एसिड अटैक सर्वाइवर बनी सेलेब्रिटी, प्यार ना करने की चुकानी पड़ी ये कीमत

इंदौर : 15 साल की थी मैं जब वो हादसा हुआ. दिल्ली के खान मार्केट से गुज़र रही थी, उन्होंने मुझे ज़मीन पर गिराया और फेंक दिया मुझ पर तेज़ाब. सिर्फ इसलिए कि 32 साल के उस व्यक्ति का प्रेम निवेदन नहीं स्वीकारा. उससे शादी के लिए इनकार कर दिया. इस काम में एक लड़की ने भी उसका साथ दिया. मुझे ज़मीन पर उसी लड़की ने गिराया था. प्लास्टिक पिघलते देखा होगा आप सभी ने.. . उसी तरह मेरी चमड़ी पिघल रही थी. मेरे सिर पर जैसे कई पत्थर रख दिए थे किसी ने. सड़क पर आती जाती गाड़ियों से मैं टकरा रही थी. अस्पताल में जब रोते हुए अपने पिता के गले लिपटी तो मेरे छूने से उनकी शर्ट जगह-जगह से जल गई. मैं होश में थी और मेरी आंखें सिल रहे थे डॉक्टर्स. मुझे तो अंदाज़ा भी नहीं था कि मेरे साथ आखिर हुआ क्या है.

ये कहानी है एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की. लक्ष्मी अब सेलिब्रिटी बन चुकी हैं. वे रविवार को इंदौर में एक फैशन शो में भाग लेने आई थीं.

- लक्ष्मी ने बताया कि कई सर्जरीज़ और ढाई महीने बाद जब मैं घर लौटी तो देखा कि घर से सारे आईने हटा दिए गए हैं. फिर भी मैंने किसी तरह अपना चेहरा देख ही लिया. कुछ ही क्षणों में मैंने तय कर लिया था कि मुझे खुद को खत्म कर लेना है. फिर मुझे माता पिता के आंसू याद आए जो मेरे झुलसे हुए शरीर पर पड़ रहे थे उस वक्त. उनके लिए ही सही, लेकिन मैंने आत्महत्या नहीं की. हालांकि ज़िंदगी आसान नहीं थी.

- मेरा चेहरा देख लोग या तो मुंह फेर लेते या बेचारी कहकर आगे बढ़ जाते. कुछ लोगों ने कहा चेहरा हमेशा ढंककर रखा करो. बहुत डरावनी लगती हो तुम. छोटे बच्चे डर जाते हैं तुम्हें देखकर. एक नहीं, कई बार झुलसी मैं इस अपमान से. लेकिन आज मैं सबसे ज्यादा शुक्रगुज़ार उन्हीं लोगों की हूं जिन्होंने मुझे अपमानित किया. घृणा से देखा. आज मैं जो भी हूं उन्हीं की बदौलत हूं. उस अपमान ने मुझे एक ऐसी ज़िद से भर दिया था कि अब तो कुछ करके दिखाना है. अपमान का जवाब अपने काम से देने की चाहत ने मुझे खुद को खत्म नहीं करने दिया. इसलिए साथ न देने वालों को तह-ए-दिल से शुक्रिया. एक बार उस शख़्स से भी मिलूंगी जिसकी तेज़ाबी मानसिकता से मेरी देह झुलसी लेकिन मेरे सपने और उजले हो गए.

- लक्ष्मी पर एसिड अटैक 2005 में हुआ था उस समय उसकी उम्र 15 साल थी, वह 7वीं कक्षा में पढ़ती थी. उस दौरान 32 वर्ष के एक व्‍यक्ति ने उसे शादी के लिये प्रपोज किया. लक्ष्‍मी ने उसे इंकार कर दिया. 22 अप्रैल 2005 को सुबह करीब 11 बजे दिल्ली के खान मार्केट में वो युवक अपने छोटे भाई की गर्लफ्रेंड के साथ आया और उसे धक्‍का दे दिया. धक्‍का लगते ही लक्ष्‍मी सड़क पर गिर गई और उस युवक ने उसके उपर तेजाब फेंक दिया.

-लक्ष्‍मी बताती है कि नीचे गिअराते ही मैंने अपनी आंखे ढंक ली थी इसलिए मेरी आंखे बच गई, नहीं तो शायद मैं किसी को देखने लायक नहीं रह जाती. एसिड गिरते ही पहले तो मुझे ठंडा सा लगा फिर मेरा शरीर तेजी से जलने लगा. कुछ सेकण्ड में मेरे चेहरे और कान के हिस्सों से मांस जलकर जमीन पर गिरने लगा,मेरी हड्डियां भी गलने लगी. मैं 2 महीने से ज्‍यादा समय तक राम मनोहर लोहिया अस्‍पताल में भर्ती रहीं. घर आकर जब मैंने शीशा देखा तो लगा कि अब मेरी जिंदगी उजड़ चुकी है.



Web Title : ACID ATTACK SURVIVOR CELEBRITY, THE COST OF LOVE NOT TO BE PAID