कोरोना काल में चांगोटोला हॉस्पिटल में‌‌ आदिवासी महिला के साथ अमानवीय व्यवहार, गर्भवती महिला को प्रसव के बाद कोरोना संदिग्ध बताकर भिजवाया घर

चांगोटोला (अंकुश चौहान). इन दिनों वैश्विक महामारी कोरोना भारत में संक्रमण के बचाव के लिए डॉक्टरों की टीम सक्रियता से कार्य कर रही है, लेकिन मानवता को शर्मसार कर देने वाले चिकित्सीय कर्मियों का अमानवीय चेहरा सामने आया है. चांगोटोला क्षेत्र अंतर्गत आदिवासी गर्भवती महिला के साथ अमानवीय चांगोटोला में पदस्थ नर्स दीप्ति चौधरी द्वारा अमानवीय व्यवहार किया गया. जो कि मानवता को शर्मसार कर देने वाली है.

विगत दिवस रात्रि 8 बजे प्रसूति महिला सोमकली उईके को अचानक प्रसव दर्द उठने के बाद परिजनों ने इसकी सूचना नजदीकी आशा कार्यकर्ता लक्ष्मी ठाकरे को दी. जिसके बाद आशा कार्यकर्ता द्वारा एम्बुलंेस 108 बुलवाकर महिला को चांगोटोला हॉस्पिटल भिजवाया गया. जहां कुछ समय पश्चात महिला को सामान्य प्रसव हो गया. प्रसुता महिला ने बताया कि प्रसव के 1 घंटे बाद ही हॉस्पिटल से घर जाने को कह दिया गया. चांगोटोला हॉस्पिटल में पदस्थ नर्स दीप्ति चौधरी मुझे कोरोनो मरीज होने की बात कही गई. नर्स ने कहा कि मुझे सर्दी, खांसी, जुकाम है. आप में कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे है. आपको यहां पर ना आते हुए सीधे बालाघाट जाना था. इस दौरान परिजनो के आरोप के अनुसार महिला नर्स द्वारा उससे दो हजार रूपये की मांग करते हुए कहा मेरा समय आपने खराब कर दिया है, आपको रूपये देना होगा अन्यथा आप मरीज को अपने साथ घर ले जाये और यह कहकर प्रसुता महिला को घर रवाना कर दिया.  

गौर करने वाली बात यह है कि जब प्रसूता आदिवासी महिला में कोरोना बीमारी के लक्षण की जानकारी नर्स सये मेडिकल ऑफिसर को पता चली तो स्वास्थ्य अमला आदिवासी महिला घर चेकअप के लिए पहुंचे गया, जहां चेकअप के दौरान महिला में किसी प्रकार से कोरोना लक्षण जैसी कोई जानकारी नहीं मिली. महिला के घर पहंुचे स्वास्थ्य अमले ने बताया कि महिला एवं बच्चा दोनों स्वस्थ और तंदुरुस्त है. नर्स के द्वारा जो जानकारी दी गई वह झूठी है.

बताया जाता है कि आदिवासी महिला पिछले 7 माह पूर्व से परिजन के घर खेत मंे ईट के काम में आई थी. आदिवासी महिला हर महीने चेकअप के लिए वह अपने निवासरत ग्राम खुरसोडा में जाती थी, लेकिन इस समय वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते वह अपने गांव नहीं जा पाई और यहां ही रही. जिसे विगत रात्रि प्रसव पीड़ा होने पर आशा कार्यकर्ता द्वारा एम्बुलेंस से उसे चांगोटोला अस्पताल भिजवाया गया था.  

चांगोटोला हॉस्पिटल में पदस्थ नर्स दीप्ति चौधरी से जब इस बाबत उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो वह लगाये गये आरोपों से इंकार करते हुए कहा कि मैंने महिला से कोई अभद्र व्यवहार नहीं किया है और न ही पैसों की मांग की है. हालांकि दिप्ती चौधरी ने कहा कि इस विषय में मैं किसी प्रकार से कोई बात नहीं करना चाहती, जो भी कुछ जानकारी आप चाहते हैं वह मेरे बीएमओ सर से आप कल ले लीजिएगा.

गौरतलब हो कि विगत 1 वर्ष पूर्व भी महिला नर्स के रहते चांगोटोला हॉस्पिटल में अमानवीय घटना सामने आई थी. उस दौरान एक बैगा आदिवासी महिला ने हॉस्पिटल के बरामदे में ही बच्चे को जन्म दे दिया था. इसी मामले को प्रशासन ने संज्ञान में लेते हुए महिला नर्स दीप्ति चौधरी को सस्पेंड कर दिया था. ऐसा ही यह मामला कोरोना काल में पुनः चांगोटोला हॉस्पिटल में देखने को मिला है. अब प्रशासन महिला नर्स पर क्या कार्यवाही करता है या फिर से सस्पेंड कर पुनः हॉस्पिटल में जगह देता है, यह देखना होगा.  


Web Title : INHUMAN TREATMENT OF TRIBAL WOMAN AT CHANGOTOLA HOSPITAL IN CORONA PERIOD, PREGNANT WOMAN SENT HOME AS CORONA SUSPECT AFTER CHILDBIRTH