संस्कृत विषय के छात्रों का घटना चिंता का विषय

धनबाद : आपको जानकर शायद हैरानी हो कि पूरे देश में भाषाई  तौर पर सबसे अधिक 15 विश्वविद्यालय संस्कृत भाषा से जुड़े हैं. भारत के कोने.कोने में बने इन विश्वविद्यालयों में लाखों की संख्या में छात्र संस्कृत पढ़ते और इसपर रिसर्च करते हैं. संस्कृत को विश्व की सबसे पुरानी भाषा होने को गौरव प्राप्त है.

भारत से बाहर संस्कृत पूरी दुनिया के 250 से अधिक विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही है. अमेरिका रूस जर्मनी थाईलैंड जापान जैसे अनेक देशों में विश्वविद्यालयों के भाषा अध्ययन में संस्कृत को सबसे अधिक महत्व दिया जा रहा है. बावजूद इन सबके अप्रत्याशित रूप से स्कूलों में संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों की संख्या घटती जा रही है.

बानगी देखिए काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन, सीआइएससीई की 10वीं और 12वीं की परीक्षा फरवरी 2016 के अंतिम सप्ताह में शुरू होने जा रही हैं. आपको जानकार आश्चर्य होगा कि काउंसिल की परीक्षाओं में 12वीं में देशभर से शामिल होने जा रहे 72002 छात्रों में से केवल एक छात्र संस्कृत की परीक्षा देगा. इसी तरह 10वीं में संस्कृत भाषा वाले छात्रों की संख्या 433 है.

सीआइएससीई की ओर से आधिकारिक वेबसाइट पर जारी जानकारी के मुताबिक 26 फरवरी से 12वीं आइएससीद्ध और 29 फरवरी से 10वीं आइसीएसईद्ध की परीक्षाएं होनी हैं. इसमें कुल 231578 छात्रों में से 10वीं के 159576 और 12वीं के 72002 छात्र शामिल हैं. 10वीं में कुल 99 विषयों और 12वीं में 84 विषयों के लिए परीक्षा होगी.दसवीं में सबसे अधिक छात्र अंग्रेजी के 159539 और 12वीं में सबसे ज्यादा छात्र अंग्रेजी 70780 शामिल होंगे.

धनबाद के प्रधानाध्यापक डॉ गोपाल कृष्ण झा के अनुसार संस्कृत में करियर के लिए एक बड़ा क्षेत्र है. यहां आप अध्यापक बनने से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा या किसी भी राज्य की प्रशासनिक सेवा तक कहीं भी जा सकते हैं.

संस्कृत में उच्चारण क्षमता अच्छी होने पर आप रेडियो दूरदर्शन के साथ ही हिंदी प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम कर सकते हैं. संस्कृत में बीए या शास्त्री करने के बाद भारतीय सेना में धर्मगुरू की नौकरी आसानी से पाई जा सकती है.

प्रकाशन और प्रूफ रीडिंग संबंधी कार्यो में संस्कृत से जुड़े व्यक्ति को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है. विदेश में इन दिनों संस्कृत की मांग जोरों पर है. ज्योतिष व योग में किसी संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री आचार्य की डिग्री प्राप्त करके एस्ट्रोलॉजी और योग के क्षेत्र में नाम और पैसा दोनों कमाया जा सकता है.

वास्तु व कर्मकांड में डिप्लोमा या आचार्य डिग्री से इन दोनों क्षेत्रों में फ्रीलांसर बना जा सकता है. इसके अलावा दसवीं व बारहवीं में इस विषय के अध्ययन से बेहतर प्राप्तांक मिल सकता है.

 

 

 

Web Title : SANSKRIT SUBJECT STUDENTS TO EVENT CONCERN