जब दो-दो बेटों की शादी छोड़कर 9 महीने तक निकाली थी रथ यात्रा, कांग्रेस की सत्ता उखाड़ तीन बार बने थे CM

बात 1982 की है. फिल्मों से राजनीति में आए नंदमुरी तारक रामाराव यानी एनटी रामाराव (NTR) ने आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के लंबे और तथाकथित भ्रष्ट शासन के एक विकल्प के तौर पर अपनी नई पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) लॉन्च की थी. 1983 के विधान सभा चुनावों से ठीक पहले 29 मार्च, 1982 को पार्टी का गठन कर एनटीआर ने तब पूरे राज्य का दौरा किया था. उन्होंने 9 महीने के दौरान करीब 40,000 किलोमीटर की रथ यात्रा की थी और पूरे राज्य का चार बार चक्कर लगाया था.  


जब जनवरी 1983 में विधान सभा चुनावों का ऐलान हो गया तब एनटीआर ने अपनी रथ यात्रा रोकी थी और हैदराबाद वापसी की थी. इस रथ यात्रा ने एनटीआर को ऐसी प्रसिद्धि दिलाई कि 294 सीटों वाली विधानसभा में उनकी पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ 201 सीटों पर जीत दर्ज की. सत्ताधारी कांग्रेस को तब 115 सीटों का नुकसान हुआ था. इस रथ यात्रा ने NTR को ना केवल सत्ता तक पहुंचाया बल्कि गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी उन्हें एंट्री दिलाई थी.


वरिष्ठ पत्रकार आई वेंकट राव ने एनटी रामा राव की आत्मकथा ´ओके ओक्कडू´ में लिखा है, एनटीआर ने अपनी पुरानी शेवरले वैन को ´चैतन्य रथम´ नाम के एक रथ में बदल दिया था, जिसमें घूमने वाली कुर्सी और टेबल जैसी जरूरी सामग्री और आराम करने की सुविधाएं शामिल थीं. राव ने लिखा है कि रथ यात्रा के दौरान एनटीआर अपने दो बेटों की शादी में शामिल नहीं हो सके थे.


आई वेंकट राव के मुताबिक, तब सत्ताधारी कांग्रेस के नेता एनटी रामाराव को ´ड्रामा राव´ और उनके रथ को सुल्युलाइड सेट कहा करते थे. एनटीआर उस चैतन्य रथम के ऊपर सवार होकर लोगों को संबोधित करते थे और राज्यभर के दौरे के दौरान नोटबुक में अहम जानकारियां लिखा करते थे. लेखक के मुताबिक, जहां 20 लोगों की भी भीड़ दिख जाती थी, NTR वहीं रथ रोककर भाषण देना शुरू कर देते थे. फिर-धीरे-धीरे वहां सैकड़ों लोग जमा हो जाते थे.


जब एनटीआर का रथ निकलता था तो उस गाड़ी पर तेलुगु गीत बजा करता था, जिसमें मातृभूमि का गुणगान होता था. इन गीतों को सुनकर लोग भावविभोर हो जाते थे. लेखक राव के मुताबिक तब इन गीतों को सुनकर खेतिहर मजदूर अपना काम-धंधा छोड़कर एनटीआर को सुनने के लिए दौड़ पड़ते थे. कई बार तो लोग अपने अभिनेता और नेता को देखने दिनभर सड़क किनारे खड़े होकर इंतजार किया करते थे. जब एनटीआर रथ से उतरते तो महिलाएं उनकी आरती करती थीं और उनसे अपने नवजात बच्चों का नामकरण के लिए कहा करती थीं.


देश में पहली रथ यात्रा निकालने वाले एनटी रामा राव तब सड़क किनारे ही नहाते, खाते और वहीं लोगों से लोगों के बीच जाकर बात किया करते थे. उनके बेटे जो बाद में मंत्री बने चैतन्य रथम को खुद ही ड्राइव करते थे. इस रथ यात्रा की पॉपुलरिटी ने एनटीआर को ना सिर्फ आंध्र प्रदेश में स्थापित किया बल्कि उस राज्य में पहली गैर कांग्रेसी सरकार की स्थापना भी हो सकी थी.
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