मालवीय जी का मुलमंत्र लोगों को जोड़ना था न की तोड़ना

धनबाद  : पंडित मालवीय जी के धर्म निरपेक्ष विचारों के उत्पती से ही काशी हिन्दू विश्व विध्यालय कि नींव पड़ी और आज यह संस्थानो पुरे विश्व पटल पर पर अपना परचम लहरा रहा है.

यह कहना था अल्मुनी के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह का जो आज सिम्फर ऑडोटोरियम मे  आयोजित बीएचयू के पूर्ववर्ती छात्रों धनबाद-आसनसोल चैप्टर का एक दिवसीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.

कार्यक्रम मे सैकडो कि संख्या मे अलुमुनी के सदस्य उपस्तिथ थे. कार्यक्रम को आगे बढाते हुये मालवीय जी के राष्ट्र निर्माण को समर्पित जीवन और बीएचयु मे उनका योगदान पर प्रकाश डाला गया.

मालवीय जी के मौलिक विचारों कि परदर्शिता का परिणाम ही था कि उन्होने बीएचयु के निर्माण हेतु निजाम से चंदा मांगा था.

उनका कथन हिन्दू का मतलब हिन्दू धर्म से प्रेरित नहीं था बल्की हिंदुस्तान मे रहने वाले सभी भारतियों से था.

अगर तत्कालीन कॉंग्रेस उनकी कही हुई बातों को मानता तो आज पाकिस्तान और बांग्लादेश हमारे पड़ोसी मुल्क नहीं होते तिनों मुल्क आज एक होता.

मालवीय जी को भारतरत्न से सम्मानित किया गया जिसका कुछ लोगों द्वारा उन्हे सम्प्राद्यिक बता कर विरोध हो रहा है, उन्हें उनकी बातों को गंभीरता से विचार करना चाहिये.

वह एक धर्मनिरपेक्ष प्रवर्ती के इंसान थे उनका मुलमंत्र लोगों को जोड़ना था न की तोड़ना.

बीएचयू के पूर्ववर्ती छात्र सह सीआरपीएफ के अतिरिक्त महानिदेशक राकेश कुमार मिश्रा मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद थे.

कार्यक्रम को संबोधित करने वालो में सलानपुर कोलियरी के महाप्रबंधक ए. के. सिंह, अरूण कुमार सिंह, एसएस सिंह, एसके पांउेय, एवं डा. प्रमोद पाठक शमिल हैं.

इसके पूर्व कमिटी की ओर से श्री मिश्र और आगत अतिथियों को पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया.

इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. सम्मेलन में दूर दूर से बीएचयू के पूर्ववर्ती छात्र सपरिवार पधारे थे.

 

बनारस का काशी हिंदू विश्व विद्यालय अतुलनीय

बनारस का काशी हिंदू विश्व विद्यालय अद्वितीय पूरे दुनिया में अद्वितीय और अतुलनीय है.

यह कहना है मुख्य अतिथि बीएचयू के पूर्ववर्ती छात्र सह सीआरपीएफ के अतिरिक्त महानिदेशक राकेश कुमार मिश्रा का.

संगोष्ठी में राष्ट्र निर्माण में काशी हिंदू विश्व विद्याालय के योगदान पर बोलते हुए मिश्रा ने कहा कि बीएचयू का नाम आते ही जेहन में एक अजीब तरह का स्पंदन होने लगता है.

कहा कि विवि की गरीमा पूरे विश्व में अतुलनीय और अद्वितीय है.

विश्व मे जितने विवि हैं ,काशी हिन्दू विश्व विद्यालय उनसे पूरी तरह से भिन्न है.वैसा कैम्पस नहीं बन सकता.

बीएचयू में 98 वर्ष पूर्व शुरू किया गया ’जुगाड’ तकनीक आज भी अतुलनीय है.

बीएचयू ही एक मात्र ऐसा संस्थान है जहां जुगाड़ तकनीक के माध्यम से भारतीय तकनीक की झलक देखने को मिलती है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में काशी हिंदू विश्व विद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान है.

बीएचयू ने एक से महान विभूतियों को बनाया है जो भारत के कोने कोने में फैले हुए हैं. इनकी गिनती करना मुश्किल है.

उन्होंने कहा कि बीएचयू से शिक्षा ग्रहण करना अपने आप में एक गौरव की बात है.

बीण्चयू के पूर्ववर्ती छात्रो में देश सेवा की भावना पहली प्राथमिकता होती है.

वहां अच्छे संस्कार और राष्ट्र की सेवा कने की भावना  कुटकुट कर भरी जाती है.

राष्ट्र निर्माण में बीएचयू का योगदान एकता और उन्नती का प्रतीक है.

मिश्रा ने कहा कि हमें महामना मदन मोहन मालवीय की परिकल्पना को जागृत रखन है.

साथ ही युवा पीढी को इसके लिए प्रेरित करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि देश की सेवा में हमे अपने आप को लगा कर बीएचयू की अतुलनीय और अद्वितीय गरीमा को बनाये रखना है.

 

बीएचयु मनुष्य को संसाधन के रूप मे करती है विकसित

बीएचयु के 1994  बैच के ब्रिज भूषण पाण्डेय का कहना था की काशी हिन्दू विश्व विध्यालय वहाँ पर अपने विद्यार्थियों को एक संसाधन के रूप में विकसित करती है. 

वह निर्मित संसाधन जब  प्राकृतिक संसाधन से मिलती है तो राष्ट्र निर्माण  में अहम भूमिका निभाती है.

इस मौके पर अन्य सदस्यों ने अपनी याद, अनुभव और विचारों  को साझा किया.

Web Title : ALUMUNI MEET OF BHU DHANBAD ASANSOL CHAPTER