Exclusive : डोडा के गिरफ्त में कोयलांचल

धनबाद : कोयलांचल के युवा आजकल डोडा के नशा के गिरफ्त में फंसता जा रहा है. अफीम के फूलों की गुठलियों को चूर्ण कर बना डोडा (कुकी) खासकर मध्यम वर्ग, मजदुर, और ट्रक चालकों के बिच काफी लोकप्रिय है.

विशेष रूप से यह राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) एवं कोयला खदानों के आस पास रहने वाले लोग इस लत से कुछ ज्यादा ही प्रभावित हैं, खासकर वे लोग जो रात में काम करते है.

डोडा बहुत ही आसानी से कतरास, बरवाअड्डा, राजगंज, गोविंदपुर, निरसा, डिगवाडीह, झरिया बोरापट्टी आदि जगहों के किराने की दुकानों में मिल जाता है.

डोडा की बढ़ती लोकप्रियता एवं मांगों को देखते हुए एनएच सड़क के किनारे स्तिथ अधिकांश छोटे-बड़े ढाबों, किरानों की दुकान में मिल जाता है.

इसकी लोकप्रियता का मुख्य कारण है, इसकी कम कीमत, जो अन्य नशीली पदार्थ जैसे हीरोइन, चरस, अफीम, गांजा से काफी कम है.

 

ट्रक ड्राइवरों में है काफी लोकप्रिय

डोडा (अफीम की भूसी) खुदरा बाजार में मात्र 4000 रूपये प्रति किलोग्राम के दर आसानी से उपलब्ध है, या यूँ कहें की मात्र 100 रूपये खर्च कर, सेवन करते देखा जा सकता है जो की अन्य नशीली पदार्थों से आधी से भी कम है.

यह खास कर ट्रक ड्राइवरों के बीच में काफी लोकप्रिय है, क्योकि उनका मानना है की इसके सेवन से रात्री में ट्रक चलाने में काफी सहूलियत होती है, तथा उन्हें नींद नहीं आती है, जिससे वे काफी सतर्क रहते है.

वे डोडा के चूरण को फांक कर गुनगुने दूध या गर्म चाय के साथ इस्तेमाल करते है.

बढ़ रहा है डोडा का चलन

पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) के  Opioid Substitution Treatment (OST) विभाग के डॉ. विकास कुमार राणा ने बताया कि कोयलांचल में डोडा नशेड़ीयों के बिच अपनी कम कीमत और उपलब्धता के कारण ही इसकी दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता बढ़ रही है.

डोडा (पोस्तु भूसी) पौधे से अफीम और खसखस ​​निकालने के बाद उसके अवशेष को चूर्ण बनाकर पाउडर के रूप में बेचा जाता है हैं.

उन्होंने PMCH में 6 महीनों से इलाजरत मरीजों का हवाला देते हुए कहा कि हमारे यहाँ एक महिला सहित 6 रोगी है,  जिनके अंदर इसके सेवन इसका दुष्परिणाम के तीव्र लक्षण कुछ महीने पहले आसानी  देखा जा सकता था, वह अब धीरे-धीरे उनकी हालत सामान्य हो रही है.

इलाजरत महिला को इसकी लत उसके पति ने ही लगाईं थी, जो पेशे से ट्रक ड्राईवर है.

डोडा नशेड़ीयों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि यह ट्रक ड्राइवरों के बीच अधिक लोकप्रिय है, और यह कोयलांचल के विभन्न इलाकों में आसानी से उपलब्ध है.

डोडा के नशेड़ीयों को इसके सेवन के बाद उन्हें नींद नहीं आती है, साथ ही वे एक-टक देखते रहते है, कुछ ज्यादा ही सजगता रहती है.

डॉ. राणा ने यह भी कहा है कि कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूर भी इसके नशे के शिकार होते जा रहे हैं, खासकर वो जो रात की शिफ्ट में काम करते है, यह संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है.

युवक डोडा को चरस या हीरोइन के साथ मिलाकर उबालते है, और गाढ़ा होने के बाद उसे इंजेक्शन से लेते है, जो उनको मदहोश करदेती है, जिसका असर काफी देर तक रहता है.

इसके सेवन के बाद एक मदहोशी सी छा जाती है, नशा करने वाला सजग तो रहता है, मगर सोचने-समझने की शक्ति धीरे-धीरे क्षीण होने लगती है.

यहाँ तक कुछ लोग तो सेक्स वर्द्धक के तौर पर इसका इस्तेमाल करता है, मगर हकीकत में इसके लगातार सेवन से यौन क्षमता में धीरे-धीरे कमी आने लगती है, तथा उन्हें नुपुंसक तक बना देती है. 

यथाशीघ्र इसके सेवन पर रोक लगनी चाहिए, तथा लोगोँ को जागरूक करना होगा की इसके सेवन से सजगता नहीं, मानसिक विकार उत्पन्न होती है.

अगर देखा जाए तो रात में जो भी ट्रक दुर्घटनाएं होती, अगर टेस्ट किया जाए तो आप पाएंगे की प्रायः इसके ड्राईवर डोडा के नशे के शिकार होते है, जिसके दुष्परिणाम से जो अचानक उत्पन्न हुई परस्तिथियों पर सही निर्णय लेने में असक्षम बना देता है.

 

पुलिस की गिरफ्त से दूर कारोबारी

भारत में खासकर पूर्वांचल, नार्थ-ईस्ट राज्यों में इसका अत्याधिक मात्रा में इसकी खपत है. इसको लोग पंजाब, बंगाल इत्यादि जगहों से ला कर बेचते है, जो उन्हें मात्र 500-1000 रूपये प्रति किलो की दर से मिल जाती है. बहुत से विक्रेता इसमें गांजा भी मिलाकर बेचते है.

विशेष रूप से यह राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) एवं कोयला खदानों के आस पास के किरानों की दुकान, ढाबा, पान दूकान एवं होटल में आसानी से उपलब्ध है.

कतरास, बरवाअड्डा, राजगंज, गोविंदपुर, निरसा, डिगवाडीह, झरिया बोरापट्टी आदि जगहों में इसके ग्राहक नजर आ जायेंगे, खासकर GT रोड में जहाँ ट्रकों का जमावड़ा लगता है उसके महज 100 गज की दुरी में आसानी से मिलता है.

यह धंधा करीब 20 वर्षों से फल-फूल रहा है, जिससे पुलिस अनजान है, पुलिस प्रच्चलित प्रतिबंधित नशा को लेकर ही सजग रहती है, उन्हें शक नहीं होने का मुख्य कारण है इसकी आसानी से उपलब्धता.

डोडा की बढ़ती लोकप्रियता एवं मांगों को देखते हुए छोटे-बड़े दूकान ज्यादा मुनाफाखोरी के चक्कर में इसे बेचने से परहेज नहीं करते. ये मध्यम वर्गीय युवाओं एवं ग्रामीणों को इसके नशे को ज्यादा प्रभावकारी बताकर इसकी लत लगाकर बेच रहे है. जो एक बार इसके नशे का आदी हो गया तो वह बिना डॉक्टर के ईलाज के इसे नहीं छोड़ पाता है.

 

दोषीयों पर जल्द होगी कारवाई : सिटी एसपी

जब इस विषय पर हमने सिटी एसपी अंशुमान कुमार से बात की तो उन्होंने कहा की हमें आपके द्वारा जो जानकारी मिली है, उसके ऊपर उचित कारवाई करते हुए एक टीम का गठन कर इसकी जाँच की जाएगी, तथा दोषियों को हरगिज बख्सा नहीं जाएगा, जो भी गैंग इसके पीछे वह जल्द ही हमारे गिरफ्त में होगा.

उन्होंने यह भी कहा कि प्रलोभन के चक्कर में जो दुकानदार ग्राहकों को इसका आदि बना रहे या इसे बेच रहे है उनपर भी उचित कारवाई की जायेगी.

Web Title : DHANBAD YOUNGSTERS INTO GRIPS OF POPPY HUSK (DODA)