भारतीय रेल ने 109 रूट पर 151 अत्याधुनिक प्राइवेट ट्रेनें चलाने का फैसला किया है. सूत्रों का कहना है कि इनमें कई दिग्गज विदेशी कंपनियां भी बोली लगा सकती हैं और कुल करीब 30 हजार करोड़ रुपये का निवेश हो सकता है.
ये विदेशी दिग्गज हो सकते हैं दौड़ में
निजी ट्रेन चलाने के लिए वर्जिन ट्रेन्स, इटलफेर (Italferr) जैसी दुनिया की दिग्गज कंपनियां बोली लगा सकती हैं. इसके अलावा ट्रेन के डिब्बों आदि के उत्पादन के लिए दिग्गज विदेशी रोलिंग स्टॉक मैन्युफैक्चरर बम्बॉर्डियर, अल्सटम, टैल्गो और सीएएफ दौड़ में शामिल हो सकती हैं.
अर्न्स्ट ऐंड यंग (EY) इंडिया के पार्टनर राजाजी मेश्राम बताते हैं, ´ज्यादातर रोलिंग स्टॉक मैन्युफैक्चरर वैश्विक स्तर के होंगे और रेल मंत्रालय भी शायद यही चाहता है. सवाल यह है कि पैस कहां से आएगा? क्या विदेशी कंपनियों को हिस्सेदारी मिलेगी या देसी कंपनियां होंगी, यह पूरा खाका सामने आने के बाद ही पता चलेगा.
इस बारे में अंतिम रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) दस्तावेज सामने आने से पहले संभावित बिडर्स से कई राउंड की बातचीत होगी. मेश्राम ने कहा, ´बाद में यदि बोली लगाने वाले को कई तरह की अज्ञात समस्याओं का सामना करना पड़ता है, तो भारतीय कंपनियां तमाम तरह की स्थानीय अनिश्चितताओं को बेहतर ढंग से संभाल सकती हैं. लेकिन यदि अंतिम व्यवस्था और निजी ट्रेनों का विवरण काफी बेहतर रहता है तो निश्चित रूप से कई वैश्विक खिलाड़ी इस दौड़ में शामिल हो सकते हैं. ´
कई कंपनियों ने दिखाई रुचि
रेल मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कई भारतीय कंपनियों ने निजी ट्रेन चलाने में रुचि दिखाई है. उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्जिन ट्रेन्स, इटलफेर Italferr जैसी विदेशी कंपनियां भी बोली में शामिल हो सकती हैं. यह बिडिंग दो चरणों में होगी.
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने गुरुवार को बताया कि सभी पक्षों से कई दौर की बात के बाद रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन (RFQ) तय किया गया है और उन्होंने उम्मीद जताई कि ज्यादा से ज्यादा कंपनियां इसमें शामिल होंगी.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी ट्रेन और कोच का निर्माण मेक इन इंडिया पॉलिसी के तहत होगा और ज्यादातर कोच का निर्माण भारत में ही किया जाएगा. उन्होंने कहा, ´शुरुआत में कुछ कोच बाहर से मंगाए जा सकते हैं. ´
प्रस्ताव के अनुसार निजी कंपनियां 109 रूट पर 151 अत्याधुनिक ट्रेन चलाएंगी. यह देश में फिलहाल चलने वाली 2800 मेल/एक्सप्रेस ट्रेन का करीब 5 फीसदी हिस्सा ही होगा. ट्रेनों को संचालित करने के लिए रियायती अवधि 35 साल की होगी, क्योंकि किसी रोलिंग स्टॉक का लाइफ इतने साल ही होता है. चयनित कंपनियां भारतीय रेल को फिक्स्ड हॉलेज चार्ज, खपत के मुताबिक एनर्जी चार्ज देंगी और उनको ग्रॉस रेवेन्यू का एक निश्चित हिस्सा मिलेगा.