क्लीन कोल तकनीक विषय पर एक दिवसीय औद्योगिक मीट आयोजीत

जामाडोबा : सेंट्रल माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च डिगवाडीह में सोमवार को क्लीन कोल तकनीक विषय पर एक दिवसीय औद्योगिक मीट का आयोजन हुआ. सिंफर निदेशक डॉ. अमलेंदु सिन्हा ने कहा कि कोयले के हर कण को उपयोग में लाकर ही हम प्रदूषण मुक्त वातावरण कायम कर सकते हैं.

प्रत्येक कण का उपयोग होने से कोयले की संपूर्ण ऊर्जा का दोहन हो सकेगा.कहा कि देश की उर्जा का प्रमुख स्त्रोत कोयला है. इससे निकलने वाली कार्बन डाई आक्साइड को भी उपयोग में लाकर नया उद्योग स्थापित कर सकते हैं.

 

राख के हो सकते कई उपयोग :
डॉ. एलसी राम ने जानकारी दी कि कोयले के जलने से निकलने वाली राख से ईट निर्माण हो रहा है. कई स्थानों पर राख से बनी ईट का प्रयोग भी हो रहा है. जो बेहतर परिणाम दे रही है. राख का सीमेंट प्लांट में भी उपयोग कर सकते हैं. भूमिगत खदानों में कोयले की राख में कुछ विशेष रसायन मिलाकर खदानों में कोयला निकासी के बाद भराई कर सकते हैं.

बायोमास को ईधन के रूप में प्रयोग कर उसकी राख से उर्वरक बन सकता है. सिंफर इस दिशा में कई सार्थक प्रयोग कर चुका है. जिनके परिणाम अति उत्साहव‌र्द्धक हैं. तकनीक भी बन गई है. अब जरूरत है सभी मिलजुलकर पर्यावरण संरक्षण की शपथ लें. डॉ. ए मुखर्जी ने कहा कि देश में पावर प्लांट पुरानी पद्धति पर आधारित है.

अब जरूरत है जलते हुए कोयले से निकलने वाली कार्बन डाई आक्साइड का 70 से 80 प्रतिशत भाग उपयोगी बनाकर इस्तेमाल करने की. डॉ. एलसी राम ने आगंतुकों का स्वागत किया. डॉ. एके सिंह, डॉ. डी चवनप्रकाश, आरइ मास्टो, डॉ. एस दासगुप्ता, असीम चौधरी, डॉ. वीए सिलवी, डॉ. आशीष मुखर्जी, डॉ. डी श्रीनिवास, टी गौरीचरण, टीवी दास, राजेश कुमार के अलावा कई औद्योगिक कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद थे. सेमिनार के दौरान इंडस्ट्री से आये प्रतिनिधियों को तकनीक संबंधी जानकारी देने के साथ उद्योगों में प्रयुक्त तकनीक के बारे में जाना गया.

Web Title : ONEDAY INDUSTRIAL MEAT ORGANIZED ON CLEAN COAL TECHNOLOGY