अपनी आत्मा में ही छिपा है सच्चा सुखः महामंडलेश्वर आत्मानंद सरस्वती जी

झरियाः झरिया स्थित राणी सती मंदिर में सोमवार को एक सप्ताह तक चलने वाले श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन, व्यास पीठ पर आसीन महामंडलेश्वर 1008 श्री आत्मानंद सरस्वती जी महाराज ने कपिल चरित्र, धु्रव चरित्र एवं जड़ भरत कथा का पाठ कर श्रोताओं को अभिभूत किया.

किसमें है सच्चा सुख ?
गांगेसरिया परिवार द्वारा आयोजित इस ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन आत्मानंद जी ने पूछा कि सच्चा सुख किसमें है ? क्या सुन्दर एवं सुशील पत्नी में या पति में, धन में, ऐश्वर्य में, वैभव में, जवाहरात में; आखिर किसमें है- सच्चा सुख ? उन्होंने ही इसका विवेचन करते हुए कहा कि यदि पति को 15 दिनों तक लगातार कोई पत्नी देखती रहे, तो वह बीमार पड़ जायेगी. यदि कोई पति अपनी पत्नी में सच्चा सुख समझ कर उसे देखता रहे, तो वह बीमार पड़ जायेगा. इससे यह साबित होता है कि पति या पत्नी में सच्चा सुख नहीं है. कोई अपने धन, संपत्ति या ऐश्वर्य को लगातार देखता रहे, तो वह रूग्णावस्था में चला जायेगा. इसलिए धन, संपत्ति या ऐश्वर्य में भी सच्चा सुख नहीं है. सच्चा सुख अपनी आत्मा में होता है. जिसको यह ज्ञान हो जाता है, वह संसार के सभी भौतिक सुख-दुख से ऊपर उठ जाता है.

कलियुग में है पाखंड का बोलबालाः
अपराह्न काल में हुए कथा वाचन के दौरान मंगलवार को आत्माराम सरस्वती जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘‘जिस तरह बरसात में कच्ची मिट्टी में घासों के उग आने से सही रास्ते का पता नहीं चल पाता है, ठीक उसी तरह पाखंड और धर्मानुरागियों के बीच फर्क करना कलियुग में कठिन हो जाता है.’’

मन को एकाग्र करें, तभी होगी लक्ष्य की प्राप्तिः
आत्माराम सरस्वती जी ने यह भी कहा कि, ‘‘मन बड़ा चंचल होता है, इसकी चंचलता पर विजय पाकर ही लक्ष्य की सिद्धि हो सकती हैं. यदि मन एकाग्र नहीं होगा, तो हमें अपना लक्ष्य प्राप्त होने में मुश्किलें आयेंगी. इसलिए मन को एकचित्त कर, किसी कार्यपूर्ति में जुटना चाहिए.’’

श्री राममोहन के भजनों पर झूमे श्रद्धालुः
तीर्थराज प्रयाग यानी इलाहाबाद से पधारे महामंडलेश्वर 1008 आत्मानंद सरस्वती के शिष्य श्री राममोहन ने अपने सुमधुर भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. जग में सुंदर दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम....... पानी बीच मीन प्यासी, सुनि-सुनि आवे मोहे हांसी... जैसे संगीतमय प्रस्तुतियों से श्रोता मुग्ध हो गये.

Web Title : THE TRUE HAPPINESS IS IN YOUR SOUL : MAHAMANDALESHWAR ATMANAND SARASWATI