परीक्षा पे चर्चा: मोदी ने दी 3 क्रिकेटरों की मिसाल, बताया- निराशा को कैसे बदलें जीत में

नई दिल्ली: ‘पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब. ’ भारत में जब बच्चों के पढ़ने की बात हो तो मां-बाप अक्सर यह कहावत दोहराते हैं. हालांकि, अब जमाना प्रोफेशनल गेम्स का है और खेल ना आपको सिर्फ कामयाब बनाता है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की ताकत भी देता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने भी ‘परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान खेल और खिलाड़ियों का जिक्र कर बताया कि कैसे निराशा से उबरकर जीत की ओर बढ़ा जा सकता है. उन्होंने छात्रों से चर्चा के दौरान वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले के खेल की मिसाल दी.  

पीएम मोदी  ने सोमवार (20 जनवरी) को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में छात्रों के साथ परीक्षा पे चर्चा  कर रहे थे. उन्होंने इस चर्चा के दौरान कहा, ‘हम विफलताओं से भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं. हर प्रयास में उत्साह भर सकते हैं. किसी चीज में आप विफल हो गए तो उसका मतलब है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हो. ’ प्रधानमंत्री ने इसी दौरान दो क्रिकेट मैचों का जिक्र किया. इनमें से एक में वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने हार को जीत में बदल दिया था. दूसरा मैच अनिल कुंबले की जिजीविषा को लेकर था.  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले 2001 में कोलकाता के ऐतिहासिक मैच का जिक्र किया. यह मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया था. मोदी ने कहा, ‘2001 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच कोलकाता में क्रिकेट मैच खेला जा रहा था. मैच में भारत की स्थिति खराब हो गई. फॉलोऑन खेलना पड़ा. बुरा हाल था. दोबारा खेलने आए तो भी फटाफट विकेट गिरने लगे. सारा माहौल निराशा का था, हतोत्साहित करने वाला था. दर्शक भी नाराजगी व्यक्त करते रहते हैं. वे भूल जाते हैं कि मेरे अपने खेल रहे हैं और इनका उत्साह बढ़ाओ. लेकिन आपको याद होगा कि राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण  ने उस दिन जो कमाल किया. दोनों धीरे-धीरे खेलते रहे. दोनों दिनभर खेले और माहौल बदल दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने मैच भी जिता दिया. ’

 प्रधानमंत्री ने दूसरा उदाहरण 2002 के क्रिकेट मैच का दिया. उन्होंने कहा, ‘साल 2002 में भी एक ऐसा ही मैच हुआ. तब भारत की टीम वेस्टइंडीज खेलने गई थी. तब उस समय के हमारे एक अच्छे बॉलर अनिल कुंबले को चोट लग गई. बाउंसर लगने से उनका जबड़े में गंभीर चोट आई. अब स्थिति यह थी कि अनिल बॉलिंग कर पाएंगे या नहीं. लेकिन उन्होंने दर्द की परवाह नहीं की. अगर वे ना भी खेलते तो देश भी उन्हें दोष नहीं देता. लेकिन उन्होंने तय कि यह मेरा जिम्मा है. पट्टियां बांधकर खेलने उतर पड़े. उस समय ब्रायन लारा का विकेट लेना बड़ी बात होती थी. और अनिल ने मैच में लारा को विकेट लेकर मैच का नक्शा पलट दिया. ’ 

प्रधानमंत्री ने इन दोनों मैचों का उदाहरण देते हुए कहा कि माहौल निराशा का था, लेकिन एक संकल्प था कि कैसे हार जाएंगे. जुट जाएंगे, पर हारेंगे नहीं. इस संकल्प का परिणाम भी सकारात्मक ही मिला. यानी, एक व्यक्ति का संकल्प औरों के लिए भी प्रेरणा का कारण बन जाता है. ऐसी अनेक घटनाएं आपके सामने होंगी, जिसे देखकर आप प्रेरणा हासिल कर सकते हैं.  

Web Title : EXAM PAY DISCUSSION: MODI EXEMPLIFIES 3 CRICKETERS, EXPLAINS HOW TO CHANGE DISAPPOINTMENT IN VICTORY

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