धनबाद ही नहीं पूरे देश का नाम रोशन किया है.

झारखंड-बंगाल से निशा लंदन फैशन वीक में भाग लेनी वाली एकमात्र प्रतिभागी थी, वहां पर भाग लेना ही निशा के लिए किसी सपने से कम न था. उसने इंडियन थीम पर आधारित अपनी शानदार कॉस्टूयम डिजाइन का जादू बिखरते हुए पहला पुरस्कार अपने नाम किया.

निशा ने बताया की सितम्बर 2016 में जब वह लंदन गई थी, उसी दौरान वहां स्तिथ म्यूजियम विक्टोरिया अल्बर्ट देखने का मौका मिला. इस संग्राहलय में एक क्यूरोसिटी डिवीज़न था, जहां पर भारतीय कला का अनुपम संग्रह रखा गया है. उसी के थीम पर मेरे कॉस्टूयम के डिजाइन आधारित थी. मेरा यह डिजाइन लंदन फैशन विक में जजों के साथ-साथ दर्शकों को भी आकर्षित किया. इसके अलावा बंगाली कांथा स्टिच भी मैंने प्रदर्शित किया था, उसे भी दर्शकों ने काफी सराहा.

निशा ने कहा विश्वास ही नहीं होता कि विश्व के इतने बड़े शो में ´क्यूरोसिटी´ को इतना अच्छा रिस्पोंस मिला, साथ ही लंदन फैशन वीक में बेस्ट डिजाइनर का अवार्ड मिलना किसी सपने से कम न था, मानों जैसे मेरी सोच को नए पंख मिल गए हो जिसकी बदौलत में निरंतर सफलता की नयी कीर्तिमान कायम कर सकुंगी.

हर-कदम मिला परिवार का साथ

निशा के पति हितेश पेशे से पायलट हैं. उन्होंने इस मुकाम तक पहुंचने में निशा का बहुत साथ दिया.

बैंक पीओ की तैयारी के दौरान निशा की मुलाकात हितेश से हुई थी. निशा की सोच से आकर्षित हो हर्षित ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया, दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गयी. फिर दोनों ने अपने माता-पिता को शादी के राजी किया, तो उन्होंने ख़ुशी-ख़ुशी इसकी स्वीकृति दे दी. सबके आशीर्वाद से 21 Feb 2010 में निशा की शादी हितेश सिंह से हुई थी.

निशा का कहना है कि एक मारवाड़ी परिवार से आकर सिंह परिवार में मुझे रहने में कभी असहज महसूस नहीं हुई. मेरे सास-श्वसुर मुझे काफी सपोर्ट करते है. आज मैंने जो यह मुकाम हाशिल किया है वह इनके साथ के बिना संभव न हो पता. हितेश हर निर्णय पर मेरा साथ देते है.

Web Title : NISHA SINGH WINNER OF LONDON FASHION WEEK