हिंदू-मुस्लिम से बचे अरविंद केजरीवाल, कैसे CAA पर चली सबसे अलग चाल

देशभर में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) लागू होने के बाद इस पर राजनीति तेज हो गई है. दिसंबर 2019 में ही संसद से पास हो चुके कानून को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुआई वाली केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लागू किया है. पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना की वजह से भारत आए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता देने वाले इस कानून को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है. कांग्रेस, टीएमसी, एआईएमआईएम के अलावा आम आदमी पार्टी सीएए को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भाजपा और केंद्र सरकार पर सीएए को लेकर तीखा वार किया. उन्होंने कहा कि अपना वोट बैंक बढ़ाने लिए भाजपा पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारत ला रही है. केजरीवाल ने सीएए को देश के लिए खतरा बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार अपने देश के लोगों को रोजगार और घर नहीं दे पा रही है और पाकिस्तान से लोगों को लेकर उन्हें नौकरी और आवास देने जा रही है. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा कि आने वाले चुनावों में फायदा उठाने के लिए भाजपा 2024 की समय सीमा को बढ़ा देगी और एक बार दरवाजा खुल गया तो गरीबों की भारी भीड़ तीनों देशों से भारत आ जाएगी.

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कैसे केजरीवाला ने पकड़ी अलग राह
आम आदमी पार्टी विपक्ष के अन्य दलों की तरह सीएए का पुरजोर विरोध कर रही है. लेकिन दलीलें दूसरों से अलग दीं हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सीएए पर विस्तार से अपनी बात रखी और आक्रामक तरीके से प्रहार किया, लेकिन एक सावधानी के साथ. आप के राष्ट्रीय संयोजक ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि इसे ´हिंदू-मुस्लिम´ का मुद्दा ना बनाया जाए. उन्होंने इस तरह से अपने शब्दों और दलीलों का चयन किया कि ना तो बीजेपी उन्हें हिंदू विरोधी बता सके और ना ही मुस्लिम तुष्टिकरण का कोई संदेश जाए. उन्होंने पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों के धर्म का जिक्र किए बिना ´अल्पसंख्यक´ शब्द का इस्तेमाल किया.  वहीं, असदुद्दीन ओवैसी समेत कई नेता सीएए को मुसलमानों के खिलाफ बता रहे हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे रमजान से जोड़ दिया. नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा के निशाने पर मुसलमान हैं. वहीं, भाजपा के कई नेता इसे प्रताड़ित हिंदुओं के हक में फैसला बता रहे हैं. इससे चुनाव में ध्रुवीकरण की आशंका बढ़ रही है.  

केजरीवाल ने क्यों रोजी रोटी से जोड़ा
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इन विवादों से बचते हुए सीएए को रोजी और रोटी से जोड़ा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश के युवाओं को रोजगार और बेघरों को घर नहीं दे पा रही है, लेकिन पाकिस्तान के लोगों को भारत लाया जा रहा है. केजरीवाल ने इस मुद्दे को धर्म की बजाय राष्ट्रवाद से जोड़ा. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वह केजरीवाल भाजपा को ध्रुवीकरण का मौका नहीं देना चाहते हैं. वह जानते हैं कि यदि ऐसा हुआ तो भाजपा को ही ज्यादा फायदा होगा.  


Web Title : ARVIND KEJRIWAL AVOIDED HINDU MUSLIM, HOW HE PLAYED DIFFERENT TRICKS ON CAA

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