देवघर, नन सेलेबल के बाद अब सेलेबल भूमि का बन रहा है गलत कागजात

देवघर ब्यूरो. . *निवन्धन कार्यालय में  निवन्धन हेतु किया आवेदन दाखिल

* भूमि घोटाले की हो रही सीबी आई जांच

देवघर. भूमि घोटाले की  आग अभी शांत भी नहीं हुई है वही भूमाफिया पुण फर्जी कागजातों के सहारे देवघर को बेचने की तैयारी में जुट गए हैं. पूर्व में नन् सलेबल  को सेलेबल बनाकर बेचने के को लेकर तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते थे. अब  सलेबल जमीनों का गलत कागज बनाकर भू माफियाओं द्वारा बेचा जा रहा  है. भूमि घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है फिर भी देवघर के भू माफियाओं हौसला कम नहीं हो रहा है. अब सेलडिड जमीनों के फर्जी कागजात बनाकर उसे बेचने की तैयारी की जा रही है. इसी तरह का मामला श्यामगंज मौजा जमाबंदी नंबर 111/ 3274, दाग नंबर 920 को गलत तरीके से जमीन का निबंधन रोक लगाने को लेकर जिला अवर निबंधन पदाधिकारी को आवेदन दिया गया है. जिसमें कहा गया है कि ग्राम हर कट्टा थाना मोहनपुर पोस्ट तपोवन जिला देवघर के श्यामगंज मौजा अंतर्गत दाग नंबर 920 जमाबंदी नंबर 111 / 3274 जो हरिदास घोष के नाम से पंजी  टू में दर्ज है. उनके मृत्यु के उपरांत उनके अंतिम बारिस सुरेंद्र मोहन घोष जो एकमात्र मालिकाना हक उक्त संपत्ति में है. सुरेंद्र मोहन घोष कोलकाता में बीमारी की अवस्था में हैं एवं उनके इलाज हेतु उक्त जमीन को बेचने हेतु पावर ऑफ अटॉर्नी वरुण कुमार पोद्दार पिता चेतन पोद्दार को दिया गया है. इसके बाद उन्होंने छह व्यक्तियों को वर्ष 2017 में देवघर निबंधन कार्यालय से निबंधित बिक्री पत्र के माध्यम से भूमि के विक्रय किया एवं बिक्री कार्यक्रम सुरेंद्र मोहन घोष को दे दिया. इस बीच पूर्व की अंचलाधिकारी शैलेश कुमार ने जन शिकायत प्राप्त होने पर पंजों में हाथी की कार्रवाई करने के बाद लिखकर अग्रेतर  निबंधन पर रोक लगाने का पत्र अवर निबंधन देवघर को भेज दिया. उसके बाद अवर निबंधन देवघर द्वारा अग्रसर निबंधन करने से इंकार कर दिया. तब श्री पोद्दार ने अनुमंडल पदाधिकारी देवघर के यहां आवेदन देकर खजाना रसीद निर्गत करने और एलपीसी निर्गत करने का आवेदन दिया. जिस पर अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा अंचल पदाधिकारी प्रतिवेदन मांगने पर अंचलाधिकारी द्वारा प्रेषित प्रतिवेदन जिसके उपरांत अनुमंडल पदाधिकारी देवघर ने तत्कालीन अंचलाधिकारी देवघर को अपने स्तर से जांच पड़ताल कर राजस्व संबंधी कार्यवाही और एलपीसी करने का आदेश दिया. इसी के बीच सुनील घोष नामक व्यक्ति देवघर के भू माफियाओं के मेल में आकर हरिदास घोष के नाम का जाली सेल डीड एवं गलत वंशावली दिखाकर हरिदास घोष के पुत्र द्वारा जाली वसीयत अपने नाम पर बनवाकर कोलकाता उच्च न्यायालय उच्च न्यायालय मूल क्षेत्राधिकार में दायर कर एक तरफा प्रोबेट आदेश प्राप्त कर जमीन निबंधन कराने हेतु अंचल कार्यालय  आवेदन किया.    जिसे तत्कालीन अंचलाधिकारी जयवर्धन द्वारा निरस्त कर दिया गया. तब सुनील घोष ने माननीय उच्च न्यायालय झारखंड में एलपीसी हेतु रिट याचिका दायर किया जिसका डब्ल्यूपीसी नंबर 219/ 2019 जिसमें सरकार की तरफ से अंचलाधिकारी उपस्थित होकर जवाबी दायर कर चुके हैं. जो अभी तक निष्पादन हेतु लंबित है इसके बावजूद सुनील कुमार घोष द्वारा उपयुक्त जमीन को बिक्री हेतु अवर निबंधन के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया है.   मामला उच्च न्यायालय लंबित है वैसे परिस्थिति में बिक्री पत्र का निष्पादन संवैधानिक गलत होगा. श्री पोद्दार ने अवर निबंधन से मांग किया है कि मामले की जांच कर ही निबंधन कराई जाए या गलत पाए जाने पर दोषी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाए.

Web Title : DEOGHAR IS NOW BECOMING A SELABEL EDIFIC AFTER NUN SELABEL EDIFICING WRONG PAPERS

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