बाघों के शहर बालाघाट में आपका स्वागत है, बालाघाट रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के स्वागत में सुनाई देगी आवाज, वन्यजीव प्रेमियों में उत्साह

बालाघाट. उत्तर से दक्षिण रेलवे को जोड़ने वाला जबलपुर-गोंदिया रेलमार्ग में आने वाले बालाघाट स्टेशन में आने वाले यात्रियों का स्वागत.. बाघों के शहर बालाघाट में आपका स्वागत है आवाज से होगा. प्राकृतिक रूप से आच्छादित बालाघाट जिले में बाघो की संख्या अन्य संरक्षित वन्यजीवों से कहीं ज्यादा है, यह और बात है कि बालाघाट लंबे अरसे से बाघ संरक्षित क्षेत्र की उपलब्धि की बाट जो रहा है लेकिन अब रेलवे स्टेशन में बाघों के शहर बालाघाट में आपका स्वागत है की आवाज, शायद इस माध्यम से जिम्मेदारों के कानों तक पहुंच पाये और वह बालाघाट को बाघ संरक्षित क्षेत्र का दर्जा दे सके. बहरहाल वन्यजीव प्रेमियों के लिए रेलवे स्टेशन में बाघो के शहर बालाघाट में आपका स्वागत है की आवाज सुनाई देना ही बालाघाट की बाघ से पहचान कराने के लिए एक बड़ी उम्मीद की किरण दिखाई पड़ रही है. साथ ही डीआरएम से ऑनलाईन बैठक में रेल सलाहकार समिति द्वारा जिले के वन्यजीव प्रेमियों की रखी गई यह मांग पूरी हो गई है, जिससे वन्यजीव प्रेमियों में खुशी का माहौल है.

बालाघाट से ब्रॉडगेज का कार्य पूर्ण होते ही दक्षिण से उत्तर को जोडने वाली रेल लाईन जबलपुर-बालाघाट-गोंदिया बन गया है. जिससे उत्तर से दक्षिण के मध्य में चलने वाली रेल गाडियां अब इसी मार्ग से गुजर रहीं है. जब रेल यातायात पूरी तरह से सुचारू हो जायेगा तो निश्चित ही जिले को इसका फायदा मिलेगा. वहीं रेलवे स्टेशन में आने वाले यात्रियों के कानों तक पहुंचने वाली बाघों के शहर बालाघाट में आपका स्वागत है की आवाज भी जिले को एक नई पहचान देगी. जिससे पर्यटन क्षेत्र को भी इसका फायदा मिलेगा. फिलहाल अब बालाघाट जिला ताम्र परियोजना, मॉयल जिले के साथ ही बाघों के शहर से भी पहचाना जायेगा.

वन्यजीव प्रेमियों की मानें तो जिले में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है, हालांकि बाघों की सुरक्षा को लेकर वनविभाग अक्सर बाघों की वास्तविक स्थिति को नहीं बता पाता है, लेकिन जिले के अलग-अलग क्षेत्रो में बाघों की गतिविधियां बताती है कि बाघो की संख्या जिले में निरंतर बढ़ते जा रही है. जिससे काफी समय से बालाघाट जिले को बाघ संरक्षित केन्द्र की मांग होती जा रही है लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस प्रयास नहीं किये गये है. जबकि जानकारों की मानें तो प्रदेश को टाईगर प्रदेश का दर्जा ही बालाघाट जिले में पाये जाने वाले बाघों की बहुलता के कारण ही मिलता है. हालांकि रेलवे स्टेशन में आने वाली बाघों के शहर बालाघाट में आपका स्वागत की आवाज रेलयात्रियों के कानों से होकर जिम्मेदारों के कानों तक भी पहुंचेगी और एक दिन बालाघाट को भी बाघों केन्द्र मिलने के साथ ही बाघ जिले का दर्जा मिलेगा, ऐसी उम्मीद वन्यजीव प्रेमियों को है.  

गौरतलब हो कि विगत दिनों डीआरएम से ऑनलाईन बैठक के दौरान वन्यजीव प्रेमी अभय कोचर द्वारा रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य रमेश रंगलानी को यह सुझाया गया था कि बालाघाट रेलवे स्टेशन में यह एलॉउंस हो कि नमस्कार, टाईगर सिटी में आपका स्वागत है, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान जाने के लिए यहाँ उतरिये. जिसे समिति के सदस्य रमेश रंगलानी ने गंभीरता के साथ नागपुर क्षेत्र के डीआरएम तजिंदर सिंह उप्पल के समक्ष यह बात रखी थी. जिस पर डीआरएम द्वारा त्वरित स्वीकृति प्रदान की गई. उसके पश्चात आज 10 अगस्त को घोषणा कर दिया गया है और आज स्टेशन के साउंड से बालाघाट रेलवे स्टेशन पर अब एलॉउन्स किया जा रहा है की बाघों के शहर बालाघाट में आपका स्वागत है.

इनका कहना है

गत वर्षो से वनमंडलाधिकारी को पत्र के माध्यम से टाईगर सिटी का दर्जा दिलाने के लिए प्रयासरत थे. उसके पश्चात जब उत्तर से दक्षिण रेल्वे लाईन को जोड़ो गया तो बालाघाट रेलवे स्टेशन में एलॉउन्स मेंट के लिए रेलवे बोर्ड को रेलवे सदस्य के माध्यम से अवगत कराया जो सफल रहा और जिले को एक नई पहचान मिल गई है, जो बहुत ही खुशी की बात है.

अभय कोचर, वन्यजीव प्रेमी 

स्टेशन पर बाघों के शहर बालाघाट में आपका स्वागत है.. एलाउंस की स्वीकृति गत 10 अगस्त को मिल गई है. जो अब अपलोड कर एलॉउन्स भी किया जा रहा है.

एच. एल. कुशवाह, रेल्वे स्टेशन मास्टर 


Web Title : WELCOME TO THE TIGER TOWN OF BALAGHAT, THE VOICE WILL BE HEARD WELCOMING PASSENGERS AT BALAGHAT RAILWAY STATION, ENTHUSIASM AMONG WILDLIFE LOVERS