छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में मिलता है संतान प्राप्ति का वर, साल में एक बार ही खुलता है मंदिर

कांकेर. इस वर्ष लिंगेश्वरी माता मंदिर का पट 6 सितंबर को खुलेगा. साल में एक बार खुलने वाले इस मंदिर में कांकेर, कोंडागांव के अलावा बस्तर संभाग के सभी जिलों व रायपुर, बिलासपुर, शहडोल, भोपाल से भी श्रद्घालु आते हैं.

लिंगेश्वरी माता मंदिर के प्रति लोगों में यह आस्था है कि जिन दंपतियों के संतान नहीं हैं, उन्हें यहां आने से संतान प्राप्ति होती है. हर वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्घालु यहां पहुंचते हैं. कई दंपती ऐसे भी हैं जिन्हें यहां आने के बाद संतान की प्राप्ति हो चुकी है वे भी मंदिर में अपने बच्चों की कुशलता की कामना करने आते हैं.

आलोर में है लिंगेश्वरी मंदिर

रायपुर -जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे विकासखंड मुख्यालय फरसगांव के निकट बड़ेडोंगर मार्ग पर 8 किमी की दूरी में ग्राम आलोर है, जहां यह मंदिर स्थित है. आदिवासी परंपरा के अनुसार नवाखानी महापर्व के बाद आने वाले प्रथम बुधवार को इस मंदिर को खोलकर पूजा अर्चना करने की मान्यता है.

श्रद्घालु यहां पर सिर्फ खीरे का प्रसाद लेकर चढ़ाने आते हैं. दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगती है. श्रद्घालुओं की भीड़ इतनी ज्यादा होती है कि 2 से 3 घंटे लाइन लगानी पड़ती है. स्थानीय पुलिस और आदिवासी समाज के सैकड़ों स्वयं सेवी युवक-युवतियां यहां व्यवस्था बनाने में मदद करते हैं.

लिंगई माता मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी में हैं. यहां चट्टान के ऊपर एक बड़ा सा पत्थर है. बाहर से बिल्कुल सामान्य दिखने वाला यह पत्थर अंदर से स्तूपाकार है, मानो जैसे किसी कटोरे को उलट दिया गया हो. इस गुफा का एक ही प्रवेश द्वार है जो सुरंगनुमा है. जहां बैठकर या लेटकर ही प्रवेश किया जा सकता है. गुफा के अंदर एक साथ 15 से 20 लोग ही आ पाते हैं.


स्थानीय जनप्रतिनिधि करते हैं निःशुल्क सेवा


स्थानीय जिला पंचायत उपाध्यक्ष रवि घोष, समाजसेवी लोकेश गायकवाड़, हरिशंकर नेताम सहित कई समाज सेवी पिछले कई वर्षों से श्रद्घालुओं की निःशुल्क सेवा कर रहे हैं.


विगत 8 वषोर् से इस मंदिर की लोकप्रियता बढ़ी है. रवि घोष बताते हैं कि छत्तीसगढ़ के साथ-साथ निकटवर्ती ओड़िशा, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों के निःसंतान दंपती आधी रात से दर्शन लाभ के लिए कतारबद्ध हो जाते हैं. सबसे पहले गुफा में गायता पुजारी व समिति के चुने हुए सदस्य सावधानीपूर्वक प्रवेश करते हैं.


Web Title : IN THIS TEMPLE OF CHHATTISGARH ONE CAN GET THE BOON OF CHILD, THE TEMPLE OPENS ONCE IN A YEAR