बालाघाट. देश के विभिन्न प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार किये जाने की घटनायें लगातार बढ़ रही है, कभी विस्थापन, कभी फर्जी नक्सली तो कभी बलात्कार जैसी घटनायें आदिवासियों पर जुल्म और ज्यादती की कहानी बयां करती है, ऐसी घटनाओं पर तत्काल रोक लगाकर उस पर ठोस कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता है. आदिवासियों के साथ निरंतर हो रही ऐसी घटनाओं के कारण देश के आदिवासी समुदाय में सरकार और प्रशासन के आदिवासी मामलो में निष्क्रिय भूमिका से भारी असंतोष पनप रहा है. यह बात आदिवासी विकास परिषद के जिलाध्यक्ष भुवनसिंह कोर्राम ने जिला प्रशासन को महामहिम राष्ट्रपति के नाम आदिवासियों पर अत्याचार को लेकर ठोस कार्यवाही किये जाने की मांग के ज्ञापन देने के बाद प्रेस से चर्चा करते हुए कही. इस दौरान आदिवासी विकास परिषद से जुड़े कई अन्य साथी भी मौजूद थे.
आदिवासी विकास परिषद के जिलाध्यक्ष भुवनसिंह कोर्राम ने कहा कि देश के विभिन्न प्रदेशों में आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को ताक पर रखकर उनके साथ अत्याचार किया जा रहा है. हालिया मामला देश के गुजरात प्रदेश में केवड़िया स्थान से 6 ग्रामों में निवासरत आदिवासी ग्रामीणों को जबरदस्ती विस्थापित किया जा रहा है. जल, जंगल और जमीन के सदियों से हकदार रहे आदिवासियों के साथ की जा रही यह कार्यवाही आदिवासियों को मिले संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है. जिस पर सख्ती से रोक लगाई जायें और प्रदेश सरकार द्वारा आदिवासियों पर किये जा रहे इस अत्याचार पर ठोस कार्यवाही किये जाने के आदेश जारी दिये जाया, ताकि आदिवासी समाज भी स्वतंत्र रूप से अपना जीवन निर्वाह कर सके.
उन्होंने कहा कि यह नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य के दंतेवाड़ा जिले के ग्राम नेलगोड़ा गुलमनार इलाको में राशन लेने जा रहे आदिवासी युवकों पर फर्जी नक्सली एनकाउंटर कर घटना को अंजाम दिया गया. जो मानवाधिकार का सरासर उल्लंघन है. यही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले के प्रायवेट श्रीराम अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती इंजीनियरिंग कॉलेज की आदिवासी छात्रा के साथ अस्पताल के कर्मचारी वार्डब्याय द्वारा बलात्कार की घटना को अंजाम दिया गया. जिस मामले को अस्पताल प्रबंधन एवं प्रशासन दबाने का काम कर रहा है, जिससे पीड़िता को न्याय नहीं मिल रहा है.
आदिवासी विकास परिषद जिलाध्यक्ष भुवनसिंह कोर्राम ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम सौंपे गये ज्ञापन के माध्यम से आदिवासी समाज के साथ हो रही ऐसी घटनाओं की कड़ी भर्त्सना करते हुए मांग की है कि वे, प्रदेश सरकारों को आदिवासियों पर होने वाले अत्याचारों पर लगाम लगाने के लिए आदेश जारी करें, ताकि आदिवासी समुदाय देश की संवैधानिक व्यवस्था पर विश्वास रख सके. यदि देश के विभिन्न प्रदेशो में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार को लेकर प्रदेश सरकारें यदि निष्क्रियता दिखाती है तो देश के आदिवासी समुदाय, अपने संवैधानिक हक, अधिकारों के लिए देशव्यापी आंदोलन के लिए सड़को पर निकलने के विवश होगा.