अनोखी परंपरा - बेटी को दहेज देता है आदिवासी समाज

धनबाद : एक ओर जहां सभी समाज में दहेज के कारण बेटियों का विवाह करना उसके परिजनों के लिए एक खासी बड़ी समस्या है वहीं दूसरी ओर टुंडी का आदिवासी समाज ऐसा है जहां बेटियों की शादी में दहेज दिया नहीं बल्कि लिया जाता है. टुंडी के आदिवासी समाज में वर पक्ष वधु पक्ष को तीन रुपया का दहेज देता है.

यह आवश्यक है. इस तीन रुपए से एक रुपया लड़की के पिता को तथा दो रुपया भाई को दिया जाता है. अगर पिता ना हो तो ग्राम प्रधान को ओर ग्राम प्रधान किसी कारणवश ना लेना चाहे तो उस हिस्से को दान कर दिया जाता है. इतना ही नहीं विवाह में कोई उपहार देते हैं तो उसे ससम्मान ग्रहण कर फिर वही उपहार उन्हें वापस लौटा दिया जाता है.

टुंडी का यह अनोखा आदिवासी समाज बेसहारा गरीब या अनाथ लडकी की शादी मिल जुल कर करवाते हैं. टुंडी मुख्यालय से सटे राजग्राम टांड में संगीता कुमारी सोरेन की शादी समाज के लोगो ने मिल जुल कर धूमधाम से लाखों रुपये खर्च कर आदिवासी रीति रिवाज के साथ करवाई.

स्थानीय शिक्षक रेखालाल मरांडी ने इस विवाह में बढ़ चढ़ कर सहयोग किया. टुंडी के प्रमुख कमला देवी, समाज सेवी कालेश्वर बास्की, रतनपुर के मुखिया भारती देवी, पंचायत समिति कटनियां के सदस्य बबीता देवी आस पास के ग्राम प्रधान सहित समाज के प्रबुद्ध लोगो के सहयोग से उक्त शादी धूम धाम से संपन्न करवा कर मिसाल कायम की गई, जो दूसरे समाज के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं.
 

Web Title : ABORIGINAL SOCIETY GIVES DOWRY TO DAUGHTER